
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग के साथ ही बड़े-बड़े बैंक फ्रॉड हो रहे हैं, लेकिन उनकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जगह दूसरी एजेंसियां कर रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है की प्रदेश में ईडी के पास पर्याप्त स्टाफ ही नहीं हैं। इस कारण बैंक फ्रॉड के ज्यादातर मामले भी जोनल ऑफिस अहमदाबाद के पास छानबीन में हैं। मध्यप्रदेश में बैंकों के साथ धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग, हवाला, फेमा और आय से अधिक संपत्ति के कई हाई प्रोफाइल मामले सामने आए हैं। साथ ही बैंक घोटाले के मामले ही हजारों करोड़ रुपए के हैं जिनमें सीबीआई ने कई ठिकानों पर छापामारी की है। प्रदेश में कई शासकीय अफसरों पर ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई और आय से अधिक संपत्ति के प्रकरण सुर्खियों में रह चुके हैं। लेकिन तकनीकी कारणों के चलते ऐसे मामले भी ईडी तक नहीं पहुंच पाए। इस वजह से ईडी की ओर से एनफोर्समेंट इंफॉर्मेशन केस रिपोर्ट (ईआईसीआर) भी दर्ज नहीं हो पा रही।
प्रदेश में जल्द ही खुलेंगे कई जोनल ऑफिस
विभागीय सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही भोपाल में ईडी का जोनल ऑफिस और इंदौर सहित जबलपुर व ग्वालियर में सब जोनल ऑफिस खोलने की तैयारी है। दरअसल हाल ही में मप्र सीबीआई ने हजारों करोड़ रुपए के बैंक घोटाले के मामलों में प्रकरण दर्ज किए हैं। मप्र के ज्यादातर प्रकरण ईडी के जोनल आॅफिस के पास हैं। कई बार जोनल ऑफिस स्वयं ही संज्ञान लेकर मामला जांच में ले लेता है।
नहीं मिली रहा जांच एजेंसियों का सहयोग
प्रदेश में हाई प्रोफाइल मामलों की जांच से ईडी इसलिए भी दूर है कि उसे जांच एजेंसियों से सहयोग नहीं मिल पा रहा है। बताया जाता है कि आय से अधिक संपत्ति के मामलों में प्रदेश की जांच एजेंसियों द्वारा देर से एफआईआर अपलोड किए जाने अथवा ईडी के अनुरोध पर समुचित जानकारी साझा न किए जाने की वजह से ईडी की कार्रवाई और ईआईसीआर दर्ज नहीं हो पाती। ईआईसीआर, प्रथम सूचना रिपोर्ट की तरह ही है। दूसरा कारण यह भी है कि मप्र में सीमित स्टाफ के चलते भी कई मामले उसकी जांच में नहीं आ पाते। प्रदेश में कई शासकीय अधिकारियों के यहां कार्रवाई में आय से अधिक संपत्ति पकड़ी जा चुकी है। उधर आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ मप्र के महानिदेशक अजय शर्मा कहते हैं कि ईडी की ओर से जो भी जानकारी मांगी जाती है उसे हम तुरंत भेज देते हैं। जांच एजेंसियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान सामान्य प्रक्रिया है।
प्रदेश में सुर्खियों में थी कार्रवाई: अक्टूबर 2019 में इंदौर में पदस्थ तत्कालीन सहायक आबकारी अधिकारी आलोक खरे के यहां छापे का मामला देश भर की सुर्खियों में रहा था। उस वक्त जांच एजेंसी ने दो दर्जन ठिकानों पर करीब 150 करोड़ की काली कमाई का खुलासा किया था। उसके रईसी ठाट और शाही जीवनशैली देख जांच अधिकारी भी भौंचक थे। इसी तरह बैंक घोटाले, हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और फेमा से जुड़े मामले भी मिले लेकिन ईडी की कार्रवाई सामने नहीं आई।
मप्र: बैंक घोटालों की बानगी और सीबीआई के छापे
जून 2021: 188 करोड़ का बैंक फ्रॉड, इंदौर में कार्रवाई
मार्च 2021: 3 हजार 700 करोड़ का घोटाला, भोपाल सहित 11 राज्यों में छापे
नवंबर 2020: 106 करोड़ का घोटाला, मंदसौर की कंपनी पर छापा
नवंबर 2019: 6 करोड़ का बैंक फ्रॉड, मुरैना में छापामारी
नवंबर 2019: 7 हजार करोड़ का घोटाला, मप्र सहित कई राज्यों में छापे