
- केंद्र से मप्र को नहीं मिली पर्याप्त राशि
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र देश का पहला राज्य है , जहां केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वयन सबसे पहले होता है। लेकिन राज्य सरकार के वित्त विभाग की मानें तो केंद्र सरकार विभिन्न विभागों को अपना हिस्सा देने में कंजूसी कर रही है। सरकारी पोर्टल के अनुसार 34 हजार करोड़ से अधिक हिस्से में से अभी तक 9 हजार करोड़ ही मिले हैं ,जो कुल बजट प्राप्ति का 26 प्रतिशत है। इसका असर यह हो रहा है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वित्त विभाग के मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार मप्र के हिस्से की राशि देने में देरी कर रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि कई योजनाओं को क्रियान्वयन करने में राज्य सरकार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पोर्टल में सामाजिक न्याय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई), पशुपालन सहित कई विभागों को शून्य बजट मिलना बताया गया है, जबकि विभाग ने दावा किया है कि उसे शत-प्रतिशत राशि उपलब्ध करा दी गई है। पेंशन की राशि मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों के खातों में ट्रांसफर भी कर दी है।
पीएम के नाम वाली योजनाओं का नहीं मिला पैसा
सरकारी जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री के नाम से संचालित योजनाओं का पैसा भी नहीं मिला है। जैसे कि निर्मल भारत अभियान, पीएम कृषि सिंचाई योजना (वाटरशेड), पीएम पोषण शक्ति निर्माण, पीएम कारीगर योजना, पीएम मातृ वंदना योजना। इसके अलावा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के साथ पोषण अभियान – एनएनएम, सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0, महिला शक्ति केंद्र, किशोरी बालिका योजना, महिला हेल्प लाइन, मध्याह्न भोजन सामग्री परिवहन, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना आदि। पर्यावरण विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना और झील संरक्षण योजना के नाम पर भी कुछ नहीं मिला है। पोर्टल पर कई विभागों की जानकारी भ्रमित करने वाली है। प्रधानमंत्री आवास योजना में आठ हजार करोड़ का प्रावधान है। इसमें अब तक कोई राशि नहीं मिली है। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग ने 1,681 करोड़ से अधिक का बजट प्रावधान है लेकिन एक भी रुपया नहीं मिला है। केंद्रीय सडक़ निधि में 548.73 करोड़ मिले हैं। जबकि बजट प्रावधान 800 करोड़ का है। यह राशि केंद्र को शत प्रतिशत देना है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अंतर्गत आठ स्मार्ट सिटी के नाम पर कोई बजट नहीं मिला है। जल जीवन मिशन में शून्य बजट मिलना बताया गया है। जबकि विभाग के अफसरों का कहना है कि उन्हें केंद्र से बराबर राशि उपलब्ध हो रही है। प्रदेश के पांच प्रमुख विभागों को तो केंद्र से बजट तक नहीं मिला है। इनमें पिछड़ा वर्ग, तकनीकी शिक्षा, पशुपालन, पीएचई और सामाजिक न्याय विभाग शामिल है। प्रमुख सचिव, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन सचिन सिन्हा का कहना है कि वृद्धा, विधवा और नि:शक्तजन पेंशन समेत अन्य योजनाओं में केंद्र से पूरा हिस्सा, 1681.46 करोड़ रु. की राशि मिल चुकी है। मप्र, देश का पहला राज्य है जिसे इस साल चारों किस्तें मिली हैं। वित्त विभाग के पोर्टल में क्या है, इस पर कुछ नहीं कह सकता।