
- खरीदनी पड़ रही है महंगी बिजली, नहीं काम आ रहे निजी बिजली उत्पादकों के करार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव का राजनैतिक पारा भले ही प्रदेश में उतर गया है, लेकिन अब सूरज की तपिश का पारा तेजी से चढ़ रहा है। इसकी वजह से बिजली की डिमांड में भी लगातार इजाफा हो रहा है। जिसकी पूर्ति करने में बिजली महकमे को पसीना छूट रहा है। इसकी वजह से अब लोगों को अघोषित कटौती तक का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार महंगी बिजली खरीदकर जहां आपूर्ति का पूरा प्रयास कर रही है , वहीं पूर्व की सरकार में किए गए निजी बिजली उत्पादकों के करार ऐसे समय में बेकार नजर आ रहे हैं। इससे सरकार को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। फिलहाल गर्मी की वजह से पूरा प्रदेश बेहाल बना हुआ है।
पंखे गर्म हवा फेंक रहे हैं, तो कूलर भी राहत देने में नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसकी वजह से लोगों में एयरकं डीशन के उपयोग का तेजी से चलन बढ़ रहा है। इन सभी कारणों से बिजली की डिमांड पुराने रिकॉर्ड तोड़ रही है। इसी बीच 23 मई को बिजली की मांग का आंकड़ा 12286 मेगावॉट रहा था। दो दिन बाद 25 मई को यह आंकड़ा बढक़र 14 हजार मेगावाट तक पहुंच गया। गर्मी आते ही कम बिजली की वजह से महकमा कभी मेंटीनेंस के नाम पर तो कभी अन्य वजहों को बताकर घोषित कटौति तो करता है , इसके अलावा उसके द्वारा कई बार अघोषित कटौती भी की जाती है। जैसा की इस समय हो रहा है। मांग बढ़ते ही भोपाल सहित बड़े शहरों में रात के समय खासतौर पर बिजली की कटौती की जा रही है। वह भी अघोषित तौर पर। उधर, विभाग का दावा है कि प्रदेश में बिजली की पर्याप्त व्यवस्था है। कहीं भी बिजली की कमी से कोई कटौती नहीं की जा रही है। यदि कहीं बिजली जाने की शिकायत है तो वह संबंधित क्षेत्र में तकनीकी समस्या हो सकती है।
10 रु. यूनिट की दर पर खरीदी
बिजली की बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने और लोगों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए सरकार द्वारा निजी कंपनियों से 10 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली की खरीदी की जा रही है। शनिवार को प्रदेश में करीब 14 हजार मेगावाट बिजली की खपत थी, जो इस सीजन में सर्वाधिक है। इसमें से आधी से ज्यादा बिजली निजी कंपनियों और एनटीपीसी से खरीदी गई। यह पिछले साल इसी दिन के मुकाबले 4.2 करोड़ यूनिट ज्यादा रही। पिछले साल 25 मई को 26.8 करोड़ यूनिट बिजली सप्लाई की गई थी। हालांकि मप्र के सभी पावर प्लांट चालू स्थिति में हैं। यह बात अलग है कि सरकार का निजी बिजली कंपनियों से कम रेट पर अनुबंध है। ग्रिड में बिजली की उपलब्धता के आधार पर रेट हर 10-15 मिनट में बदल जाते हैं। ग्रिड में 50 प्रतिशत से ज्यादा बिजली है, तो सस्ती और 50 प्रतिशत से कम है तो मिलती है। इसके तहत सरकार को दोपहर में 4 रु. तो शाम को 10 रु. की दर से बिजली खरीदनी पड़ी है।
प्रदेश में बिजली उत्पादन
23 मई 2024 के आंकड़ों के अनुसार 4570 मेगावॉट क्षमता के ताप विद्युत गृहों से 4070 मेगावाट बिजली उत्पादन किया गया। 2706 मेगावाट की क्षमता के पनबिजली संयंत्रों से 940 मेगावॉट, 2428 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्रों से 977 मेगावाट और 1670 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता से 1204 मेगावाट उत्पादन किया गया है। इसके अलावा एनटीपीसी से पांच हजार मेगावाट, रिलायंस पावर के सासन प्रोजेक्ट से 1350 मेगावाट की सप्लाई हो रही है।
दावा 21 हजार 615 मेगावाट का
उधर, पूर्व की शिवराज सरकार दावा करती रही है कि प्रदेश में बिजली का उत्पादन मांग से कहीं अधिक है, जिसकी वजह से प्रदेश सरप्लस वाला राज्य बन चुका है। इसके बाद भी सरकार को बिजली के संकट से गुजरना पड़ता है। इसकी आपूर्ति के लिए उसे दूसरी जगहों से महंगे दामों में भी खरीदी करनी पड़ती है। सरकारी दावे के मुताबिक प्रदेश में मप्र जेनको थर्मल पावर की 5400 मेगावाट, मप्र जेनको हाइडल की 933 मेगावाट, जेवी एवं अन्य हाइडल की क्षमता मेगावाट है। इसी तरह से से 1538 मेगावाट और गैर सौर उर्जा की क्षमता 2542 मेगावाट है, जबकि केंद्रीय शेयर से 5252 मेगावाट, डीवीसी से 100 मेगावाट, निजी क्षेत्र एवं यूएमपीपी से 3402 मेगावाट बिजली मिलती है।
कहां से कितनी बिजली खरीदी
– मप्र का अंश (निजी कंपनियों से खरीदी) 14.88 करोड़ यूनिट
– केंद्र के एनटीपीसी, परमाणु ऊर्जा और अन्य से 16.24 करोड़ यूनिट