
- भाजपा कार्यालय तोड़ने पर छलका रघुनंदन का दर्द, नड्डा को लिखी चिट्ठी…
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा कार्यालय यानी दीनदयाल उपाध्याय परिसर को तोड़कर नया बनाने की प्रक्रिया का विरोध भाजपाईयों ने शुरू कर दिया है। भाजपा के स्तंभ नेता पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा का पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा पत्र मीडिया में आया है। जिसमें रघुनंदन शर्मा ने पार्टी नेताओं को चेतावनी भरे अंदाज में लिखा है कि कार्यालय तोड़ा तो बुल्डोजर के आगे कार्यकर्ता छाती भी अड़ा सकते हंै। शर्मा के इस पत्र से भाजपा में हड़कंप मच गया है। साथ ही दीनदयाल परिसर की दुकान संचालकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। शर्मा ने खुले तौर पर कार्यालय तोड़ने का विरोध करते हुए लिखा है कि दीनदयाल परिसर को दीनदयाल परिसर रहने दें। यह कुशाभाऊ ठाकरे का स्मारक है। इसे जीवित रहने दें, साथ ही लिखा है कि पास में ही परिवहन निगम की खाली जमीन पर नई पीढ़ी के सपनों का विशाल भवन बनाएं और लाखों कार्यकर्ताओं की भावनाओं से जुड़े इस भवन को ध्वंस करने का विचार त्यागें। शर्मा ने सवाल उठाए हैं कि हाईकमान ने इस कार्यालय का सर्वांग भ्रमण कर पूरा देखा नहीं है तो फिर उसे मिटाकर नया बनाने का निर्णय, दिल्ली से दौलताबाद राजधानी बनाने जैसा ही उदाहरण है। इसलिए इस पर पुन: विचार किया जाए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने कड़े शब्दों में कार्यालय तोड़ने को गलत ठहराया है। शर्मा ने लिखा, जब किसी युद्ध में कुशल महारथी का प्रशिक्षित हाथी पगला जाता है तो वह अपनी ही सेना को कुचलने लगता है। हम भी अपनी ही पार्टी के कार्यालय को अपने हाथों से तोड़ने का दूषित विचार मन में ला रहे हैं। यह काम निष्ठावान कार्यकर्ता के हृदय पर पत्थर मारने जैसा है। यह काम कोई कठोर हृदय व्यक्ति ही कर सकता है। शर्मा ने लिखा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मुझे फोन पर बताया कि दीनदयाल परिसर ध्वस्त किया जा रहा है। मुझे बताया कि प्रदेश के लोग मौजूद दफ्तर का ही नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण चाहते थे, पर राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय को ध्वस्त कर नया बनाने का आदेश दिया है। शर्मा ने लिखा, मेरा सवाल ये कि क्या राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय का भ्रमण कर देखा है, नहीं तो जिसे देखा नहीं, उसे मिटाने का निर्णय दिल्ली से दौलताबाद राजधानी बनाने जैसा है। आतंकवाद और अपराधी के भवनों पर बुलडोजर चल रहे हैं तो भाजपा कार्यालय इनमें से किस श्रेणी में आता है।
वरिष्ठों ने नहीं ली राय
शर्मा ने लिखा कि सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, हिम्मत कोठारी, मेघराज जैन, भंवर सिंह, माखन सिंह चौहान में से किसी से कार्यालय तोड़ने पर राय नहीं ली। ये लोग अब पदाधिकारी नहीं है, पर क्या इन सबको मिलाकर अब संगठन नहीं कहलाता। शर्मा ने लिखा कि इस कार्यालय को बनाने में मप्र के छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं का योगदान है। कई गरीब कार्यकर्ताओं ने अपना पेट काटकर योगदान