10 फीसदी की कटौती पर ही देगा डीओपीटी पद वृद्धि की अनुमति

डीओपीटी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)  ने प्रदेश की आईपीएस लॉबी को बड़ा झटका देते हुए उसके प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। दरअसल प्रदेश से आईपीएस कॉडर रिव्यू के लिए भेजे गए 15 फीसदी पदों की वृद्धि को वह मानने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि वह पांच फीसद से अधिक पदों पर वृद्धि नहीं देगा। इसकी वजह से अब प्रदेश के आईपीएस कॉडर रिव्यू का मामला फिलहाल खटाई में पड़ गया है। यही नहीं डीओपीटी ने कॉडर रिव्यू को लेकर एमएचए से कुछ और जानकारी का ब्यौरा मांगा है। इसके साथ ही उसके द्वारा इस प्रस्ताव को लेकर न्यायपूर्ण तर्क देने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र से आईपीएस कॉडर रिव्यू में 39 नए पदों की मांग की गई है।
यह संख्या प्रदेश में मौजूदा आईपीएस पदों की तुलना में 15 फीसद होती है। केन्द्र सरकार अगर इस मौजूदा प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है तो प्रदेश में मौजूदा 305 आईपीएस अफसरों की संख्या बढ़कर 348 पहुंच जाएगी। इस प्रस्ताव में राज्य सरकार द्वारा स्पेशल डीजी पुलिस ट्रेनिंग, आईजी होमगार्ड जबलपुर, आईजी पीटीआरआई, आईजी जेएनपीए समेत आईजी आरएपीटीसी इंदौर की पांच आईपीएस पोस्ट को सरेंडर करने का प्रस्ताव भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजा हुआ है।  गौरतलब है कि प्रदेश में आईपीएस अफसरों का कॉडर गड़बड़ा चुका है। दरअसल प्रदेश में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के इतने पद हैं कि उनके पास काम ही नहीं है। यही वजह है कि आईजी रेंजों में एडीजी स्तर के अफसरों की तैनाती करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से आईजी स्तर के अफसरों का हक मारा जा रहा है। उधर राज्य सरकार द्वारा भेजे गए आईपीएस अफसरों के कॉडर रिव्यू के प्रस्ताव से राज्य पुलिस सेवा के अफसर भी खुश नहीं हैं, वजह है इस रिव्यू प्रस्ताव में दोनों प्रमुख जांच एजेंसी लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की संभागीय इकाइयों में राज्य पुलिस सेवा के वरिष्ठ अफसरों की जगह सीधी भर्ती के आईपीएस अफसरों को पदस्थ करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
जांच एजेंसियों की इकाई की कमान होगी आईपीएस के पास
केन्द्र को भेजे गए कॉडर रिव्यू प्रस्ताव में मध्यप्रदेश राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और लोकायुक्त में आईपीएस अफसरों को ही एसपी बनाना शामिल है। दरअसल  मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 के बाद से प्रमोटी अफसरों को ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में एसपी बनाने की परंपरा शुरू हुई थी। इसे शिवराज सरकार ने जारी रखा, लेकिन अब उनकी ही सरकार ने पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर फिर से इन पदों पर सीधी भर्ती के आईपीएस अफसरों को पदस्थ करने का फैसला कर लिया है। अब तक राज्य पुलिस सेवा का ही अफसर प्रमोट होकर ईओडब्ल्यू एसपी के पद पर पदस्थ किया जाता रहा है। इसके साथ ही इस प्रस्ताव में मध्यप्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय से स्पेशल डीजी के दो नये पदों की मांग की है। यह दोनों स्पेशल डीजी फायर सर्विसेस और आईटीपीए भौंरी के लिए मांगे गए है। इसके अलावा गृह मंत्रालय से एडीजी के सोलह पद मांगे गए है। इनकी पोस्टिंग साइबर क्राइम, आरएपीटीसी इंदौर, जेएनपीए सागर, पीटीआरआई भोपाल, एंटी नक्सल ऑपरेशन नॉरकोटिक्स, एसटीएफ और ट्रेनिंग मुख्यालय में होगी। इसी तरह से एसडीआरएफ के लिए आईजी का एक पद और डीआईजी के 8 पद मांगे गए है।
छह साल पहले हुई थी पांच फीसदी पदों की वृद्धि
दरअसल प्रदेश में छह साल पहले वर्ष 2015 में हुए कॉडर रिव्यू में पांच फीसदी पदों में वृद्धि की गई थी। उस समय प्रदेश में 158 आईपीएस अफसर थे। पांच फीसद की वृद्धि के साथ ही उनके पदों की संख्या बढ़कर 166 हो गई थी।
वर्तमान कॉडर
कॉडर पोस्ट 166
स्टेट डेपुटेशन 21
सेंट्रल डेपुटेशन 66
जूनियर पोस्ट रिजर्व श्रेणी 27
कुल 305

Related Articles