मप्र में अगले साल से होगी ई-कैबिनेट बैठकें

ई-कैबिनेट
  • उत्तराखंड के बाद व्यवस्था लागू करने वाला दूसरा राज्य बनेगा मप्र

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  उत्तराखंड के बाद अब मप्र में भी ई-कैबिनेट बैठक शुरू की जाएंगी। इसको लेकर सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इस व्यवस्था के तहत भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना केंद्र ने एक पोर्टल तैयार किया है जो सभी कैबिनेट बैठकों के संचालन को सुविधाजनक बनाएगा। ई-कैबिनेट प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही मंत्रिपरिषद के सदस्यों के निज सचिव, निजी सहायक और अन्य स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में ई-कैबिनेट पोर्टल पर प्रस्ताव अपलोड करने, अनुमोदन प्रक्रिया और बैठक में वर्चुअल भागीदारी की तकनीकी जानकारी दी जाएगी।
बता दें कि, उत्तराखंड में इसकी शुरुआत पांच साल पहले हुई थी और अब मप्र में भी इसे लागू किया जा रहा है। यह कदम राज्य में शासन प्रणाली को और भी अधिक आधुनिक और दक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। जानकारी के अनुसार, ई-कैबिनेट व्यवस्था लागू होने के बाद कैबिनेट के सभी एजेंडा, प्रस्ताव, नोटशीट और अनुमोदन दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड किए जाएंगे। मंत्रियों को प्रस्ताव पोर्टल के माध्यम से प्राप्त होंगे। अनुमोदन और टिप्पणी ऑनलाइन की जाएगी। कैबिनेट बैठक में प्रारंभिक चरण में भौतिक प्रतियां रखी जाएंगी, लेकिन कुछ समय बाद यह व्यवस्था पूरी तरह पेपरलेस कर दी जाएगी।
नए साल में शुरू होगी ई-कैबिनेट बैठकें
दरअसल, मप्र सरकार प्रशासनिक कार्यप्रणाली को पूरी तरह पेपरलेस बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। नए साल से प्रदेश में ई-कैबिनेट बैठकें शुरू की जाएंगी। यह व्यवस्था पूरी तरह डिजिटल होगी, जिसमें प्रस्तावों से लेकर अनुमोदन तक की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन माध्यम से होंगी। आधिकारिक जानकारी के अनुसार भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) ने ई कैबिनेट पोर्टल तैयार किया है, जबकि मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीएसआईडीसी) ने इसके लिए विशेष टैबलेट तैयार कराए हैं। शीघ्र ही ये टैबलेट सभी मंत्रियों, अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों को वितरित किए जाएंगे। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने संबंधित विभागों को टैबलेट वितरण की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
सभी प्रक्रियाएं होंगी ऑनलाइन
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ई-कैबिनेट के लिए मंत्रियों को प्रस्ताव ऑनलाइन भेजे जाएंगे। प्रशासनिक अनुमोदन सहित सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन होंगी। इस व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए सभी मंत्रियों को टेबलेट दिए जाएंगे। प्रारंभ में प्रस्ताव एवं अन्य संबंधित दस्तावेज भौतिक रूप से भी रहेंगे जिन्हें बाद में पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। ई-कैबिनेट व्यवस्था का एक लाभ यह भी होगा कि मंत्रियों के भोपाल में किसी कारण से उपस्थित नहीं होने की सूरत में वे कहीं से भी वर्चुअली जुड़ सकेंगे। यह सुविधा विशेष रूप से उन परिस्थितियों में उपयोगी होगी, जब मंत्री दौरे पर हों। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पहल डॉ. मोहन यादव सरकार की डिजिटल गवर्नेस नीति के अनुरूप है। इससे शासन कार्य में पारदर्शिता बढ़ेगी, समय की बचत होगी और निर्णय प्रक्रिया और अधिक त्वरित बनेगी।
फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन
प्रशासनिक कामकाज में गति एवं पारदर्शिता लाने के मकसद से प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया है। इसकी शुरुआत मंत्रालय से गत एक जनवरी से हुई थी। सीएम डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में ई-ऑफिस सिस्टम का शुभारंभ किया था। वर्तमान में मंत्रालय में अधिकतर फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन हो रहा है। दूसरे चरण में विभागाध्यक्ष कार्यालयों में और तीसरे चरण में जिलों के सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया है। हालांकि जिलों के सरकारी कार्यालयों में अब भी अधिकतर फाइले मैनुअली आगे बढाई जा रही है। मंत्रालय में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हुए 11 महीने हो गए, लेकिन प्रदेश सरकार के मंत्री अब भी फाइलों को मैनुअली आगे बढ़ा रहे हैं। अब तक एक भी मंत्री ने ई-ऑफिस सिस्टम के जरिए फाइलें निपटाने में रुचि नहीं दिखाई है। यह स्थिति तब है, जब मंत्रियों के निजी स्टाफ निज सचिव/निज सहायक को ई-ऑफिस सिस्टम का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। बड़ा सवाल यह है कि जब सभी सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू है, तो मंत्री मैनुअली फाइले आगे क्यों बढ़ा रहे हैं?
विधानसभा की कार्यवाही भी होगी ऑनलाइन
मप्र विधानसभा की कार्यवाही ऑनलाइन संचालित किए जाने की तैयारियां की जा रही है। सवाल-जवाब, बजट प्रस्तुति, विभागीय रिपोर्ट आदि सभी ई-विधान प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे। गत जुलाई-अगस्त में आयोजित मानसून सत्र में विधानसभा की कार्यवाही ऑनलाइन किए जाने की तैयारियां पूरी कर ली गई थी, लेकिन टैबलेट की खरीदी नहीं हो पाने के कारण सदन की कार्यवाही ऑनलाइन नहीं की जा सकी। ई-विधान प्रणाली में विधायकों की सीट पर टैबलेट लगाने के साथ ही उन्हें एक-एक टैबलेट प्रदान किया जाएगा, जिससे वे अपने कार्यालय के जरिए विधानसभा से कनेक्ट हो सकेंगे।

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