
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/ बिच्छू डॉट कॉम वित्त विभाग भले ही प्रदेश की आर्थिक हालत के मद्देनजर विभागों की खर्च सीमा तय कर चुका है, लेकिन विभागों के अफसरों ने इसका तोड़ निकालते हुए खर्च की सीमा की धज्जियां उड़ाना जारी रखा है। यह तोड़ विभागों ने अन्य व्यय के नाम पर निकाला है। के लिए अलग-अलग मदों में त्रैमासिक खर्च सीमा कर रखी है लेकिन इसका तोड़ निकालते हुए विभाग अन्य व्यय में खर्च बता राशि का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। इससे हिसाब किताब गड़बड़ा रहा है।
फाइनेंस विभाग ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अन्य मद में खर्च करना अति आवश्यक हो तो विभाग को इसका कारण बताते हुए इस संबंध में टीप भी देना होगा। हर साल बजट अनुमान की तैयारियों के दौरान ही वित्त विभाग ने विभागों और बजट नियंत्रण अधिकारियों को अन्य शीर्ष की जगह आवंटित बजट में तय शीर्ष में ही राशि का आहरण और खर्च करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन देखने में आ रहा है कि सरकारी विभाग अभी भी लघु शीर्ष 800 व अन्य वर्ग का उपयोग कर राशि खर्च कर रहे हैं। इसमें काफी ज्यादा खर्च दिखाया जा रहा है। इसके चलते जिस मद के लिए राशि आवंटन हुआ है वहां उसका लेखा-जोखा नहीं रहता। इससे मूल मद में ज्यादा राशि भी कई विभागों ने खर्च कर डाली है।
इस पर महानियंत्रक लेखा परीक्षक ने भी आपत्ति जताई है। संचालक बजट आइरिन सिंथिया ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि आगामी बजट अनुमान और अनुपूरक अनुमानों में विभाग उनके लिए तय किए गए शीर्षक का ही उपयोग करें।
वित्तीय सलाहकारों को बताएंगे तरीका
अन्य शीर्ष का उपयोग रोकने के लिए वित्त विभाग जल्द ही शासन के सभी विभागों के वित्तीय सलाहकारों और वित्तीय अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित करेगा। इसमें बताया जाएगा कि किस तरह अन्य शीर्ष का उपयोग रोका जाए।
महालेखाकार को भेजेंगे रिपोर्ट
अन्य शीर्ष का उपयोग कर राशि आहरण किए जाने के संबंध में सभी विभागों को विस्तृत व्याख्या करते हुए 3 दिन के भीतर टीप महालेखाकार कार्यालय और वित्त विभाग को देना है इसके लिए भी निर्देशित किया गया है।