सौरभ के संरक्षकों की ओर बढ़ रही ईडी की पड़ताल

ईडी की पड़ताल
  • सजा नहीं, सिर्फ संपत्ति तक सिमटी आयकर-लोकायुक्त की कार्रवाई

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग की अवैध कमाई से सौ करोड़ से ज्यादा संपत्ति का मालिक बने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर सबसे पहले लोकायुक्त टीम ने छापा मारा था। इसके बाद आयकर टीम ने मेंडोरी के जंगल में खड़ी उसके साथी चेतन की कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ नकदी जब्त की थी। इन दोनों ही एजेंसियों की सिर्फ सौरभ की छापे में मिली संपत्तियों तक सिमट कर रह गई है। लोकायुक्त मामले में तीनों मुख्य आरोपियों को जमानत भी मिल चुकी है। हालांकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण में न केवल सौरभ, चेतन और शरद को सजा होनी तय है, बल्कि अवैध वसूली के लिए इन्हें मोहरा बनाने वाले इनके संरक्षकों का फंसना भी तय है। उल्लेखनीय है कि सौरभ के भोपाल स्थित ठिकानों पर लोकायुक्त टीम ने 18 दिसम्बर 2024 को छापा मारा था। इसी दिन आयकर टीम ने छापे के बीच से निकली सोना और नकदी से भरी कार को मेंडोरी के जंगल से जब्त किया था। इन दोनों एजेंसियों की कार्रवाई में बड़ी मात्रा में सोना चांदी, नकदी सहित करीब 60 करोड़ की संपत्तियां सामने आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। एक महीने बाद भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में उन स्थानों पर छापे मारे, जहां लोकायुक्त और आयकर टीमें नहीं पहुंची थीं। ईडी की कार्रवाई के बाद सौरभ की संपत्ति सौ करोड़ के पार हो गई। जिसे ईडी ने अनंतिम रूप में कुर्क भी कर लिया है।
कर रहे जमानत के प्रयास
सौरभ शर्मा के परिजन हर हाल में उसकी जमानत का प्रयास कर रहे हैं। भोपाल जिला न्यायालय और मप्र उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किए जाने के बाद परिजन अब सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। न्यायालयीन कार्रवाई के दौरान सौरभ के बचाव में सिर्फ उसके परिजन ही नजर आ रहे हैं, जबकि पीछे से वह संरक्षक भी जमानत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सौरभको परिवहन की अवैध वसूली व्यवस्था से सीधे जोडऩे वाले उसके संरक्षक ईडी की सख्ती और आगे बढ़ती कार्रवाई से भयभीत हैं, तथा ईडी में भोपाल से दिल्ली तक ऐसे बिचौलिए तलाश रहे हैं, जिनकी पकड़ ईडी के अधिकारियों तक है।
फसेंगे कई अधिकारी
सौरभ के ठिकानों पर लोकायुक्त छापे के दौरान मिले संपत्ति दस्तावेज और ग्वालियर में ईडी के छापे के दौरान मिली डायरी में मिले लेन-देन के विवरण के आधार पर ईडी की जांच शासन-प्रशासन और पुलिस विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है। इसकी जद में कुछ राजनेता भी आ सकते हैं। बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों ने सौरभ के प्रोपर्टी कारोबार में अपनी अवैध कमाई लगाकर बेनामी संपत्तियां खरीदी हैं। छापे में इनके नाम सामने आए हैं।

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