
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी कामकाज की धीमी गति से आमजन तो पहले से ही परेशान रहते हैं , लेकिन अब इसका शिकार खुद सरकारी कर्मचारी हो रहे हैं। इसकी वजह है प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले बड़े पैमाने पर सरकार ने कर्मचारियों के तबादले कर दिए। यह तबादले ऐसे समय किए गए, जबकि प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने वाली थी। जब तक कर्मचारी रिलीव होते तब तक प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लग गई। इसकी वजह से अब रिलीव कर्मचारियों की नई जगह पर ज्वाइनिंग नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से वे बीच में ही अटक गए हैं। चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी अधिकारी, कर्मचारी की रिलीविंग और ज्वाइनिंग आयोग की अनुमति से ही की जा सकेगी। इसके बाद भी कई विभागों के अफसरों द्वारा स्थानांतरित कर्मचारियों व अफसरों को मनमाने तरीके से रिलीव किया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में चुनावी तरीखों की घोषणा से ठीक पहले एमएसएमई, स्कूल शिक्षा, पंचायत और ग्रामीण विकास के अंतर्गत ग्रामीण आजीविका मिशन, जल संसाधन, पीडब्ल्यूडी, राजस्व, सामान्य प्रशासन विभाग, स्वास्थ्य समेत अन्य विभागों में जमकर तबादले किए गए हैं। ऐसे में उनके रिलीव होने में समय लगने की वजह से वे चुनावी आचार संहिता के फेर में उलझ गए हैं। आयोग के निर्देश की वजह से जिन कर्मचारियों व अफसरों ने 9 अक्टूबर तक ज्वाइनिंग नहीं दी है , वे उलझ कर रहे गए हैं। 9 अक्टूबर को चुनाव आचार सिंह का लागू हो गई तो कलेक्टरों ने अधीनस्थ विभागों के जिला अधिकारियों से साफ तौर पर किसी भी अधिकारी कर्मचारी को ज्वाइन कराने से मना कर दिया। इसका असर यह हुआ है कि जो कर्मचारी अधिकारी नए पदस्थापना स्थल के लिए रिलीव हो गए थे, वह बीच में फंस गए हैं। पुराने दफ्तर से वे रिलीव हो चुके हैं और नए दफ्तर में ज्वाइन नहीं हो पा रहा है।
सर्वाधिक परेशान शिक्षक
चुनावी तारीखों का एलान से ठीक पहले स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के कई संभागों और जिलों में अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों की 12 साल की सेवा अवधि पूर्ण होने के बाद क्रमोन्नति देने और नवीन पदस्थापना को लेकर काउंसलिंग कराई गई? है। काउंसलिंग के बाद विभाग ने शिक्षकों के बड़े पैमाने पर तबादले कर दिए। जिसकी वजह से उनकी पदस्थापना दूसरे जिलों में कर दी गई। जब तक वे नए कार्यस्थल पर आमद देने पहुंचे चुनावी आचार संहिता लग चुकी थी। इसकी वजह से उनकी ज्वाइनिंग अटक गई है। अब वे परेशान घूम रहे हैं। उधर, चुनावी काम में सबसे अधिक ड्यूटी स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की ही लगाई गई है। ऐसे में जब विभाग में किए गए तबादलों की जानकारी कलेक्टरों को लगी तो उनके द्वारा जिला शिक्षा अधिकारियों को विभाग के कर्मचारियों को रिलीव न करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन तब तक बहुत से कर्मचारी रिलीव हो चुके थे , जिसकी वजह से इस तरह की स्थिति बनी है।