बड़े नेता और श्रीमंत समर्थकों के कारण अटकीं जिलों की बैठकें

श्रीमंत
  • इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर और ग्वालियर संभाग के अधिकांश जिलों की अभी तक जिला कार्यकारिणी ही घोषित नहीं हो पाई

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    अनुशासित कार्यकर्ताओं वाली भाजपा में भी गुटीय राजनीति और खींचतान धीरे-धीरे हावी होती जा रही है। यही वजह है कि अब प्रदेश के बड़े नेता अपने गुट को ही समर्थन देते हैं। ऐसे में खींचतान चलती रहती है और समय पर बैठकें तक नहीं हो पाती हैं। ऐसा ही मामला जिलों की कार्यसमिति की बैठकों का भी है जो अब तक अटका हुआ है। अब तक सिर्फ 13 जिलों में ही जिला कार्यसमिति की बैठकें हुई है।  दिलचस्प यह है कि जिन जिलों में अभी तक कार्यसमिति की बैठकें हुई है वे सभी रीवा, शहडोल और जबलपुर संभाग के है। उल्लेखनीय है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तो किसी तरह तीन साल के लंबे अंतराल के बाद 24 जून को हो चुकी है। वहीं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के निर्देश पर जिला कार्यसमिति की बैठकों के लिए जो कार्यक्रम जारी किया गया था उसकी तय समय सीमा 16 जुलाई यानी अगले 2 दिन में समाप्त होने जा रही है। बावजूद इसके जिलों की कार्यसमिति की बैठकें ही नहीं हो पा रही हैं। ग्वालियर में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी आड़े आ रहे हैं। बहरहाल  जो बड़ा कारण बताया जा रहा है, वह बड़े नेताओं के बीच खींचतान है। दरअसल जिन 24 जिलाध्यक्षों की घोषणा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने की है, उन सभी में युवाओं को कमान सौंपी गई है।  
    हालांकि सभी की रायशुमारी के बाद ही जिलाध्यक्ष तय किए गए हैं, लेकिन नए और युवा चेहरों को जिलों के बड़े नेता अभी तक सहयोग नहीं कर रहे हैं। यही वजह है कि इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, सागर के साथ ही अधिकांश जिलों में पार्टी के विधायकों से उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही है। ज्ञात हो कि वैसे सभी वरिष्ठ नेता और विधायक पूर्व में अपने समर्थकों के नाम भेज चुके हैं, लेकिन युवाओं को ही प्राथमिकता दिए जाने से कई बड़े नेता अपनी फाइनल मंजूरी नहीं दे पा रहे हैं। यही वजह है कि जिला कार्यसमिति की बैठकों का कार्यक्रम भी गड़बड़ा गया है। बता दें कि भाजपा के 33 जिलाध्यक्ष करीब दो साल पहले ही निर्वाचन प्रक्रिया से चुन लिए गए थे। इनके नियुक्ति पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के कार्यकाल में ही हो गई थी।
    व्यस्तताओं के चलते नहीं दे रहे समय
    बहरहाल जिलों की बैठकों के लिए विधायक, प्रदेश पदाधिकारी और वरिष्ठ नेता समय ही नहीं दे रहे हैं। जहां ग्वालियर में सांसद ज्योतिरादित्य के समर्थक ही आड़े आ रहे हैं। वहीं इंदौर और भोपाल में पार्टी के विधायक व मंत्री अपनी व्यस्तताओं को बताते एकजुट ही नहीं हो पा रहे हैं। यही वजह है कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी अब तक जिलों की कार्यसमिति भी अटकी हुई है।
    खींचतान की वजह से नहीं हो पा रही बैठकें
    बता दें कि खींचतान की वजह से ना तो भाजपा की अब तक आधे से ज्यादा जिलों में कार्यकारिणी बन सकी है और ना ही कार्यसमिति। सिर्फ दो संभाग ही इस दिशा में पार्टी की लाइन पर नजर आए। हालात यह हैं कि तीनों बड़े संभागों में तो अब तक किसी भी जिले की टीम भी नहीं बन सकी है। यही नहीं इन तीनों संभाग में बड़े नेताओं की खींचतान इतनी ज्यादा है कि वे जिले की टीम के लिए आपसी बैठक तक नहीं कर पा रहे हैं। इनमें इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर और ग्वालियर संभाग के अधिकांश जिलों की अभी तक जिला कार्यकारिणी ही घोषित नहीं हो पाई है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के 57 में से लगभग आधे जिलों की संगठनात्मक कार्यकारिणी घोषित की जा चुकी है। इनमें से अधिकांश की कार्यसमिति भी आ गई है, लेकिन बाकी जिलों में कार्यकारिणी के लिए जिलों के बड़े नेताओं की बैठक नहीं हो पा रही है। ऐसे में इन जिलों में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
    यहां हो चुकीं बैठकें
    प्रदेश के रीवा, शहडोल और जबलपुर संभाग के जिन जिलों में जिला कार्यसमिति की बैठकें हो चुकी है उनमें सीधी, शहडोल, सिंगरौली, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, डिंडोरी, खरगोन, मंदसौर, बड़वानी, अलीराजपुर व नीमच में जिला शामिल है। जानकारी के अनुसार अगले दो दिनों में भी कुछ संभागों के जिलों की बैठकें प्रस्तावित है।

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