पटरी से उतरी किसानों की योजना, दोगुनी आय पर संशय

कोरोना संकट

-प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से बदल गईं स्थितियां

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संकट काल में प्रदेश सरकार की एक के बाद एक कई योजनाएं पटरी से उतर गई। यानी जिन उद्देश्यों को लेकर ये योजनाएं शुरू की गई थी वे कोरोना संक्रमण के फैलने से रुक गईं, आगे नहीं बढ़ सकीं। ऐसी ही एक योजना किसानों से संबंधित है। जिसमें खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि अधोसंरचना निधि योजना पर राज्य सरकार मिशन मोड में काम करने वाली थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण प्रदेश के कई जिलों में लगाए गए कोरोना कर्फ्यू की वजह से गतिविधियों पर विराम सा लग गया है। दरअसल इस बार कोरोना संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि कई जगह से मौतों की खबरें आने लगीं। ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर इंजेक्शन सहित अन्य दवाओं की कमी से हाहाकार मच गया। यही वजह रही कि राज्य सरकार का पूरा फोकस फिलहाल कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने, दवाओं, इंजेक्शन, आॅक्सीजन की कमी की आपूर्ति से लेकर अन्य स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं को बनाए रखने पर है। पूरा प्रशासनिक अमला अब इसके लिए काम कर रहा है कि किसी तरह लोगों की जान बचाई जा सके। ऐसे में बाकी योजनाओं पर काम लगभग ठप है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हालांकि कृषि, सहकारिता और उद्यानिकी विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया था। कृषि विभाग की ओर से राज्य स्तरीय निगरानी समिति, जिला स्तरीय निगरानी समितियों के गठन के साथ ही कृषक उत्पादक समूहों को आंदोलन के रूप में विस्तारित करने के लिए कार्यक्रम तय कर लिया गया था।
कृषि, सहकारिता और उद्यानिकी विभाग ने की थी तैयारी
उल्लेखनीय है कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि अधोसंरचना निधि योजना के अंतर्गत शुरुआत में प्रत्येक विकास खंड से योजना के तहत कम से कम दो प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए थे। सहकारिता विभाग की तरफ से भारत सरकार के उपक्रम नाबार्ड, एनसीबीसी के अधिकारियों को शामिल करते हुए सहकारिता विभाग अपेक्स बैंक और मार्कफेड के अधिकारियों की दो कमेटियों का गठन किया गया था। निर्धारित मापदंडों के मुताबिक जिला स्तरीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और विभिन्न समितियों को चिन्हित भी कर लिया गया था लेकिन अब एक बार फिर प्रदेश में स्थितियां बदल गई हैं। कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में सामान्य गतिविधियां लगभग ठप सी पड़ गई हैं। ऐसे में फिलहाल सरकार का पूरा फोकस कोरोना संक्रमण से निपटने पर हो गया है।
मिशन मोड पर संचालित होना था योजना को
राज्य सरकार कृषि अधोसंरचना निधि योजना को मप्र में मिशन मोड पर संचालित करने की तैयारी में थी। इस फंड के तहत किसानों को उद्यमी बनाने का प्रयास किया जाएगा। दरअसल इस योजना से  किसानों को उद्यमी बनाने के लिए नई व्यवस्था विकसित करने जा रही है जिससे कि किसानों को उद्यमी बनने में मदद मिल सके। इसके लिए प्राथमिक कृषि साख समितियों, किसान उत्पादक समूहों, स्व-सहायता समूहों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअप और बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के साथ ही केंद्रीय राज्य एजेंसियां या सार्वजनिक निजी साझेदारी परियोजना को कर्ज लेने के लिए पात्रता होगी। खास बात है कि इन सभी पात्र संस्थाओं को तीन प्रतिशत ब्याज पर छूट अगले सात वर्ष की अवधि के लिए मिल सकेगी।  साथ ही कृषि अधोसंरचना के तहत ही उन्नत सीड ग्रेडिंग प्लांट, वैक्यूम व्हीट पैकिंग यूनिट, वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज विकसित किया जाना है। प्रदेश में एक जिला एक पहचान के तहत विभिन्न जिलों में सब्जियों और फलों के उत्पादन की अधिकता का लाभ लेते हुए प्रोसेसिंग यूनिट विकसित की जाएंगी। वर्तमान में उत्पादन अधिक हो जाने से उत्पाद की कीमत कम हो जाने की स्थिति में किसान लाभान्वित नहीं हो पाता है। यही वजह है कि उद्यानिकी विभाग ने पैकहाउस, कोल्ड रूम, इंटीग्रेटेड हाउस, इंटीग्रेटेड कोल्ड चैन सप्लाई, मोबाइल प्रोसेसिंग यूनिट, सॉर्टिंग एंड ग्रेडिंग के प्रकरण तैयार किए गए हैं।
कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव की यह है योजना
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में किसानों को खेती के लिए जीरो प्रतिशत ब्याज पर कर्ज मिल रहा है लेकिन अब खेती से जुड़े व्यवसाय के लिए भी उन्हें सस्ता कर्ज मिल सकेगा। इसके लिए उन्हें तीन फीसदी तक ब्याज में छूट मिल सकेगी। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव करते हुए कृषि अधोसंरचना फंड स्थापित किया है। इस फंड में सात हजार करोड़ का प्रावधान किया जा रहा है। इतनी बड़ी राशि के फंड से कृषि से जुड़ी संस्थाओं को रियायती दामों पर कर दिया जाएगा। इन संस्थाओं, समितियों और समूहों को दो करोड़ रुपए तक का कर्ज दिया जाएगा। यही नहीं राज्य सरकार वार्षिक ब्याज दर में तीन प्रतिशत की छूट भी देगी।
किसानों को सस्ते कर्ज पर कोरोना का अड़ंगा
 दूसरी ओर कोरोना का असर बैंकों के कामकाज पर भी साफ दिखाई दे रहा है। इस कारण योजना के तहत किसानों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की योजना अपना स्वरूप लेने में सफल नहीं हो सकी है। ऐसे में राज्य सरकार को अब 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा।

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