शिव की स्थित प्रज्ञयता और मेहनत से मप्र टीकाकरण में 75 देशों पर भारी

शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कहते हैं कि जो व्यक्ति आलोचना और विरोध की परवाह न कर कर्म को प्रधानता देता है, उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसका मौजूदा दौर में सबसे बड़ा उदाहरण हैं मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। उनकी इसी कार्यशैली की वजह से आज मप्र उन राज्यों में शामिल है, जिसमें अब गिनेचुने ही कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं।
जब वे कोरोना पर काबू पाने का ध्येय को लेकर आगे बढ़ रहे थे, तब उनको मानसिक परेशानी का सामना जरुर करना पड़ा। दरअसल इस परेशानी को खड़ा किया था पार्टी के ही उन नेताओं ने जो उनके विरोधी माने जाते हैं। कोरोना महामारी से निपटने के बीच उनके द्वारा मुलाकात पॉलिटिक्स तेजी से शुरू की गई थी, लेकिन शिवराज सिंह ने इसे नजरअंदाज किया, स्थित प्रज्ञ रहे, कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की, इसका जवाब उन्होंने कुछ इस तरह से दिया कि उनके विरोधियों के स्वर अपने आप ठंडे पड़ गए। शिवराज सिंह एक दिन के लिए सपरिवार पचमढ़ी चले गए थे। हरी-भरी खूबसूरत वादियों के बीच लगभग 24 घंटे बिता कर तरोताजा होकर  जब वे लौटे तो एक बार फिर उनके निशाने पर कोरोना था। इसकी तीसरी लहर को निष्प्रभावी बनाने के लिए उनके द्वारा प्रदेश में वृहद स्तर पर वैक्सीनेशन का ऐसा प्लान बनाया गया। इस प्लान की वजह से ही एक ही दिन में मप्र देश का वह राज्य बन गया जहां पर सर्वाधिक वैक्सीनेशन हुआ है। यही नहीं मप्र की राजनीति के लिए यह दिन बेहद अनूठा माना जा रहा है। इसकी वजह है पहली बार सत्ता व विपक्ष सभी इस मामले में एक साथ न केवल खड़े दिखे बल्कि पहली बार सकारात्मक राजनीति करते हुए भी नजर आए। वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अरुण यादव ने जहां वैक्सीनेशन का समर्थन करते हुए लोगों को प्रेरित करने वाले ट्वीट किए तो वहीं इस मामले में शिवराज सिंह चौहान भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने इस प्रोत्साहन वाले ट्वीट पर धन्यवाद का ट्वीट कर सकारात्मक संदेश दिया। इस सुखद जुगलबंदी का ही परिणाम है कि मप्र ने एक दिन में 16 लाख 73 हजार 858 लोगों को वैक्सीनेट करने का नया रिकार्ड बना डाला। इस टीकाकरण की खास बात यह रही कि जिन जिलों को पिछड़ा, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग बाहुल्य माना जाता है उन जिलों में लोगों ने ऐसा उत्साह दिखाया कि वहां टीकाकरण लक्ष्य से दोगुना तक हुआ है। इसके लिए आनन-फानन में प्रशासन को वैक्सीन भिजवाने की व्यवस्था करनी पड़ी। इसकी वजह से प्रदेश में बीती देर रात तक चुनावी मतदान जैसा माहौल बना रहा। देर रात तक प्रशासन जहां आंकड़े जुटाने में लगा रहा तो वहीं स्वास्थ्य केंद्रों और वैक्सीनेशन सेंटर पर तैनात अमला देर रात तक अपना सामान जमा कराने में लगा रहा। कई जगह हालात तो ऐसे बने रहे कि तय समय के बाद भी लोगों की कतार के चलते वैक्सीनेशन का काम देर तक करना पड़ा है। दरअसल इस वैक्सीनेशन अभियान के लिए स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कई दिनों से खुद ही लगे हुए थे। वे लगातार लोगों को इसके लिए प्रेरित करने का भी काम कर रहे थे, जिसका असर यह हुआ कि लोग वैक्सीनेशन के लिए उमड़ पड़े। यही नहीं सीएम चौहान खुद अलग-अलग जिलों में तीन वैक्सीनेशन स्थल पर पहुंचे तो कमलनाथ के आव्हान पर कांग्रेसी भी सक्रिय नजर आए। दरअसल वैक्सीनेशन की अगुवाई कर रहे शिवराज ने इसके लिए धर्मगुरुओं से लेकर व्यवसायिक और सामाजिक संगठनों की इसमें मदद लेकर उनकी सहभागिता सुनिश्चित की। परिणामस्वरुप वैक्सीन को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को तोड़ने में आशा से अधिक सफलता मिली। यही वजह रही कि एक वो गांव जिसमें सरकारी वैक्सीनेशन अमले को घुसने तक नहीं दिया जा रहा था, उसी गांव में शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन एक ही दिन में हो गया।
75 देशों पर भारी पड़ा मप्र का एकदिनी टीकाकरण
मप्र में बीते रोज एक ही दिन में जितना टीकाकरण हुआ है अगर उसकी आबादी के हिसाब से तुलना की जाए तो विश्व के 223 देशों में से 75 देश ऐसे हैं जिनकी आबादी टीकाकरण से कम है। यानि इन देशों से तुलना की जाए तो मप्र ऐसा राज्य बन चुका है , जहां पर एक ही दिन में उनकी आबादी के बराबर टीकाकरण किया गया है। इनमें कई देश  तो ऐसे हैं जिनकी आबादी से कई गुना अधिक वैक्सीनेशन एक ही दिन में हुआ है। इन देशों में ब्रुनेई, सूरीनाम, गिनी, भूटान, गुयाना, साइप्रस, फिजी, स्विट्जरलैंड त्रिनिदाद, मालटा , मालदीव आदि शामिल हैं।
तीसरी लहर पर लगाम की तैयारी
मप्र ऐसा राज्य है जो तीसरी लहर को बेअसर साबित करने के लिए अभी से पूरी तरह से वैक्सीनेशन पर जोर लगा रहा है। अब प्रदेश में 1 जुलाई को भी इसी तरह का अभियान चलाकर वैक्सीनेट करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। माना जा रहा है कि पहले ही वैक्सीनेशन उत्सव में रिकॉर्ड तोड़ सफलता मिलने के बाद अब प्रदेश सरकार द्वारा तय किए गए दस लाख की जगह उसे डेढ़ गुना तक किया जा सकता है। दरअसल कोरोना पर काबू पाने का सबसे बेहतर उपाय वैक्सीनेशन ही है। वैक्सीनेशन के रिकॉर्ड बनने की वजह से ही अब केंन्द्र सरकार एक जुलाई से पहले प्रदेश को 25 लाख डोज देने जा रही है।

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