धर्म पर राजनीति न करें, हाईकमान की नसीहत

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कांग्रेस आलाकमान ने चुनावी राज्यों को भेजी गाइडलाइन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कर्नाटक में बजरंग बली को लेकर जिस तरह का राजनीतिक विवाद खड़ा किया गया था, उसको देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने मप्र सहित सभी चुनावी राज्यों की इकाई को गाइडलाइन भेजी है कि वे धर्म पर राजनीति करने से बचें। पार्टी का मानना है कि किसी भी व्यक्ति और समाज पर उसके धर्म का बड़ा प्रभाव रहता है। ऐसे में अगर उसके धर्म पर कोई विवादित बयान देता है तो उसकी भावनाएं भडक़ती हैं। इसका असर चुनाव के दौरान मतदान पर पड़ सकता है। यह बात अलग है कि इसके बाद भी प्रदेश में कांग्रेस के विधायक इस तरह के मामलों को लगातार उठा रहे हैं। बीते दो दिनों में दो कांग्रेस विधायक इस तरह के विवाद को हवा दे चुके हैं।  गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव के दौरान बजरंग दल और बजरंग बली को लेकर बड़ा बखेड़ा खड़ा किया गया था। यही वजह है कि कांग्रेस हाईकमान ने चुनावी राज्यों को संदेश भेजा है की वे किसी भी धर्म के बारे में विवादित बयान न दें। यह सभी जानते हैं कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है , जिसमें धार्मिक मुद्दे भी उठते हैं। जिन पर नेता बयानबाजी कर इन्हें और हवा देते हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान धार्मिक मुद्दों पर किसी भी तरह की बयानबाजी से कांग्रेसियों को परहेज करने को कहा है।    पार्टी आलाकमान ने जो संदेश दिया है उसके अनुसार चुनाव के दौरान सभी नेता धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और बढ़-चढक़र हिस्सा लेंगे। लेकिन विवादित बयान देने से बचेंगे।  कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अगले चुनावों में भ्रष्टाचार, महंगाई के अलावा धार्मिक मुद्दों को हवा दी जा सकती है। चुनाव में धार्मिक जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ढीली पड़ जाती है और उसका नुकसान उसे चुनाव में झेलना पड़ता है। कभी-कभी कांग्रेस के नेता धर्म को लेकर अर्नगल बयान दे देते हैं, जिससे भी पार्टी को नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में धार्मिक विवादों से बचने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने पहले ही इस संबंध में पार्टी के मत को साफ कर दिया है कि ऐसे मुद्दों से चुनाव में बचना है। इस संबंध में मप्र कांग्रेस का एक भी नेता सीधे तौर पर बोलने को तैयार नही है। वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने तो सिर्फ इतना कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। वैसे चुनाव में ऐसे मुद्दों पर बोलने की क्या जरूरत है।
प्रत्याशियों की तलाश
मप्र में कांग्रेस इस बार सरकार बनाने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है। इसके लिए पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या है 134 सीटों पर कांग्रेस को जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश। गौरतलब है कि वर्तमान में कांग्रेस के 96 विधायक हैं। इनमें करीब 30 से 35 विधायकों के टिकट कट सकते हैं। जबकि 134 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को प्रत्याशियों की तलाश है। ज्यादातर सीटों पर तलाश पूरी हो चुकी है। इनमें एससी-एसटी की आरक्षित 82 सीटें ऐसी हैं, जहां नया नेतृत्व खड़ा करने के लिए कांग्रेस मिशन मोड में काम कर रही है। इसके लिए बाकायदा विधानसभा प्रभारियों को तैनात किया गया है। जो क्षेत्र में जाकर युवा नेताओं में नेतृत्व क्षमता तलाशेंगे। प्रदेश कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के अनुसार पार्टी द्वारा दावेदारों में से संभावित प्रत्याशियों को परखने का काम बाकायदा एक टीम से कराया जा रहा है। प्रभारी के रूप में इन्हें जिलों में भेजा गया है। ये जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर पार्टी को रिपोर्ट करेंगे। प्रदेश कांग्रेस ने इन सीटों पर एलडीएम के लिए प्रभारी बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस काम पर इन प्रभारियों को इस महीने के अंत से जुटना होगा। प्रदेश की ये वे 82 विधानसभा सीटें हैं, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इन विधानसभा सीटों पर एआईसीसी के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए गए प्रभारियों को जुलाई से लेकर चुनाव तक डेरा डालना होगा। इस दौरान वे पूरे विधानसभा क्षेत्र में नए नेताओं का ना सिर्फ कामकाज देखेंगे। इनकी नियुक्ति का काम शुरु कर दिया गया है। नेतृत्व क्षमता को विकसित कराने का काम भी करेंगे। ये सब चुनाव से पहले इन प्रभारियों को करना होगा।  जानकारी के अनुसार नया नेतृत्व को परखने से पहले प्रभारियों को पहले भोपाल में ट्रेनिंग दी जाएगी इसके बाद जुलाई में इन्हें अपने प्रभार वाले विधानसभा क्षेत्र में रवाना किया जाएगा।

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