- परिवार पेंशन नियमों में संशोधन करने जा रही सरकार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेटियों के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद भी परिवार पेंशन देने की तैयारी कर रही है। अभी तक 18 साल तक के बेटे और 25 साल तक की आयु तक की बेटी को ही परिवार पेंशन दिए जाने का नियम है। लेकिन केंद्र सरकार की तर्ज पर मप्र में भी 25 साल की उम्र के बाद अविवाहित, विधवा, परित्यक्ता बेटी को इस दायरे में लाया जा रहा है। माना जा रहा है कि ये नियम जुलाई महीने से लागू कर दिए जाएंगे। नियमों में बदलाव केन्द्र सरकार की तर्ज पर होगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के मामले में 28 अप्रैल 2011 को पेंशन नियमों में संशोधन कर आविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन दिए जाने की पात्रता उम्र बढ़ा चुकी है। जानकारी के अनुसार बेटियों के हित में प्रदेश सरकार अब परिवार पेंशन नियमों में संशोधन करने जा रही है। इसके तहत 25 वर्ष से अधिक आयु होने पर भी बेटियों को परिवार पेंशन दी जाएगी। इसमें विधवा और परित्याक्ता को भी शामिल किया जाएगा। केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए इसे पहले ही लागू कर चुकी है अब राज्य सरकार भी इसे जल्द लागू कर सकती है। इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति नियमों को अंतिम रूप देने में लगी है।
जुलाई से लागू हो सकते हैं नियम
माना जा रहा है कि ये नियम जुलाई महीने से लागू कर दिए जाएंगे। नियमों में बदलाव केन्द्र सरकार की तर्ज पर होगा। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 28 अप्रैल 2011 को अपने कर्मचारियों के मामले में पेंशन नियमों में संशोधन कर 25 वर्ष से अधिक की अविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन देने की पात्रता दी है। इसमें अविवाहित पुत्री की स्थिति में आयु 25 साल से अधिक होने के बाद भी जब तक उसका विवाह नहीं होता, तब तक उसे परिवार पेंशन मिलती रहेगी। विधवा बेटी और परित्यक्ता के मामलों में आजीवन पेंशन का प्रावधान है। अब यह व्यवस्था मप्र में लागू करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। विभिन्न कर्मचारी संगठन इसकी मांग पहले से कर रहे हैं। आश्रित को परिवार पेंशन के रूप में सिर्फ पेंशन की 30 फीसदी राशि ही प्राप्त होती है। सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद कर्मचारी को पेंशन के रूप में मूल वेतन की 50 फीदसी राशि और कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद पत्नी को 30 फीसदी पेंशन दी जाती है। राज्य सरकार ने पेंशन की न्यूनतम राशि 7 हजार 550 और केंद्र सरकार ने 9 हजार न्यूनतम पेंशन तय की है।
भर्ती नियमों का भी सरलीकरण
प्रदेश सरकार भर्ती नियमों का भी सरलीकरण करने जा रही है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सेवानिवृत्त अधिकारियों की एक समिति का गठन किया है। यह समिति विभिन्न विभागों से उनके सुझाव और अभिमत लेकर नए भर्ती नियमों का प्रारूप तय करेगी। इसे आदर्श भर्ती नियमावली का नाम दिया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में अगले दो-तीन सालों में विभिन्न विभागों में करीब ढाई लाख पदों पर भर्तियां की जानी है। अभी स्कूल शिक्षा, नगरीय प्रशासन, वन विभाग और पुलिस महकमे में अलग अलग भर्ती नियम होने से राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन भती मंडल को अलग-अलग विज्ञापन निकालने पड़ते हैं। नियम अलग होने से समय ज्यादा लगता है। अब भर्ती नियमों में एकरूपता लाने का सरकार ने तय किया है। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने रिटायर्ड अधिकारियों की समिति का गठन किया है। जो भर्ती नियमों का अध्ययन कर इसमें आने वाली विसंगतियों का अध्ययन कर रही है। इसमें महिला आरक्षण, अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग को मिलने वाले आरक्षण समेत उम्र, पात्रता आदि को ध्यान में रख नए नियमों का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न विभागों से सुझाव भी समिति ले रही है। इन सुझावों के आने के बाद नए नियम तय किए जाएंगे। गौरतलब है कि हाल में ही सरकार ने अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए साल में एक बार भर्ती परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया है।
कर्मचारी आयोग कर चुका है अनुशंसा
गौरतलब है कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल की अध्यक्षता वाला कर्मचारी आयोग भी अविवाहित पुत्रियों की परिवार पेंशन की पात्रता आयु में वृद्धि सहित विधवा और परित्याक्ता को शामिल करने की अनुशंसा कर चुका है। यह रिपोर्ट वित्त विभाग को सौंपी जा चुकी है। जिस पर पेंशन संचालनालय भी अभिमत दे चुका है। रिपोर्ट को लेकर वित्त विभाग के कुछ प्रश्न थे, जिस पर पर पेंशन संचालनालय ने एक बार फिर अपना पक्ष रख दिया है। सूत्रों का कहना है कि वित्त विभाग ने सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियमों में संशोधन के लिए जो समिति बनाई है, वह नियम को अंतिम रूप दे रही है और जून-जुलाई में कैबिनेट की अनुमति मिलते ही इसे प्रभावी कर दिया जाएगा।