
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। जिस विधानसभा सीट से सूबे का मुखिया, मंत्री और सत्तारुढ़ दल का प्रदेश मुखिया रहा हो, अगर उसे इलाके की दो दशक पुरानी मांग पूरी नहीं हो पा रही है तो इसे इन दिग्गज नेताओं की उपेक्षा ही कही जाएगी। यह हकीकत है पूर्वी निमाड़ अंचल के खडंवा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली बागली विधानसभा सीट की। इस सीट की खास बात यह है कि यह सीट भाजपा के गढ़ के रुप में जानी जाती है। इसके बाद भी इस क्षेत्र की जनता को अपनी दशकों पुरानी इस मांग को पूरा करवाने के लिए अब अब आंदोलन की राह पकड़नी पड़ रही है। यह आंदोलन भी ऐसे समय हो रहा है जब कि खंडवा लोकसभा का उपचुनाव होना है और इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से भाजपा प्रत्याशी को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना बनी हुई है। खास बात यह है कि इस सीट पर भाजपा के पूर्व कद्दावर नेता कैलाश जोशी लगातार विजयी होते रहे हैं। वे मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन उनके द्वारा यहां की इस प्रमुख मांग को पूरा कराने के कोई प्रयास ही नहीं किए गए। उसके बाद उनके पुत्र दीपक जोशी भी यहां से विधायक बनने के बाद प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं फिर भी वे नर्मदा जल की मांग पूरी कराने के प्रयास नहीं कर सके। यही वजह है कि बीते विधानसभा चुनाव में इस सीट को भाजपा हारने पर मजबूर हो गई। यह वो सीट भी है जिसका लोकसभा में कई बार भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब उनके निधन से ही यह सीट रिक्त हुई है। वे लगातार दो बार प्रदेश में भाजपा की सरकार रहते पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके, लेकिन उनके द्वारा भी इस मांग को पूरा नहीं किया गया। अब इसी नर्मदा जल की मांग को लेकर बागली विधानसभा के लोग आंदोलन की राह पकड़ चुके हैं। इसकी वजह से यह बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। फिलहाल अभी चुनाव आयोग द्वारा यहां पर चुनावी तैयारियां शुरू नहीं की गई है, लेकिन इसके बाद भी इस इलाके में हलचल होना शुरू हो गई है।
नर्मदा जल नहीं तो वोट नहीं के बैनर लगे
बागली विधानसभा इलाके में बीते एक पखवाड़े से किसान संगठन गांव-गांव जाकर लोगों से इस मामले जनसमर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। ग्राम छतरपुरा में तो गांव वालों ने एक बैनर ही लगा दिया है, जिसमें नर्मदा जल नहीं तो वोट नहीं लिखा हुआ है। इसी तरह से करनावद में किसान और ग्रामीणों ने मिल कर रैली भी निकाली है। यही नहीं नयापुरा में निकाली गई मशाल रैली में तो महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस बार किसान संघ इलाके की नर्मदा जल लाने की डेढ़ दशक पुरानी मांग को अंजाम तक ले जाने का दावा कर रहे हैं। उधर सत्तापक्ष के लोग भी अब मान रहे हैं कि उपचुनाव से पहले सरकार-संगठन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।
परियोजना से बाहर किया इलाके को
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी की कर्मस्थली बागली को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। ज्ञात रहे कि नर्मदा जल लाने के लिए इस विधानसभा से वर्ष 1990-91 में बड़ा जनआंदोलन भी किया जा चुका है।