- सरकारी विभागों में कम्प्यूटर, स्कैनर का अभाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र के सरकारी विभागों में पारदर्शिता और काम को गति देने के लिए ई-फाइलिंग सिस्टम तो लागू कर दिया गया है, लेकिन यह रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, सरकारी विभागों में कम्प्यूटर, स्कैनर जैसे आवश्यक संसाधनों का अभाव। आर्थिक सांख्यिकी, तकनीकी शिक्षा, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण जैसे प्रमुख विभागों में ही संभाग और जिला कार्यालयों में स्थिति ठीक नहीं है। राज्य स्तर पर भी अभी पूर्ण सुविधा नहीं जुट पाई है। जानकारों का कहना है कि पहले तकनीकी विशेषज्ञों से मैदानी अध्ययन कराना चाहिए था, फिर संसाधन जुटाने थे। वहीं विभागों में ई-फाइलिंग सिस्टम को सफल बनाने के लिए सबसे पहले हर कर्मचारी को प्रशिक्षण देना चाहिए था। दरअसल,राज्य सरकार ने सरकारी विभागों में ई फाइलिंग सिस्टम तो लागू कर दिया है, लेकिन संसाधनों का अभाव आपसी विवादों को जन्म दे रहा है। जितने अनुपात में फाइलें हैं, उस हिसाब से तकनीकी संसाधन नहीं जुटाये गये हैं। इधर सक्षम अफसरों का कार्य लक्ष्य कर्मचारियों में तनाव पैदा कर रहा है। कोरोना के पहले भी सरकार ने यह प्रयोग किया था, जो असफल रहा था। राज्य से लेकर ब्लॉक और गांव के शासकीय कार्यालयों तक यह सिस्टम लागू हुआ है। यह प्रक्रिया शुरू तो कर दी गई है, लेकिन सुविधाओं की कमी में आये दिन परेशानियां पैदा हो रही हैं। जानकारी के अनुसार एक कर्मचारी के पास 25 से लेकर 75 फाइलें रहती है। ऐसे में हर कर्मचारी के पास कंप्यूटर जरूरी है। विभागों में कार्य अनुपात के हिसाब से स्कैनर भी आवश्यक है।
तकनीकी ज्ञान का अभाव बन रहा बाधा
सिस्टम के अंतर्गत नवीन आदेश के तहत ई-फाइलिंग होना ही है। अब जिन पुरानी फाइलों के अंबार में दीमक लगी हुई है, उन्हें साफ करके स्कैन करने का अभियान चल रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी एक फाइल में 50 से लेकर 70 पेज है। इसको स्कैन करने में कम से कम एक या डेढ़ घंटा लग रहा है। कई बार इंटरनेट परेशान कर रहा है। इससे और मुसीबतें बढ़ती है। इस प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों को अधिकारी सुलझा नहीं पा रहे हैं। ऊपर से काम का दबाव बनाया जा रहा है। मौजूदा माह के दो सप्ताह में ई-फाइलिंग में कार्य को लेकर कई विभागों में विवादों के हालात पैदा हुए है। कारण है कि अधिकारी इस कार्य के लिए समय-सीमा तय कर रहे है जबकि कर्मचारी कह रहे है कि तात्कालिक तौर पर यह संभव नहीं है। क्योंकि अनेक कर्मचारियों को अभी कंप्यूटर चलाने का ज्ञान नहीं है। विभागों में व्यवस्था तो शुरू हो गई लेकिन सरकारी संवकों को इसके लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है। पूर्व से जो कंप्यूटर और स्कैनर है। उन्हीं से काम चल रहा है। पहले से जो कर्मचारी कंप्यूटर में दक्ष है। उन्हीं के भरोसे काम करना पड़ रहा है।
विभागों के बीच विवाद की स्थिति
ई-फाइलिंग को लेकर सप्ताह में आठ बड़े और छोटे कार्यालयों में विवाद की स्थिति बनी है। 15 फरवरी को जल संसाधन विभाग में सुविधा की कमी को लेकर विवाद हुआ। 18 फरवरी को तकनीकी शिक्षा में अधिकारी और कर्मचारियों के बीच कहा सुनी हुई। पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में 14 फरवरी को सहायक संचालक और बाबू के बीच नोक-झोंक। विंध्याचल स्थित आर्थिक सांख्यिकी और कृषि कल्याण में इसी दिन यह स्थिति बनी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास में कर्मचारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष सुविधा में कमी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी है। स्कूल शिक्षा विभाग की इकाई राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण संचालनालय में मांग करने के बाद भी पूरी सुविधा प्रदान नहीं की गई है। फूड एण्ड ड्रग्स एवं आयुष विभाग में मौजूदा सप्ताह की सोमवार को कर्मचारियों ने पूरी व्यावहारिक कठिनाइयां सक्षम अधिकारियों को बताई है। लेखाधिकारी तकनीकी शिक्षा भानु तिवारी का कहना है कि ई-फाइलिंग व्यवस्था लागू तो कर दी गई, लेकिन कंप्यूटर नहीं है। स्कैनर का अभाव है। कर्मचारियों में दक्षता की कमी है। इसलिए प्रत्येक विभाग में समस्या खड़ी हो रही है।