
- प्रदेश में संगठन का काम पूरी तरह से ठप… पार्टी का फोकस एसआईआर पर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अगस्त में मप्र के 71 जिला कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी। इसके बाद से ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की कवायद में जुटी है, लेकिन अब तक एक भी जिले की कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। पिछले दिनों लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के पचमढ़ी प्रवास को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी हरकत में आ गई और जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज कर दी। अक्टूबर के आखिर में आनन-फानन में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जिला अध्यक्षों के साथ बैठक कर संगठन के विस्तार को लेकर चर्चा की। इस दौरान सभी जिला अध्यक्षों ने जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्ष के लिए नामों का पैनल तैयार कर बंद लिफाफे में प्रदेश पदाधिकारियों को सौंप दिया। प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना था कि नवंबर में एक-एक कर जिला-वार कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा की जाएगी। महीना भर होने को है, लेकिन अब तक जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों के नाम लिफाफे से बाहर नहीं आ पाए हैं। दरअसल, अगस्त में कांग्रेस ने मप्र के नवनियुक्त जिला अध्यक्षों की दिल्ली में बैठक बुलाई थी। बैठक में राहुल गांधी ने जिला अध्यक्षों के साथ संगठन विस्तार को लेकर चर्चा करते हुए उन्हें 30 दिन में जिला और ब्लॉक की नई टीम बनाने का टारगेट दिया गया था। नवंबर का महीना समाप्त होने को है, लेकिन अब तक एक भी जिले में नई टीम नहीं बन पाई है। भोपाल जिले में भी जिला कार्यकारिणी और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति अटकी है। कांग्रेस ने अवनीश भार्गव को सेवादल का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर हो रहे बदलाव यह संकेत दे रहे हैं कि भाजपा अब केवल वंशानुगत नेताओं पर निर्भर रहने के बजाय जमीनी कार्यकर्ताओं के संघर्ष, निष्ठा और संगठनात्मक योगदान को वरीयता देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। प्रदेश संगठन में हाल के सप्ताहों में हुए फेरबदल और नई नियुक्तियों ने पार्टी के अंदर सक्रिय कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह जगाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा जिम्मेदारी संभालने के बाद संगठन को नए स्वरूप में ढालने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी। उन्होंने सबसे पहले जिला कार्यकारिणी के गठन पर ध्यान केंद्रित किया। इस बार एक नया प्रयोग करते हुए सभी जिलों में ऑब्जर्वर भेजे गए, जिन्होंने स्थानीय परिस्थितियों और कार्यकर्ताओं की भूमिका के आधार पर रिपोर्ट तैयार की। इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर जिला कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया। नियुक्तियों के दौरान कुछ जिलों में विरोध भी सामने आया। जिसके बाद पार्टी नेतृत्व ने स्थिति को गंभीरता से लिया और कुछ पदाधिकारियों से इस्तीफे भी लिए गए। प्रदेश कार्यसमिति में भी नए चेहरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपीं। शीर्ष नेतृत्व का संदेश स्पष्ट था-पार्टी अब केवल नेता पुत्रों या राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को प्राथमिकता नहीं देगी, बल्कि उन कार्यकर्ताओं को आगे लाया जाएगा जो वर्षों से संगठन को मजबूती देने में जुटे थे। यह बदलाव पार्टी में व्याप्त असंतोष को कम करने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बूथ और मंडल स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को दिए जा रहे पद
मोर्चों और प्रकोष्ठों में भी इसी नीति को अपनाया गया है। युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, पिछड़ा वर्ग मोर्चा सहित विभिन्न संगठनात्मक शाखाओं में उन कार्यकर्ताओं को पद दिए गए हैं, जिन्होंने बूथ और मंडल स्तर पर अपनी सक्रियता और संगठनात्मक क्षमता का प्रभाव दिखाया है। भाजपा के भीतर हो रहे इन परिवर्तनों को राजनीतिक विश्लेषक आगामी चुनावों की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानते हैं। जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्षों की मेहनत और संघर्ष अब पहचाना जा रहा है, जिससे संगठन में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
पार्टी संगठन का विस्तार नहीं कर पा रही
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव का वक्त नजदीक आता जा रहा है, लेकिन पार्टी संगठन का विस्तार नहीं कर पा रही है। इस कारण प्रदेश में संगठन का काम पूरी तरह से ठप पड़ा है। चुनाव के ऐन मौके पर संगठन में जिला व ब्लॉक स्तर पर नियुक्तियां करने का कोई औचित्य नहीं रहता। यदि पार्टी को जमीन पर पकड़ मजबूत करना है, तो अभी से संगठन का विस्तार करना होगा। मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि अभी पार्टी का पूरा फोकस विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर है। पूरी पार्टी एसआईआर प्रक्रिया पर नजर रख रही है, ताकि नई वोटर लिस्ट से एक भी वोटर का नाम न कट सके। एसआईआर का काम पूरा होने के बाद नई जिला कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी।
