बिजली कंपनियों ने की उपभोक्ताओं से डेढ़ सौ करोड़ की वूसली की तैयारी

टैरिफ वृद्धि की याचिका  मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने की स्वीकार …

बिजली कंपनियों

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। बकाया वसूली, बिजली चोरी, लाइन लॉस और फिजूलखर्ची रोकने में पूरी तरह से निकम्मी साबित होने वालीं बिजली कंपनियों का महकमा ईमानदार उपभोक्ताओं की जेब काटने की एक बार फिर से पूरी तैयारी कर चुका है। इस बार बिजली कंपनियां उनसे डेढ़ हजार करोड़ रुपए की वूसली करने की ओर कदम बढ़ रही हैं। खास बात यह है कि बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को मप्र विद्युत विनियामक आयोग ने की स्वीकार कर लिया है।
अब इसे जनता के बीच रखा जाएगा। जिस पर जल्द ही जनसुनवाई होगी। तीनों बिजली कंपनियों की ओर से मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत दरों में औसत 3.2 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। पिछली बार बिजली दर में औसत 0.63 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। याचिका में बिजली कंपनियों ने बड़े खर्चों के साथ कर्मचारियों के वेतन-भत्तों व पेंशन का उल्लेख करते हुए बताया है कि 48 000 करोड़ राजस्व आएगा, जबकि व्यय 49,500 करोड़ है। जो 1500 करोड़ का अंतर है, उसी के लिए औसत 3.2 प्रतिशत वृद्धि की जाए। अब आयोग इस पर फैसला लेगा, क्योंकि पिछली मर्तबा 6 .23 की जगह 0.63 प्रतिशत ही वृद्धि हुई थी। माना जा रहा है कि इस बार भी आयोग कुछ ऐसा ही फैसला कर सकता है। हालांकि जानकारों का कहना है  कि औद्योगिक और व्यावसायिक दरें काफी ज्यादा हैं, इसलिए घरेलू और कृषि दरों में ही वृद्धि हो सकती है। नई बिजली दरें एक अप्रैल से लागू होना है।  सूत्रों का कहना है कि फरवरी में नया टैरिफ जारी हो सकता है। 50 यूनिट तक दर, 4.21 रुपए और 69 रुपए फिक्स चार्ज (10 से 15 पैसे बढ़ेंगे)। 51-150 यूनिट, दर 5.17 रुपए और 121 रुपए फिक्स चार्ज (15 से 20 पैसे बढ़ेंगे), 151-300 यूनिट में दर 6.55 रुपए और 26 रुपए 0.1 प्रति किलो वाट (21 से 25 पैसे बढ़ेंगे), 301 से अधिक में दर 6.74 रुपए और 27 रुपए 0.1 प्रति किलो वाट – (24 से 28 पैसे बढ़ेंगे) बढ़ने की संभावना है। हालांकि जानकारों का कहना है  कि औद्योगिक और व्यावसायिक दरें काफी ज्यादा हैं, इसलिए घरेलू और कृषि दरों में वृद्धि हो सकती • है। नई बिजली दरें एक अप्रैल से लागू होना है। सूत्रों का कहना है कि फरवरी में नया टैरिफ जारी हो सकता है। 50 यूनिट तक दर, 4.21 रुपए और 69  रुपए फिक्स चार्ज (10 से 15 पैसे बढ़ेंगे)। 51-150 यूनिट, दर 5.17 रुपए और 121 रुपए फिक्स चार्ज (15 से 20 पैसे बढ़ेंगे), 151-300 यूनिट में दर 6.55 रुपए और 26 रुपए 0.1 प्रति किलो वाट (21 से 25 पैसे बढ़ेंगे), 301 से अधिक में दर 6.74 रुपए और 27 रुपए 0.1 प्रति किलो वाट – (24 से 28 पैसे बढ़ेंगे) बढ़ने की संभावना है। प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले सर्वाधिक मंहगी बिजली मिल रही है। दरअसल बिजली कंपनियों को लगने वाले घाटे की बड़ी वजह है लॉइन लॉस और बिजली चोरी की घटनाएं। इन पर रोक लगाने में बिजली कंपनियां लगातार असफल साबित हो रही हैं। इसी  वजह से ही कंपनियों को करोड़ों रुपए का हर माह  घाटा होता है। इस घाटे  की भरपाई बिजली का टैरिफ बढ़ाकर की जाती है। इसका भार इमानदार बिजली उपभोक्ताओं पर ही डाला जाता है। इससे पहले बिजली कंपनियों ने 4 हजार करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली दर वृद्धि के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद बिजली की दरों में प्रति यूनिट 10 पैसे तक की वृद्धि कर दी गई थी। बिजली उपभोक्ता पहले से ही बढ़ी हुए दरों को लेकर नाराज हैं। आम मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के सामने बिजली जलाना अब मुश्किल होता जा रहा है। बढ़ते दामों को लेकर उपभोक्तओं में नाराजगी है।
नहीं होती है बिजली दरों में कमी
मप्र ऐसा राज्य है, जिसमें बिजली दरों में कई सालों से कमी नहीं की गई है, बल्कि इसके उलट साल दर साल उसमें वृद्धि जरुर की जा रही है। गौरतलब है कि हर तीन महीने में बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं। बिजली बनाने में कोयला परिवहन और फ्यूल की कीमतों के आधार पर बिजली की दरों का निर्धारण किया जाता है। यही नहीं कंपनियां उपभोक्ताओं से एफसीए चार्ज भी वसूलती हैं। नियामक आयोग द्वारा हर तीन महीने में तय हुए एफसीए के मुताबिक बिजली के दाम तय किए जाते हैं।
7 प्रतिशत तक बढ़ी खपत
बिजली कंपनियों ने टैरिफ में बताया है कि इस बार बिजली की कुल खपत (80 हजार मिलियन यूनिट) 7 प्रतिशत तक बढ़ी है। इससे कंपनियों का खर्चा भी बढ़ा है। 2022-23 में तीन माह बाजार से महंगी बिजली खरीदनी पड़ी। इसलिए टैरिफ में ज्यादा राशि चाहिए। कर्मचारियों अधिकारियों का डीए 7 प्रतिशत तक बढ़ गया है।  पेंशन का डीआर भी बढ़ा है। स्थापना व्यय का भी बोझ ज्यादा है। इसी तरह कोयले की कीमत और रेलवे का ट्रांसपोर्ट का खर्च भी टैरिफ में है। एनटीपीसी द्वारा आयात महंगे कोयले का भी जिक्र है।

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