कोयले के काले कारोबार का खुलासा

कोयले के काले कारोबार
  • सिंगरौली में ट्रांसपोर्टरों ने अवैध रूप से रखा था 41500 टन कोयला

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कोयला जितना काला होता है उसका कारोबार उतना ही काला होता है। ऊर्जाधानी सिंगरौली में कोयले के ऐसे ही काले कारोबार का खुलासा हुआ है। पुलिस ने एनसीएल के गोरबी बी ब्लॉक में ट्रांसपोर्टरों के यहां छापेमारी कर 41500 टन अवैध कोयला बरामद किया है। जिनके पास खरीदी से लेकर भंडारण तक के किसी भी तरह के दस्तावेज नहीं मिले हैं। प्रशासन ने 8 ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कोयला जब्त कर लिया है। जानकारी के अनुसार कलेक्टर को कोयला खनन क्षेत्र में बड़ी मात्रा में कोयला भंडारित किए जाने की सूचना मिली थी। जिसके किसी तरह के पेपर भंडारणकर्ताओं व ट्रांसपोर्टरों के पास नहीं थे। अवैध तरीके से कोयले की निकासी कर उसे बिना किसी वैध दस्तावेज के भंडारित कर रखा गया था। कलेक्टर ने एसडीएम चितरंगी नीलेश शर्मा के नेतृत्व में टीम गठित कर छापामार कार्रवाई के लिए भेजा था। टीम ने गोरबी ब्लॉक में 41500 टन अवैध कोयला भंडारित पाया। जिसकी जब्ती बनाई गई है। यह कोयला करीब 10 करोड़ मूल्य का है।
ब्लैक लिस्टेड आरकेटीसी कंपनी का भी मिला कोयला
हाल ही में होशंगाबाद रेत खनन की शर्तों के उल्लंघन के कारण मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ब्लैक लिस्टेड की गई कंपनी आरकेटीसी का बड़ा कोयला भंडार मिला है। उसने 15000 टन कोयला को छिपा रखा था। यह कंपनी होशंगाबाद में ब्लैक लिस्टेड होने के बाद भी सिंगरौली जिले में रेत खनन का काम भी कर रही है। कोयला ट्रांसपोर्ट का भी उसका यार्ड है। गैलेंट इस्पात लिमिटेड का 4 हजार टन, संगीता सेल्स का 4 हजार टन, महावीर कोल रिसोर्सेज का 3500 टन, इनोसेंट ट्रेडर्स लिमिटेड का 3500 टन, मे. कोल हब 1500 टन व फ्यूलको कोल इंडिया लिमिटेड का 6 हजार टन व स्वामी फ्यूल का 4 हजार टन कोयला अवैध पाया गया है। छापामार कार्रवाई के दौरान ट्रांसपोर्ट कंपनियां कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा सकी। इसलिए एसडीएम ने सभी का कुल 41500 टन कोयला जब्त कर लिया गया है। इस मामले में ट्रांसपोर्ट कंपनियों के संचालकों के विरूद्ध खनन, परिवहन व भंडारण नियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। छापा मार कार्रवाई में ज्यादातर ट्रांसपोर्ट कंपनियों का कोयला रेलवे साइडिंग महदेइया के बाहर एनसीएल व निजी भूमियों पर भंडारित मिला। एसडीएम के मुताबिक कोयला भंडारण के लिए कंपनियों की ओर से वैधानिक अनुमति नहीं ली गई थी। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि कोयला संकट के दौरान यह कोयला अवैध रूप से जमा किया गया था। जिसमें बड़ी मिलीभगत थी।
 प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत
प्रदूषण नियंत्रण के मानकों के उल्लंघन के मामले में भी अलग से प्रकरण दर्ज किया गया है। जांच के दौरान पाया गया कि कोयला भंडारण में विंड ब्रेकिंग वाल, पानी का छिड़काव व पानी की निकासी जैसी व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। एसडीएम के मुताबिक अग्रिम कार्रवाई के लिए प्रकरण कलेक्टर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

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