- ‘ग्रीनफील्ड’ के लिए जमीन नहीं दे रहे किसान…
- गौरव चौहान

सबसे बड़ा और महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ग्वालियर-आगरा एक्सप्रेस वे (सिक्सलेन ग्रीनफील्ड हाइवे) की डीपीआर तैयार हो गई है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही आगरा से ग्वालियर के बीच सिक्स लेन ग्रीनफील्ड हाइवे बनेगा। लेकिन इस प्रोजेक्ट में मुरैना के किसान बड़ी बाधा बन गए हैं। मुरैना के किसानों का एक समूह सिक्सलेन ग्रीनफील्ड हाइवे के लिए जमीन देने को तैयार नहीं है। इससे इस प्रोजेक्ट पर खतरा मंडराने लगा है। जबकि इस प्रोजेक्ट के बनने से किसानों को भी फायदा होगा। अभी तक आगरा से ग्वालियर आने में तीन घंटे लगते हैं। पर इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद सिर्फ डेढ़ घंटे में आ सकेंगे। इससे मप्र, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के लोगों को लाभ मिलेगा। ग्वालियर-आगरा एक्सप्रेस-वे के लिए निविदाएं आमंत्रित कर दी गई हैं। इससे औद्योगिक क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। लेकिन ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे मुरैना में जमीनों के अधिग्रहण के मुद्दे पर फंस गया है। एक्सप्रेस-वे के लिए प्रशासन की कार्रवाई जमीन अधिग्रहण के अंतिम चरण यानी मुआवजा वितरण तक पहुंच चुकी है, लेकिन अधिकांश किसान मुआवजा के लिए बैंक खाता, आधार कार्ड व अन्य जरूरी दस्तावेज नहीं दे रह हैें। किसानों का कहना है कि सरकार जमीन के बदले एक हेक्टेयर का कलेक्ट्रेट रेट से 10 लाख रुपए तक दे रही है जबकि गांवों में कीमत 50 लाख तक पहुंच गई है। मुरैना में किसानों की इसी तरह की असहमति व विरोध के कारण मप्र, उप्र और राजस्थान को जोड़ने के लिए प्रस्तावित अटल प्रगति पथ की प्रक्रिया भी करीब एक साल से ठंडे बस्ते में है।
किसानों ने शुरू किया विरोध
ग्वालियर-आगरा ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे के निर्माण में के लिए मप्र के ग्वालियर, मुरैना, राजस्थान के धौलपुर और उत्तर प्रदेश के आगरा में जमीनों को अधिग्रहण होना है, इनमें सबसे अधिक मुरैना जिले में 42 गांवों में जमीन का अधिग्रहण के लिए चिन्हित किया गया है। मुरैना ब्लाक के 22 गांवों के 6765 किसानों की 180.9205 हेक्टेयर जमीन और अंबाह ब्लाक के तीन गांवों के 582 किसानों की 20.2470 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर मुआवजा देना है, लेकिन इन 7347 किसानों में से प्रशासन को 2645 किसानों के बैंक खाते व अन्य जानकारी ही उपलब्ध हो पाई हैं, इनमें से भी अधिकांश किसानों का आरोप है कि, प्रशासन ने यह जानकारी पीएम किसान सम्मान निधि के उनके रिकॉर्ड से उठा ली है। जिसमें उनकी सहमति नहीं है। 17 गांवों में करीब 3000 किसानों तो अधिग्रहण के लिए जमीन का सर्वे करने तक का विरोध कर रहे हैं। मुरैना एसडीएम भूपेंद्र सिंह का कहना है कि जल्द से जल्द भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए किसानों को समझाइश देकर उनसे दस्तावेज लेने का प्रयास कर रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि रिकॉर्ड से किसानों के खाता नंबर ले रहे है। आधार कार्ड और पेन कार्ड की जानकारी किसान से लेनी है जो कई किसानों से नहीं मिल पा रही। देहात क्षेत्र होने के कारण जमीनों की सरकारी दर कम है, इसीलिए मुआवजा राशि उसी हिसाब से है। इस संबंध में भी शासन को अवगत कराया जाएगा। गौरतलब है कि चंबल अंचल के मुरैना, श्योपुर और भिंड जिलों से होकर 199 किमी का सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे अटल प्रगति पथ भी प्रस्तावित है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को जोड़ने वाले भारत माला परियोजना के तहत बजट भी स्वीकृत हो गया, तीन बार सर्वे हो गया और अंतिम सर्वे अलाइनमेंट में चंबल के किसानों ने जमीन अधिग्रहण का ऐसा विरोध किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 27 मार्च 2023 को सर्वे को निरस्त कर दिया। 16 माह से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में है। कागजों में न पुराना सर्वे निरस्त हुआ, न नया सर्वे हो रहा।
60 मिनट में आगरा का सफर…
ग्वालियर-मुरैना-आगरा होकर दिल्ली से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 44 पर क्षमता से तीन गुना तक वाहन दौड़ रहे हैं, इस कारण हादसों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। इसलिए आगरा से लेकर ग्वालियर तक ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे को सरकार ने मंजूरी दी है। 4600 करोड़ से ज्यादा में बनने वाले इस एक्सप्रेस-वे ग्वालियर से आगरा की दूरी 120 किमी से घटकर 88 रह जाएगी। सडक़ मार्ग से ग्वालियर से आगरा पहुंचने में ढाई से पौने तीन घंटे का जो समय लगता है, वह सफर एक घंटे में पूरा हो जाएगा और लगातार बढ़ रहे हादसों में भी कमी आएगी। यह सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे यमुना एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट होगा, जिससे दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक का सफर आसान हो जाएगा।