यस एमएलए- शहरी क्षेत्रों में विकास, गांव पूरी तरह उपेक्षित

भाजपा

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह महादेव की नगरी है यहां पर विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग भी स्थित है जिसे परमार कालीन राजा भोज ने बनवाया था। इस कारण यह पर्यटन का बड़ा केंद्र भी बन रहा है। वहीं विधानसभा क्षेत्र का मंडीदीप बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इस क्षेत्र की विडंबना यह है कि शहरी क्षेत्र विकसित हुए हैं, लेकिन गांवों तक विकास की गंगा पहुंच ही नहीं पाई। भोजपुर सीट से पटवा परिवार का दशकों पुराना नाता है। विधायक सुरेंद्र पटवा की नियमित उपस्थिति की बात ग्रामीण बताते हैं। महिलाएं और युवा विधायक को भाई साहब के नाम से ज्यादा जानते हैं। विधायक निधि का 1 उपयोग क्षेत्रवासियों की मूलभूत जरूरत और विकास कार्यों में किया गया है। विधानसभा क्षेत्र में कई जगहों पर सडक़ों की समस्या अभी भी बनी हुई है। वर्षा में कई गांवों के ग्रामीणों का शहर से संपर्क टूट जाता है। आदिवासी गांव जोहरिया, नसखेड़ा, बरखेड़ा सेतु सहित एक दर्जन गांवों में सडक़ नही है। यहां के रहवासी अब जनप्रतिनिधियों को गांव में नहीं आने देने की बात करते हुए मतदान के बहिष्कार का दावा कर रहे है। बरखेड़ा सरपंच ओमप्रकाश, तूमडाखेड़ा पंचायत सरपंच कमल सिंह गुर्जर, जोहरिया के रतन व प्रेम सिंह ने बताया कि हमारे गांवों में आज तक सडक़ें बनाने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं। वहीं उमरिया से दिगवाड के लोगों का भी यही दर्द है। रैसलपुर के लोग भी दो किलोमीटर की सडक़ के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। करी चौका धूप घाट के लोग भी बिजली और सडक़ की दशकों से प्रतीक्षा कर रहे हैं। खेती यहां भी लाभ का धंधा नहीं बन सकी है। इसके आगे अमौदा पहुंचने पर मिले गांव के योगेश मांडली ने बताया कि, खेती के लिए बिजली पानी मिलना समस्या है। किसानों की समस्याएं जानने के क्रम में ग्रामीणों ने बताया कि, औबेदुल्लागंज के पास तामौट में फैक्ट्री तक रातापानी बांध से पाइप लाइन बिछाकर पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। किसान इसका विरोध कर रहे हैं कि इससे हमारे खेतों को पानी नहीं मिलेगा। तामोट के आसपास के ग्रामीणों की भी शिकायत यही है कि जमीन हमारी गई, प्रदूषण हमारे यहां बढ़ेगा लेकिन हमें ही रोजगार नहीं मिलता है।
भाजपा का गढ़ भोजपुर
राजधानी भोपाल से सटी रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा सीट पर 1977 से ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। महज दो बार ही 1967 में कांग्रेस के गुलाबचंद और 2003 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजेश पटेल विधानसभा क्षेत्र से विजय हुए थे बाकी समय इस विधानसभा बार भाजपा के प्रतिनिधि जीतते चले आए हैं। यह सीट रायसेन जिले में आने वाली चार विधानसभा में से एक है जहां पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा भाजपा से पिछले तीन चुनावों से निरंतर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को हारते हुए क्षेत्र के विधायक बने हुए हैं। भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी कोई निश्चित चेहरा नहीं होना है। कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक कहे जाने वाले सुरेश पचौरी को भी भोजपुर से हार का सामना करना पड़ता है। इस बार भी कांग्रेस की मुश्किलें भोजपुर में आसान नहीं है क्योंकि अभी तक भोजपुर में कांग्रेस का कोई स्थाई चेहरा नहीं है। जिसका सीधा सीधा लाभ क्षेत्र में विरोध होने के बाद भी भाजपा को मिलता दिख रहा है।
पिछले 3 चुनावों के नतीजे
भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के अगर चुनावी समीकरण की बात की जाए तो भोजपुर विधानसभा में भाजपा के प्रतिनिधि सुरेंद्र पटवा ने 2018 के आम चुनावों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को 29,486 वोटों से शिकस्त दी थी। जिसमें सुरेंद्र पटवा को 53 प्रतिशत वोट मिले थे तो वही कांग्रेस के सुरेश पचौरी को महज 36 प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे। 2013 में हुए आम चुनाव में सुरेंद्र पटवा को 51 प्रतिशत तो वही 49 प्रतिशत मत मिले थे। 2008 में सुरेंद्र पटवा का सामना कांग्रेस के राजेश पटेल से हुआ था जिसमें कांग्रेस के राजेश पटेल को भी हार का सामना करना पड़ा था।
क्षेत्रीय मुद्दे: 2023 के अंत में होने वाले आम चुनाव के संबंध में जब भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से बात की गई तो मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से कहते हुए बताया कि क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है क्षेत्र में काफी विकास हुआ है पर बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 12 गांव में काफी बेरोजगारी है। यहां पर रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है ना ही कोई इंडस्ट्री लगाई गई है जिस और ध्यान देना चाहिए। भोजपुर गांव के पास कीरतनगर में मिले राधाकिशन राय ने बताया कि गांवों तक सडक़ पहुंची है अब नल से पानी भी मिल रहा है। बिजली की किल्लत भी कम हुई है। लेकिन एक बात समझ नहीं आती मंडीदीप में इतनी बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, लेकिन हमारे लडक़ों को काम नहीं मिलता। फैक्ट्री के साहब लोग बड़े शहरों से आते हैं तो मजदूर छत्तीसगढ़ और दूसरी जगहों के हैं, धुंआ हमें मिल रहा है लेकिन नौकरी दूसरे कर रहे हैं। यहां से 13 किमी दूर बीलखेड़ी में नितिन राय ने बताया कि किसानों की समस्याएं अभी भी कम नहीं हुई हैं। खेतों में बिजली के तार लटक रहे हैं।
विकास के अपने-अपने दावे
पटवा परिवार की पारिवारिक सीट माने जाने वाली भोजपुर से विधायक सुरेंद्र पटवा तीसरी बार विधायक हैं। यहां स्वास्थ्य केंद्र शुरू होने से स्थिति में कुछ सुधार आया है लेकिन 700 से अधिक औद्योगिक इकाइयों को समेटे हुए मंडीदीप जैसा औद्योगिक क्षेत्र भी यहां के नौजवानों को रोजगार नहीं दे पा रहा है। इससे जनता में नाराजगी है। युवाओं के सामने रोजगार का संकट है। स्थानीय लोगों को इन इकाइयों में रोजगार नहीं मिलने का मुद्दा चुनाव के समय ही उठता है। इसकी वजह से कई बेरोजगार रोजगार की तलाश में पलायन भी कर रहे है। इस बात पर  विधायक सुरेंद्र पटवा भी चिंतित नजर आते हैं, उनका कहना है कि स्थानीय लोगों को मंडीदीप में ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिलाने को लेकर कंपनी के डायरेक्टर से बात भी करते हैं। साथ ही मेरी पहली प्राथमिकता स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने की रहती है। इसको लेकर मैंने काम भी किया है। वह कहते हैं कि भीमबेटका तथा विशनखेडा / नानाखेड़ी में 65 करोड़ की लागत से दो ओवरब्रिज निर्माण स्वीकृत हो चुके है।

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