कुलीनों में कलह! अब पटवायुगीन पीढ़ी उतरी जयंत मलैया के पक्ष में

 भाजपा

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह उपचुनाव परिणाम प्रतिकूल आने के बाद से भाजपा में सिर फुटब्बल की स्थिति बन गई है। हालत यह है कि भाजपा के पुरानी पीढ़ी के नेता अब पूरी तरह से संगठन के खिलाफ हो गए हैं। पार्टी के कद्दावर नेता जयंत मलैया को नोटिस जारी होने के बाद उनके पक्ष में एक के बाद एक पटवायुगीन नेताओं का साथ आना जारी है। इनमें पूर्व मंत्री और छह बार के विधायक हिम्मत कोठारी और पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले का साथ भी शामिल है। ज्ञात रहे कि मेहदेले लोधी समाज से आती हैं। फिलहाल यह मामला ऐसा है जो जल्द शांत होता नहीं दिखता है। कहा जा रहा है कि अब यह मामला पार्टी हाईकमान तक जाना भी तय है। दरअसल पांच मंडल अध्यक्षों के साथ ही जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करने के साथ ही प्रदेश संगठन ने जयंत मलैया से भी जबाब तलब करने के लिए नोटिस जारी किया है। इसके बाद सबसे पहले मलैया को पार्टी के ही पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई का साथ मिला। इसके बाद अब उनके पक्ष में खुलकर प्रदेश के पूर्व में दिग्गज नेता रह चुके हिम्मत कोठारी भी खड़े हो गए हैं। यही नहीं अब तो मलैया के पक्ष में प्रभावशाली लोधी नेता और पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले भी खुलकर न केवल मलैया के पक्ष में आ गईं हैं , बल्कि उनके द्वारा संगठन के फैसलों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। उन्होंने इस मामले में एक के बाद एक ट्वीट कर अपनी बात रखी है। पूर्व में एक समय था जब प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के बाद हिम्मत कोठारी और जंयत मलैया का ही नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में लिया जाता था। अब यही दोनों नेता अपनी ही पार्टी में पूरी तरह उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं।  खास बात यह है कि इन दोनों नेताओं ने पटवा जी के अलावा कैलाश जोशी के साथ भी सरकार में काम किया है। इनका अपने इलाके में अब भी बेहद अधिक प्रभाव माना जाता है। पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी भी ऐसे नेता हैं, जो छह बार विधायक बनने के साथ ही प्रदेश में पटवा के अलावा बाबूलाल गौर, और शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वे राज्य वित्त आयोग की भी कमान संभाल चुके हैं। प्रदेश के सबसे धीर गंभीर नेताओं में शामिल जयंत मलैया भी अपने खिलाफ हुई कार्रवाई से बेहद आहत हैं। यही वजह है कि वे पहली बार खुलकर अपनी बात रखने से अब पीछे नहीं रह रहे हैं। दरअसल इस पूरे मामले को पार्टी की आंतरिक लड़ाई के रुप में देखा जा रहा है। दमोह की राजनीति में प्रहलाद पटेल और जयंत मलैया के बीच पुरानी अदावत चल रही है। इसमें राहुल लोधी की हार ने आग में घी डालने का काम कर दिया है। इसके बाद ही पार्टी में उठापटक को दौर शुरू हुआ है। इस मामले में अजय विश्नोई द्वारा पार्टी का टिकट तय करने और चुनाव प्रभारी पर जिम्मेदारी तय करने के सवाल के बाद अब कोठारी ने भी संगठन की इस कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया है।
उनका कहना है कि समीक्षा पूरी तरह से ईमानदारी से होनी चाहिए। यही नहीं उनके द्वारा लोधी को पार्टी में लेने और उन्हें टिकट देने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। उन्होंने पूछा कि राहुल को पार्टी में लेने के बाद निगम अध्यक्ष बनाकर मंत्री पद का दर्जा क्यों दिया गया। उन्होंने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के सर्वमान्य नेता रहे अटल बिहारी बाजपेई सरकार में लाए गए दलबदल विरोधी कानून का हवाला देते हुए भी पार्टी के कर्ताधर्ताओं पर भी निशाना साधा है। उनका कहना है कि पार्टी से विद्रोह करने वाले को जब पार्टी गद्दार मानती है तो दूसरी पार्टी से आने वाले नेता को सही कैसे माना जा सकता है।

प्रहलाद ने मुझे व भार्गव को कहा था छल-कपटी
मलैया के निशाने पर अब पूरी तरह से प्रहलाद पटेल आ गए हैं। उनका कहना है कि दमोह की एक चुनावी सभा में प्रहलाद पटेल ने उन्हें और गोपाल भार्गव को पूतना यानि छल-कपटी तक कहा था। उनका सीधा आरोप है कि उनके सिर पर हार का ठीकरा फोड़ने की वजह है मेरी पटरी प्रहलाद पटेल से न बैठना। उनका कहना है कि जब राहुल अपना खुद का बूथ हार गए और प्रहलाद पटेल के बूथ पर भी राहुल को हार का सामना करना पड़ा है, ऐसे में हम पर ही कार्रवाई क्यों। उनका कहना है कि चूंकि हार का ठीकरा किसी न किसी पर फोड़ना था, जिसके लिए उनके द्वारा मुझे और मेरे बेटे को चुना गया।

कोठारी ने खड़ा किया कटघरे में
कोठारी ने पार्टी की रणनीति और उसके कर्ताधर्ताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि दल वही अच्छा होता है जो अपनी दूसरी पीढ़ी को तैयार करता है। वर्तमान में शिवराज,नरेन्द्र सिंह तोमर की पीढ़ी हमारी तीसरी पीढ़ी है। हमने इनके साथ भी काम किया है, लेकिन अब हमारी पीढ़ी की उपेक्षा की जा रही है। उनका कहना है कि अब मंच से केवल नेताओं के भाषण होते हैं कार्यकर्ताओं को बात रखने का मौका ही नहीं दिया जाता है, ऐसे में कार्यकर्ता कहां अपनी बात रखें। उन्होंने इस दौरान केवल राहुल की हार की वजह दलबदलुओं को महत्व देना बताया बल्कि साफ कहा कि महंगाई भी दूसरा कारण है।  

दिल्ली में होगी गूंज
मलैया का मामला अब पूरी तरह से दिल्ली के पाले में जाता दिख रहा है। मलैया प्रदेश के उन नेताओं में शामिल हैं जिनकी दिल्ली में भी पकड़ मजबूत मानी जाती है। उनकी पार्टी हाईकमान से लेकर कई अन्य बड़े नेताओं से भी अच्छी पटरी बैठती रही है। मलैया अपने मामले को लेकर एक दो दिन में दिल्ली जाने वाले हैं और वहां अपना पक्ष रखने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं का मलैया को लेकर साफ्ट रुख रह सकता है।

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