
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। संरक्षा व सुरक्षा का ढिंढोरा पीटने वाले रेलवे विभाग द्वार स्वयं ही अपने इन दावों पर खरा नहीं उतरता दिख रहा है। इसकी वजह है ट्रेन चालकों से लिया जाने वाला तय समय से अधिक काम। दरअसल बीते कई सालों से रेलवे ने लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर भर्ती ही नहीं की है, जिसकी वजह से विभाग में 5,696 पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में इन पदों के एवज में मौजूदा लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट से औसतन तीन घंटे अधिक काम कराया जा रहा है। इसकी वजह से न केवल उनकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बड़ रही हैं। अगर पश्चिम मध्य रेलवे के तहत आने वाले भोपाल, जबलपुर और कोटा मंडलों की बात करें तो पश्चिम मध्य रेलवे में 219 पद खली पड़े हुए हैं। इस वजह से लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट से नियम विरुद्ध 12-12 घंटे तक काम कराया जा रहा है। इसकी वजह से उन्हें दबाव में काम करना पड़ रहा है। यह तब स्थिति है जबकि रेलवे हादसों की सबसे बड़ी वजह इसे ही माना जा रहा है। अगर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की बात करें तो वहां पर सर्वाधिक 1192 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इस मामले में सर्वाधिक अच्छी स्थिति पूर्वोत्तर रेलवे की है। जहां पर महज 23 पद रिक्त हैं। एक्सप्रेस, पैसेंजर से लेकर मेमू और मालगाडिय़ों को लाने ले जाने का जिम्मा इनका ही होता है। स्टाफ की कमी के कारण पायलट से ज्यादा ड्यूटी ली जा रही है। खासकर मालगाडिय़ों के पायलट 12-12 घंटे और कभी-कभी उससे भी ज्यादा ड्यूटी करते हैं। ओवरटाइम से थकान और अनिद्रा हादसे का कारण बनते हैं। इसके बाद भी रेलवे द्वारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की कवायद तक नहीं की जा रही है।
क्या कहता है नियम…
रेलवे बोर्ड ने रनिंग स्टाफ के लिए एक बार में लगातार ड्यूटी नौ घंटे से ज्यादा नहीं होने का आदेश जारी किया है। इसमें वृद्धि तभी संभव है, जब रेल प्रशासन नौ घंटे समाप्त होने से दो घंटे पहले क्रू को सूचना दे कि उन्हें इसके बाद भी भी ड्यूटी करनी पड़ सकती है। इसके बाद भी साइन आन और साइन ऑफ तक कुल ड्यूटी 11 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। जहां रिलीवर की व्यवस्था है, वहां तक यदि 11 घंटे में नहीं पहुंच पाते और घंटे भर का रास्ता शेष हो, तब की स्थिति में काम करना अपेक्षित होगा। इसके बावजूद 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी किसी हाल में नहीं होनी चाहिए।
इस तरह के तर्क
रेलवे बोर्ड के आदेश की रेलवे के अधिकारी अपने आधार पर व्याख्या कर रहे है। लोको पायलट या असिस्टेंट की ड्यूटी लाबी में पहुंचने के बाद शुरू होती है। इसे साइन इन कहा जाता है, लाबी में पेपर वर्क, लोको तक पहुंचने और चार्ज लेने में 10-10 मिनट के हिसाब से आधा घंटा लगता है। इसी तरह आधे घंटे का समय साइन आफ में लगता है। यदि गाडी लेट पहुंचती है, तो उसे रेलवे अधिकारी रनिंग ड्यूटी में शामिल नहीं करते। जब गाड़ी रवाना होती है, तभी ड्यूटी शुरू होती है।
यह है स्थिति
रेलवे जोन स्वीकृत पद खाली पद
वेस्ट सेंट्रल रेलवे 729 219
सेंट्रल रेलवे 1783 535
ईस्ट सेंट्रल रेलवे 76 76
ईस्ट कोस्ट रेलवे 1595 479
ईस्टर्न रेलवे 1382 415
नार्थ सेंट्रल रेलवे 802 241
नार्थ ईस्टर्न रेलवे 143 43
नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे 428 129
नार्दन रेलवे 499 150
नार्थ वेस्टर्न रेलवे 761 228
साउथ सेंट्रल रेलवे 1949 585
साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे 3973 1192
साउथ ईस्टर्न रेलवे 1001 300
सदर्न रेलवे 726 218
साउथ वेस्टर्न रेलवे 1576 473
वेस्टर्न रेलवे 1376 413