दिया है। जनसंघ से जनता पार्टी और भाजपा का राजधानी में अपना कोई कार्यालय नहीं था। कुशाभाऊ ठाकरे, प्यारेलाल खंडेलवाल, नारायण प्रसाद गुप्ता, वीरेन्द्र सकलेचा, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी जैसे अनेक नेताओं एवं सैकड़ों जीवनदानी कार्यकर्ताओं का सपना था कि राजधानी में अपना कार्यालय बने। उसी सपने का मूर्त रूप है दीनदयाल परिसर। यह कुशाभाऊ ठाकरे, प्यारेलाल खंडेलवाल, नारायण प्रसाद गुप्ता जैसे तपस्वियों का स्मारक है। इस स्मारक को जीते जी जोड़ने का यह अनेक समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं के हृदय पर पत्थर मारने जैसा है। ऐसा कार्य कोई पत्थर जैसे कठोर ह्दय का व्यक्ति ही कर सकता है।
खड़े होकर बनवाया
शर्मा ने लिखा कि वे दीनदयाल परिसर निर्माण के साक्षी हैं। जिसकी आंखों के सामने नींव से लेकर शिखर का निर्माण हुआ है। इसमें कितने लोगों का परामर्श कितने लोगों का परिश्रम, कितने लोगों की भावनाएं हैं। मैं स्वयं रात-रात भर जगा हूं। कई बार सुबह 5 बजे से रात 12 बजे तक हम लोग काम में लगे रहते थे। नीमच फैक्ट्री से सस्ती सीमेंट लाना, इंदौर से सीधे स्टील फैक्ट्री से स्टील लाना। आप लोगों को इसकी कल्पना भी नहीं है। ठाकरे जी ने भोपाल के जनसंघ के संस्थापक चौबे जी, नानूराम दादा के कर कमलों से स्वयं की उपस्थिति में भूमि का पूजन करवाया था। बाद में राजमाता के द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रम संपन्न किया। शर्मा ने लिखा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि रिनोवेशन की अनुमति मांगी थी, हमें विध्वंस का आदेश दे दिया है। जिस परिसर का विध्वंस किया जाना है। उसे इतना मजबूत ढंग से बनाया गया है कि जितनी राशि में यह कार्यालय बना था, उससे कई गुना राशि ध्वंस करने में लग जाएगी। कहीं ऐसा न हो कि इस अपरिपक्क निर्णय का विरोध करने के लिए कार्यकर्ताओं को बुल्डोजर के सामने छाती अड़ाकर खड़ा होना पड़े।
पत्र पूरी तरह से गोपनीय था, लीक कैसे हुआ
रघुनंदन शर्मा का कहना है कि पत्र मैंने ही लिखा था। पत्र पूरी तरह से गोपनीय था। मेरे लिए शोध का विषय है कि लीक कैसे हुआ। इस संबंध मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा। पहले पार्टी के भीतर ही बात करूंगा। पत्र में रघुनंदन शर्मा ने सुझाव दिया कि इस कार्यालय को ऐसा रहने दिया जाए। पार्टी सामने आरटीओ स्थित भवन के स्थान पर नया कार्यालय बनाए। उन्होंने कहा कि इससे भी विशाल कार्यालय बनाना आप लोगों विशाल सोच हो सकती है पर इसे पार्टी की सोच बताया जा रहा है जो गलत है। अपने तीन पेज के लंबे पत्र में उन्होंने कहा है कि मैंने कुशाभाऊ ठाकरे जी के साथ 25 सालों का समय व्यतीत किया है। उनकी कार्यशैली देखी है। वे सबसे विमर्श करके सर्वसम्मति से निर्णय लेते थे। उन्होंने कहा कि यह कार्यालय इतना मजबूत बना है कि जितनी राशि इसे बनाने में लगी थी उससे ज्यादा ध्वंस करने में खर्च हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कहीं ऐसा न हो कि कई पुराने कार्यकर्ता ध्वंस के समय बुलडोजर के सामने छाती अड़ाकर खड़े हो जाएं। उन्होंने नड्डा से आग्रह किया है कि यह भवन स्वर्गीय ठाकरे जी का स्मारक है इसे जीवित रहने दें।