
- केंद्र से बजट लाने में जनजातीय कार्य विभाग पिछड़ा
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए योजनाओं की भरमार कर रखी है, लेकिन फंड के अभाव में इन क्षेत्रों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। दरअसल, जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारी योजनाओं के लिए केंद्र से राज्य के हिस्से का बजट लाने में पिछड़ गए हैं। इसका असर विकास योजनाओं पर पड़ रहा है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बार-बार अपने मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों को निर्देश देने के बाद भी कई विभाग केंद्र से राज्य के हिस्से का बजट हासिल नहीं कर पाए। इनमें एक जनजातीय कार्य विभाग भी है। विभाग की मंत्री मीना सिंह ने पिछले सप्ताह यह जानकारी देकर भी स्पष्ट कर दिया कि राज्य में ट्राइबल के हॉस्टल जर्जर हालत में हैं।
एक साल में साढ़े चार हजार करोड़ कम बजट
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से आदिवासी विकास और उप योजना में मिलने वाले अंश में अकेले एक साल में साढ़े चार हजार करोड़ कम हो गए। इससे सड़क निर्माण, अभियान, अधोसंरचना के कार्यों सहित आदिवासी वर्ग को मिलने वाली सुविधाओं पर असर पड़ा है। आदिवासी उप योजना में वर्ष 2019-20 और 20-21 के बीच 4,589.99 करोड़ रुपए की कमी राज्य और केंद्रीय अंश में आई है।
17 विभागों के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार दिलाना, कुपोषणमुक्त करना, छात्रवृत्ति देना, शौचालय सहित अन्य अधोसंरचना निर्माण कराना आदि प्रमुख हैं। प्रशिक्षण के लिए भी बड़ा बजट दिया जाता है। जनजातीय कार्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल का कहना है कि आदिवासी विकास के लिए विभिन्न विभागों को उपलब्ध कराई जाने वाली राशि के लिए प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत 180 करोड़ मिलते हैं। अन्य योजनाओं के लिए भी बजट लेने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस माह केन्द्र से बजट मिलने की उम्मीद है। प्राप्त राशि से आवश्यक कार्य कराए जा रहे हैं।
कई योजनाओं के लिए नहीं मिला बजट
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ योजनाओं के लिए राज्य से अंश नहीं मिला तो कुछ के लिए केंद्र ने भी निराश किया है। एनसीसी के विकास एवं सुदृढ़ीकरण के लिए वर्ष 20219-20 में केन्द्र का अंशशून्य रहा। वर्ष 2019-20 में आश्रम शाला, जूनियर छात्रावास कक्षा 6 से 8वीं तक, विशिष्ट संस्था कन्या शिक्षा परिसर, क्रीड़ा परिसरों के भवन निर्माण, हायर सेकंडरी शालाएं, नेतृत्व विकास एवं भारत दर्शन, आकांक्षा योजना में बजट नहीं मिला। विशेष पिछड़ी जनजातियों को विकास मद में केन्द्र से 133.03 करोड़ मिले, इसमें 61.83 करोड़ ही खर्च हुए। महाविद्यालयीन छात्रावास भवन निर्माण में 37.19 करोड़ राज्य ने दिया इसमें 23.89 करोड़ खर्च हुए। मॉनीटरिंग और मूल्यांकन के लिए संविधान के अनुच्छेद 275 में केन्द्र ने 7 करोड़ दिए, इसमें 1.85 करोड़ ही खर्च हुए। अजजा के विद्यार्थियों को आवास सहायता में सिर्फ राज्य से 146.93 करोड़ आवंटित हुए, खर्च 109.46 करोड़ हुए। वहीं आदिवासी संस्कृति का संवर्धन, अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं विकास राज्य योजना में करीब 47 करोड़ के प्रावधान में केन्द्र से 16.22 करोड़ की राशि मिली लेकिन इसमें 96 लाख से कुछ ही अधिक खर्च हुए। राज्य छात्रवृत्ति मद में राज्य से कुछ नहीं मिला, केन्द्र ने 77 करोड़ दिए इसमें पूरे खर्च हुए। ग्रामीण विकास के लिए प्राप्त राशि में से 95 प्रतिशत से अधिक व्यय की गई। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना में 1,500 करोड़ का प्रावधान किया। इसमें राज्य ने 502.12 करोड़ दिए जबकि केन्द्र 621.30 करोड़ मिले। जबकि निर्मल भारत अभियान, राज्य जल स्वच्छता मिशन के लिए केन्द्र से पर्याप्त राशि नहीं मिली।