डिप्टी रेंजरों को भी मिलेगी जल्द पदोन्नति, प्रस्ताव शासन को भेजा

डिप्टी रेंजरों

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। वन विभाग के मैदानी अमले को कथित प्रमोशन की आस फिर जागी है। विभाग ने पुलिस के तर्ज पर एडहॉक प्रमोशन देने का फैसला किया है। डिप्टी रेंजर को सीनियरिटी के मुताबिक रेंजर का प्रभार दिया जाएगा। इसके बाद फारेस्ट एक्ट के तहत शिकार, चोरी और अतिक्रमण के मामलों में कार्रवाई तेज होने का रास्ता खुल जाएगा। इसके लिए विभाग द्वारा कवायद शुरू कर दी गई है। वन विभाग द्वारा इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भी भेजा जा चुका है। यह कर्मचारी 5 साल से अधिक समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश लोकसेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया था इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वन विभाग में जिला संभाग और राज्य सेवा के लगभग 25766 से अधिक पद हैं जिनमें से पदोन्नति से भरे जाने वाले 3278 पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। इन रिक्त पदों को भरने और कर्मचारियों का मनोबल बनाए रखने के लिए ही विभागों द्वारा अब कर्मचारियों को उच्च पदों का प्रभार देने के लिए ही एडहॉक प्रमोशन के रुप में तोड़ निकाला है।
यह है रिक्त पदों की स्थिति
राज्य कैडर के रेंजर (वन क्षेत्रपाल) के प्रदेश में 180 पद रिक्त बने हुए हैं। इसी तरह से डिप्टी रेंजर (उप वन क्षेत्रपाल) के 1258 में से 672 और फारेस्टर (वनपाल) के 4194 में से 1562 पद रिक्त चल रहे हैं, जिसकी वजह से महकमे का मैदानी कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।  वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों में ये वह पद हैं, जो कानूनी कार्रवाई के लिए अधिकृत हैं। इतनी बड़ी संख्या में पद खाली होने से लकड़ी चोरी, शिकार, अतिक्रमण सहित अन्य मामलों में कार्रवाई भी प्रभावित हो रही है।
नहीं आएगा सरकार पर भार
विभाग में भी पुलिस जैसे ही हालात हैं। वन विभाग के कर्मचारियों को सिर्फ उच्च प्रभार देने की जरूरत है। उन्हें उच्च पद के समान वेतनमान और भत्ते पहले से मिल रहे हैं। इसकी वजह से सरकार पर कोई भी नया आर्थिक भार नहीं आएगा। उच्च पद का प्रभार मिलने पर डिप्टी रेंजर प्रभारी रेंजर, वनपाल डिप्टी रेंजर लिख सकेंगे और उनकी वर्दी का भी उपयोग कर सकेंगे।

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