टारगेट बनाकर, विभागों को करना होगा अब काम

  • मुख्य सचिव ने खींचा विभागों की प्राथमिकताओं का खाका  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मुख्य सचिव अनुराग जैन स्वयं लक्ष्य बनाकर काम कर रहे हैं और उन्होंने विभागों को भी टारगेट बनाकर काम करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत उन्होंने प्रदेश के सभी विभागों की प्राथमिकताओं का खाका खींचा है। इसके तहत विभाग में मुखिया यानी अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव रहें या न रहें इसका असर नहीं पड़ेगा। यानी विभाग की प्राथमिकताओं को विभाग को समय सीमा में करना होगा। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पहली बार विभागों की प्राथमिकताओं का खाका खींचा है। हर विभाग को पिछले साल का लेखा-जोखा देना होगा आगामी वर्ष की रणनीति भी बतानी होगी।
गौरतलब है कि अनुराग जैन तेज तर्रार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर हैं। ऐसे में वे चाहते हैं कि प्रदेश का हर एक अधिकारी-कर्मचारी लक्ष्य बनाकर काम करें। इसलिए उन्होंने  विभागों की प्राथमिकताओं का खाका खींचा है ताकि किसी अफसर के आने-जाने से विभाग के कामों पर असर न पड़े। मुख्यसचिव ने पद भार ग्रहण करते ही अफसरों को संकेत दे दिया था कि आईएएस हैं तो हमें सब-कुछ आता है, इस भावना से काम नहीं करें, बल्कि दूसरी सेवाओं के विशेषज्ञों को भी साथ लेकर चलें। उनके अनुभव का लाभ उठाएं। एक विभाग से दूसरे विभाग को पत्र या पर्ची भेजने से अच्छा है कि आपस में चर्चा करें। कामकाज की प्रक्रिया को सरल बनाएं। अनावश्यक कागज चलाने का कोई औचित्य नहीं हैं। सभी एक-दूसरे के संपर्क में रहें और संवाद करें।
 नहीं बदलेंगी विभागों की प्राथमिकताएं
मुख्य सचिव ने प्रशासनिक कामकाज में कसावट लाने और विकास कार्यों को गति प्रदान करने लिए विभागों की प्राथमिकताओं का जो खाका तैयार किया गया उसके अनुसार अब 55 में से किसी भी विभाग के अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव और सचिव बदल भी जाएं तो संबंधित विभाग की प्राथमिकताएं नहीं बदलेंगी। यानी जनता से जुड़े जिन कार्मों का बीड़ा विभाग उठा चुका है, उसे हर हाल में पूरा करना होगा। दरअसल, मुख्य सचिव की कार्ययोजना यह है कि अफसरों को टीम भावना से काम करना होगा। गौरतलब है कि उन्होंने अफसरों को बैठकों में पहले ही संकेत दे दिया था कि भारत सरकार के अधिकारियों से केवल प्रस्ताव भेजने के समय नहीं बल्कि हमेशा संपर्क में रहें। मेरे सामने जो फाइल लाएं उसमें यह अवश्य बताएं कि जो कर रहे हैं, उसका क्या लाभ है और क्या अच्छा कर सकते हैं। सभी अधिकारी टीम भावना से काम करें। दूसरे विभागों के विशेषज्ञों के अनुभवों को लाभ उठाएं। अन्य राज्यों में जो अच्छे काम हो रहे हैं, उन पर नजर रखें। अब तकनीक के उपयोग का जमाना है। सभी अपग्रेड हों। जहां जो भी अच्छा मिले, उसे ग्रहण करें। गौरतलब है कि विभागों की प्राथमिकताएं अभी विभागीय मुखिया के बदलते ही करीब 50 फीसदी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। अर्थात कई अफसरों की प्राथमिकताओं में से पहले के अफसर की प्राथमिकता वाले काम गायब हो जाते हैं. इसका नुकसान जनता व प्रदेश को तो होता ही है, विभाग का वह अमला भी परेशान होता है तो अफसरों के बदलते ही नई प्राथमिकताओं के बोझ से दब जाते हैं। सरकार को भी ठोस परिणाम नहीं मिलते।
काम के आधार पर बनेगी सीआर
मुख्य सचिव खुद बेस्ट परफॉर्मर अफसर हैं। इसलिए उन्होंने अफसरों की परफॉर्मेंस यानी काम के आधार पर सीआर बनाने का निर्णय लिया है। ऐसे में किस अफसर के कार्यकाल में किस विभाग की परफॉर्मेंस कैसी रही इसका आकलन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में सीआर लिखी जानी है। ऐसे अफसर जिनके विभागों की कार्ययोजना परिणाम आधारित और जनउपयोगी होंगी, उनकी सीआर में चार चांद लग सकते हैं। वहीं विभागों की भी लगातार समीक्षा की जाएगी। इसके तहत विभागों को अपने कामकाज की रिपोर्ट देनी होगी। विभागों को बीते वर्ष में किए विशेष काम की जानकारी देनी होगी। आगामी वर्षों में किए जाने वाले विशेष कामों की योजना बतानी होगी। विजन 2047 को पूरा करने के लिए विभाग की रणनीति क्या है तथा गरीब, अन्नदाता, युवा व नारी के कल्याण के लिए किए जाने वाले प्रकल्प व पूरा करने की योजना को बताना होगा। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता से जुड़े काम की पूर्ति का विवरण, आगे उसके लक्ष्य कैसे पूर्ति करेंगे, बीते वर्ष की योजनाओं की लक्ष्य की पूर्ति व आगामी वर्ष के योजनाओं को पूरा करने के लक्ष्य की जानकारी देनी होगी। साथ ही विभाग से जुड़े संकल्पों, उनके पालन की स्थिति व कार्ययोजना, विभाग ने क्या संकल्प लिए, उन्हें पूरा करने की रणनीति, विभाग से जुड़ी केंद्रीय योजनाएं, उनमें लक्ष्य पूर्ति का स्टेटस, आगामी समय में कैसे पूर्ति की जाएगी, उसका विवरण और विभाग को केंद्र से कितने पत्र मिले, एक माह में कितने निराकृत हुए इसकी भी जानकारी देनी होगी।

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