
- भाजपा ऊहापोह में उलझी तो कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार शुरू
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में यह पहला मौका है जब नामाकंन के दूसरे दिन भी भाजपा राजधानी में ही अपने आधा दर्जन प्रत्याशियों के नामों को तय नहीं कर सकी है। इसकी वजह से भाजपा के दावेदारों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है, जबकि उसके प्रतिद्वंदी दल कांग्रेस के प्रत्याशी अपने प्रचार का श्रीगणेश तक कर चुके हैं। दरअसल भाजपा में इस स्थिति की वजह बने हैं उसके ही दल के बड़े नेता जो अब भी अपने -अपने समर्थकों के लिए टिकट दिलाने में पीछे नहीं रहना चाहते हैं। इनमें श्रीमंत से लेकर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले नेता तक शामिल हैं। इसकी वजह से अब संगठन की कार्यप्रणाली पर तक सवाल खड़े होने लगे हैं।
बीते डेढ़ दशक में यह पहला मौका है ,जब भाजपा का संगठन अपने ही दल के विधायकों की वजह से पूरी तरह से असहाय नजर आता दिख रहा है। इस स्थिति की वजह से ही भाजपा कई दशकों में पहली बार निकाय चुनावों में नामाकंन के अंतिम दिन तक अपने प्रत्याशी तय करने में उलझा रहा और फिर भी सभी सीटों के प्रत्याशी घोषित नहीं कर सका है। इसकी वजह से अब तय किया गया है कि प्रत्याशी के नामों की घोषणा की जगह नाम तय कर उन्हें साीधे बी फार्म थमा दिया जाए। दरअसल इस बार अधिकांश शहरी इलाकों में भाजपा के विधायकों ने संगठन पर ऐसा दबाब बनाया कि मजबूरन पार्टी को संगठन की पंसद की जगह विधायक समर्थकों को टिकट देने पड़ गए। अब भोपाल की बात की जाए तो नामाकंन के दूसरे दिन भी पार्टी होल्ड किए गए आधा दर्जन वार्ड के लिए अपने नाम तय नहीं कर सकी है। इनमें वे तीन वार्ड भी शामिल हैं, जिनमें श्रीमंत ने अपने तीन करीबी समर्थकों को टिकट दिए जाने की सिफारिश की थी। उनके यह तीनों समर्थक हैं पप्पू विलास, गिरीश शर्मा व ललित चतुवेर्दी (भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी के भाई)। इनमें से ललित के दावेदारी वाले वार्ड में भाजपा ने अपनी पंसद का दूसरा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। इसके अलावा कुछ नाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती,गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी दिए थे। अब इन्ही नामों को लेकर घमासान मचा हुआ है। यह बात अलग है कि इन वार्डों में भाजपा के दावेदार नेताओं ने अपने नामाकंन फार्म जमा करा दिए हैं। अब पार्टी जिसे बी फॉर्म देगी वही अधिकृत प्रत्याशी माना जाएगा। इस बार पार्टी में खींचतान की स्थिति इससे समझी जा सकती है कि पार्टी को अपनी 56 उम्मीदवारों की पहली सूची शुक्रवार मध्यरात्रि को जारी करनी पड़ी। इसमें से भी कुछ नाम दूसरे दिन शनिवार को जारी सूची से गायब हो गए। दूसरे दिन पार्टी ने 6 सीटें रोककर बाकी नाम जारी कर दिए। चूंकि नामांकन दोपहर 3 बजे तक था, इसलिए अफरातफरी मची रही। दरअसल होल्ड किए गए वार्डों में शामिल वार्ड 20 से कैलाश विजयवर्गीय ने ऋतु माहेश्वरी का , वार्ड 29 में पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता शकंर लाल मकोरिया तो वार्ड 46 में पूर्व निगम परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान के नाम पर , वार्ड 56 से उमा भारती के करीबी पूर्व पार्षद सुरेंद्र बाडिका और वार्ड 66 से पूर्व पार्षद संजय वर्मा का नाम नरोत्तम मिश्रा की ओर से दिया गया है। उधर कांग्रेस में भी इस बार कुछ इसी तरह की स्थिति रही , लेकिन कांग्रेस की ओर से शुक्रवार आधी रात को एक साथ सभी 85 वार्डों पर पार्षद प्रत्याशी घोषित कर दिए गए। यह बात अलग है कि भोपाल के एक वार्ड प्रत्याशी के लिए पूर्व मुख्यमंत्री को पार्टी विधायक के घर पर खासतौर पर जाना पड़ा। दरअसल यह प्रत्याशी हैं प्रियंका मिश्रा , जो जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा की बहू हैं। उन्हें वार्ड 7 से टिकट दिया गया है।
भाजपा में असंतोष के स्वर हुए बुलंद
नामाकंन जमा होने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही असंतोष के स्वर बुलंद होने लगे हैं। इंदौर में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर को घेरा तो भोपाल में कांग्रेस के कई दावेदारों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। गुना नगरपालिका में भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे अमित सोनी टिकट न मिलने से बागी हो गए। उन्होंने पार्टी से बगावत कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
