
बाग के डायनासोर नेशनल पार्क पर बाग उत्सव मनाने की योजना
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। धार जिले के मांडू और बाग में जियोलाजिकल हेरिटेज बनाने की कवायद शुरू होने जा रही है। मप्र इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा इसके लिए पहल की गई है। इस क्षेत्र में जहां डायनासोर की हलचल रहा करती थी उस हलचल को अब अन्य लोग भी जान सकेंगे। इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
यदि सबकुछ अनुकूल रहा तो सांस्कृतिक विरासत से लबरेज बाग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनोखी पहचान मिलेगी। बीते वर्षों में पार्क के विकास को लेकर योजनाबद्ध तरीके से कोई काम नहीं हुआ, लेकिन अब इसे समग्र वैज्ञानिक दृष्टि से परखा जा रहा है। मप्र ईको पर्यटन विकास बोर्ड और द सोसायटी आफ अर्थ साइंस के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों पूरे जिले में बिखरी पड़ी पुरासंपदा को लेकर फील्ड वर्कशाप का आयोजन किया गया। धार जिले में जगह-जगह जाकर इन विज्ञानियों ने पहुंचकर बाग के डायनासोर फासिल्स नेशनल पार्क के लिए अध्ययन और संगोष्ठी की। अब तक विकास को लेकर संयुक्त सोच नहीं रही। डायनासोर पार्क के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड की ओर से प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। ऐसे में संभावना है कि छह करोड़ वर्ष पूर्व के जीवाश्म पर जमा धूल हटेगी।
देश में एक भी जूलॉजिकल सिग्निफिकेंट नहीं
इस संबंध में सोसायटी ऑफ अर्थ साइंस के सचिव डॉ. संतोष त्रिपाठी ने बताया कि पूरे विश्व में अब कल्चरल हेरिटेज के साथ-साथ जियोलॉजिकल हेरिटेज काफी महत्व माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि आप लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि 4 गीगा ईयर पहले क्या हल चल रही होगी। उन्होंने बताया कि 6 करोड़ों साल पहले ज्वालामुखी फटा है।
उसमें डायनासोर जैसी प्रजाति लुप्त हुई है। त्रिपाठी ने बताया कि हम इस बात पर विशेष फोकस कर रहे हैं कि किसी भी तरह से लोगों को इस बात की जानकारी हो कि डायनासोर आखिर में क्यों लुप्त हो गए। और क्या स्थितियां बनी। उसके बाद क्या हालात बने। डा. त्रिपाठी ने बताया कि यूनेस्को आजकल जियोलॉजिकल सिग्निफिकेंट धरोहर के लिए भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से यूनेस्को विश्व धरोहर की घोषणा करता है। वैसे ही इस दिशा में भी कदम उठाया जा रहा है। देश में अभी तक एक भी जूलॉजिकल सिग्निफिकेंट नही है। इस तरह की धरोहर नहीं है। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक सम्मेलन स्पैन में हुआ था। इसमें विश्व की जियोलॉजिकल धरोहर के बारे में चर्चा की गई। अब जबकि मेघालय के मलूम केव जो चेरापूंजी के पास है, उसके लिए प्रयास किया जा रहा है। वहां की विशेषताओं को बताया जाएगा।
मिले करोड़ों वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म
बाग के निकट ग्राम पाडलिया में डायनासोर अंडों के जीवाश्म की बहुतायत में खोज के बाद वर्ष 2010 में इसे डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। गांव पाडलिया के लगभग 90 हेक्टेयर क्षेत्र को तार फेंसिंग की गई। इस स्थान पर बड़ी तादाद में भीमकाय डायनासोर के अंडे, अंडा स्थली, शार्क मछली के दांत, समुद्री जंतुओं के जीवाश्म, समुद्री शीप, सर्प के कंकाल, डायनासोर की अस्थियां, पेड़ों के जीवाश्म, मानव के पाषण औजार के जीवाश्म मौजूद हैं।
विकास की भी संभावनाएं
बाग पर्यटकों के लिए हब बन सकता है। नेशनल पार्क बन जाने पर पुरातात्विक बाग गुफा और बाग प्रिंट की खासियत को भी पर्यटक नजदीक से देख सकता है। इससे रोजगार के द्वार खुलने की संभावना है। भूगर्भ शास्त्र और जीवाश्म विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए यह शोध का स्थान हो सकता है। हालांकि पर्यटन के लिहाज से यहां न तो गाइड हैं और न ही बैठने के लिए छायादार स्थान। अन्य सुविधाओं में पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है।
बाग उत्सव मनाया जाएगा
डायनासोर नेशनल पार्क पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तीन दिवसीय बाग उत्सव मनाने की योजना बनाई गई है। ईको पर्यटन विकास बोर्ड की सीईओ समिता राजौरा ने बताया कि उत्सव में आगंतुक आदिवासी संस्कृति से रूबरू होंगे। 20 कैंप लगाकर परंपरागत खान-पान के साथ भगोरिया नृत्य, कास्ट्यूम, तीर कामठी, गोफन जैसे परंपरागत शस्त्रों की प्रतियोगिता होगी। इसे इवेंट के रूप में प्रचारित किया जाएगा।