
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। समय के साथ प्रदेश के छात्रों का भी पढ़ाई को लेकर रुझान बदलता हुआ दिखाना शुरू हो गया है। यही वजह है की नए शिक्षण सत्र के लिए सूबे के सरकारी व निजि महाविद्यालयों में पारंपरिक रुप से कराई जाने वाली पढ़ाई के लिए अब छात्रों की कमी होने लगी है। यही वजह है कि प्रदेश में दो दशक पुराने पाठ्यक्रमों से छात्रों ने दूरी बनाना शुरू कर दी है।
दरअसल अब छात्र पांरपरिक पाठ्यक्रमों की जगह तकनीक और स्किल आधारित पाठ्क्रमों पर जोर दे रहे हैं। यह खुलासा हो रहा है उच्च शिक्षा विभाग के चौंकाने वाले आंकड़ों से। प्रदेश में मौजूदा समय में सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी 1317 महाविद्यालय हैं। इनमें स्नातक (यूजी) और स्नाकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रमों में 8 लाख 37 हजार 019 सीटें खाली हैं। सत्र 2022-23 के लिए मई से चल रही ऑनलाइन और कॉलेज लेवल काउंसलिंग के तीसरे चरण तक यूजी-पीजी में केवल 2 लाख 54 हजार 937 सीटों पर छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिए हैं। इस हिसाब से 5 हजार 82 हजार 082 सीटें खाली हैं। इन आंकड़ों ने उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की चिंता भी बढ़ा दी हैं।
यह है पाठ्यक्रमों की स्थिति
स्नातक यानि की यूजी में कुल 6 लाख 26 हजार 019 सीटें हैं। इनमें से अभी तक महज 1 लाख 90 हजार सीटों पर ही छात्रों ने प्रवेश लिया है। इनमें से ई-प्रवेश के पहले चरण में 95 हजार 996 सीटें, फिर प्रथम सीएलसी चरण में 63 हजार, द्वितीय सीएलसी चरण की स्थिति में 32 हजार सीटों पर छात्र-छात्राओं ने फीस जमा कर प्रवेश लिया है। इस वजह से अब भी कुल 4 लाख 36 हजार सीटें रिक्त हैं। इसी तरह से पीजी पाठ्यक्रमों की स्थिति देखें तो कुल 2.11 लाख सीटें हैं। इनमें नए सत्र के लिए 1.56 लाख पंजीयन हुए हैं। इनमें से 1 लाख 46 हजार 517 सीटों का आवंटन किया गया है, जबकि 77 हजार 175 आवंटन डाउनलोड किए गए हैं। जिसमें से महज 64,918 ने प्रवेश लिया। इसी तरह से एनसीटीई के बीएड समेत नौ कोर्स की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इनकी 70 हजार सीटों में
से अभी तक 42 हजार सीटें ही अब तक भर पायी है। इस वजह से अब भी 28 हजार सीटें रिक्त बनी हुई हैं।
शहरी इलाकों में अच्छी स्थिति
प्रदेश में करीब 50 फीसदी कॉलेज जिला मुख्यालय पर हैं, बाकी तहसील और विकासखंड स्तर पर हैं। दरअसल सरकार विकासखंड स्तर तक कॉलेज खोलकर वहां युवाओं को उच्च अध्ययन की सुविधा देना चाहती है, लेकिन वहां के विद्यार्थी शहरों की तरफ जा रहे हैं। अधिकांश आंचलिक कॉलेजों में वही छात्र अध्ययनरत हैं , जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है।
यह है वजहें
सामान्य पाठ्यक्रमों में यूजी-पीजी डिग्री लेने के बाद नौकरी की गारंटी नहीं होने की वजह से छात्र उनसे दूरी बना रहे हैं। इसके उलट शिक्षा नीति-2020 में कई सर्टिफिकेट व डिप्लोमा पाठ्यक्रम रोजगार मूलक हैं। इसी तरह से कॉलेजों में एडमिशन के बजाय इग्नू और भोज ओपन यूनिवर्सिटी से यूजी-पीजी करने से समय के साथ ही पैसें की भी बचत होती है। इसी तरह से एमपी ऑनलाइन समेत अन्य कियोस्क सेंटर ने एडमिशन प्रक्रिया को अव्यावहारिक बना कर रखा गया है।