अमित सोनी पूर्व में युवक में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। वह श्रीमंत भाजपा में आए थे। गुना नगरपालिका में पार्षद पद के लिए वह दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उनका टिकट नहीं हो पाया। वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ विधायक जयवर्धन सिंह के समक्ष कांग्रेस में शामिल हो गए। देवास में पार्षद का टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा कार्यकर्ता भोजराज सिंह जादौन ने आत्मदाह का प्रयास किया है। जादौन वार्ड 25 से टिकट के दावेदार थे। इसी तरह से नर्मदापुरम में वार्ड नंबर 30 ग्वालटोली निवासी रेखा यादव आधा दर्जन महिलाओं के साथ भाजपा जिला कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गईं। भाजपा नेत्री रेखा यादव का कहना है कि 12 साल से काम कर रही हैं, लेकिन मेरा टिकट काट उस व्यक्ति को टिकट दिया, जिसने 2014-2015 में भाजपा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था। सतना में जिला उपाध्यक्ष मनसुख पटेल और भाजपा नेत्री कुमकुम रावत ने पार्टी से बगावत कर वार्ड 9 से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। भी बागी होकर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर चुके हैं। इसी तरह से दमोह में भाजपा के तीस पूर्व पदाधिकारियों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं द्वारा दो दिन में पार्टी को अलविदा कह दिया गया है।
कांग्रेसी में भी कम नहीं है बगाबत
कांग्रेस में भी बगावत खुलकर सामने आ गई उत्तर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व पार्षदों शाहिद अली, अब्दुल शफीक, नाजमा अंसारी, शबाना शाहिद अली, अफरोज जहां ने जिलाध्यक्ष कैलाश मिश्रा को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया। सोशल मीडिया पर भी कई दावेदारों ने पार्टी छोड?े का ऐलान किया। उत्तर विधानसभा के पूर्व पार्षदों व पदाधिकारियों ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा को सौंपे इस्तीफे में कहा है कि क्षेत्रीय विधायक ने ऐसे लोगों को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया है, जिनका कोई जमीनी आधार नहीं है। कई लोग ऐसे हैं जो पूर्ण तौर से अशिक्षित हैं और असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। निष्ठावान, ईमानदार कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है। इस वजह से पार्टी गर्त में जा रही है। इससे दुखी होकर कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं। उत्तर के साथ ही नरेला विधानसभा क्षेत्र में भी टिकट वितरण की लेकर काफी असंतोष है। सोशल मीडिया पर पीड़ा जाहिर कर रहे हैं। कुछ नेता टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ने की घोषणा कर रहे हैं।
तीन वार्डों में भी असंमजस
भाजपा द्वारा वार्ड 81 से भाजपा की उम्मीदवार बनाई गई बबीता डोंगरे नगर निगम की कर्मचारी है। उन्हें इस्तीफा देना होगा। इधर, हत्या का प्रयास, लूट, अड़ीबाजी जैसे मामलों में जिला बदर हो चुके पिंकी भदौरिया (भूपेंद्र सिंह चौहान) को वार्ड 44 से भाजपा ने टिकट दिया है। कुख्यात सटोरिए बाबू मस्तान की पत्नी मसर्रत को वार्ड 40 से दोबारा टिकट मिला है। इन तीनों ही प्रत्याशियों को लेकर भी असमंजस बना हुआ है।
अब असंतुष्टों को मनाने की कवायद
निकाय चुनाव में उपजे असंतोष के बाद कांग्रेस ने असंतुष्टों को मनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसकी जिम्मेदारी बड़े नेताओं को दी गई है। टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं से भी बातचीत होगी और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश की जाएगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर बीते रोज के बाद अब एक बार आज बैठक की जा रही है। बैठक में क्षेत्र के बड़े नेताओं को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। जिन नेताओं को टिकट मिल गया है, उनकी तरफ से यह पार्टी के साथ भितरघात करने की शिकायतें भी मिलने लगी हैं। लिहाजा पार्टी नेतृत्व इसको लेकर गंभीर है। क्षेत्रीय नेताओं से कहा गया कि वे असंतुष्टों को मनाएं। जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है, उन्हें तथ्य परक जानकारी देकर बताएं कि आपकी स्थिति जीतने की नहीं थी, इस वजह से टिकट काटा गया है। उधर, भाजपा संगठन भी ड्रैमेज कन्ट्रोल में जुट में गई है। पार्टी ने अपने सांसद, विधायकों के साथ पूर्व संभागीय संगठन मंत्रियों को भी इस काम में लगाया है। अगले दो दिनों तक ये नेता बागी उम्मीदवारों से बात कर उनका नामांकन पर्चा वापस कराने के प्रयास करेंगे। बड़े शहरों के मामले प्रदेश कार्यालय स्तर पर निपटाने की रणनीति बनाई गई है। संगठन सूत्रों ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा खुद पार्टी मुख्यालय में रहकर बागियों से बात करेंगे और उन्हें मनाने के काम में लगेंगे।