साइबर कमांडो करेंगे ऑनलाइन ठगी करने वालों पर प्रहार

साइबर कमांडो
  • जालसाझों की अब आएगी शामत

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में साइबर अपराधों को रोकने के लिए अब सरकार ने साइबर कमांडो तैनात करने का फैसला किया है। इन साइबर कमांडो को खास तौर से प्रशिक्षित किया गया है, ताकि वे साइबर अपराधों का पता लगा सकें और उन्हें रोक सकें। साइबर कमांडो का पहला बैच कल यानि की 31 मार्च को पास आउट होने जा रहा है। इसके बाद जल्द ही प्रदेश में इन साइबर कमांडोज की तैनाती हो जाएगी। फिलहाल पहले चरण में आधा दर्जन  साइबर कमांडोज की तैनाती होगी।  समय के साथ साइबर अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसे में साइबर क्राइम को रोकना एक बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए समय-समय पर कई प्रयास किये गए हैं। प्रदेश के थानों में स्पेशल साइबर डेस्क भी बनाई गई हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि साइबर अपराधियों से निपटने के लिए हमारी पुलिस अच्छा काम कर रही है, तकनीक बदल रही और क्राइम के तरीके भी इसलिए हम भी कई नवाचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में साइबर कमांडो की तैनाती से लोगों को साइबर सुरक्षा में मदद मिलेगी।
इस तरह से काम करेंगे साइबर कमांडो
साइबर अटैक रोकना- कमांडो साइबर नेटवर्क या सिस्टम में हैकिंग और वायरस के हमलों से निपटेंगे।
तुरंत समाधान- कमांडों हमले की स्थिति में उसका तत्काल हल निकालेंगे, सावधान भी करेंगे।
नेटवर्क पर नजर- साइबर कमांडो नेटवर्क की हर दिन 24घंटे निगरानी करेंगे।
डेटा सेफ्टी- महत्वपूर्ण संस्थानों का डेटा लीक नहीं होने पाए, इसके लिए काम करेंगे।
इन्वेस्टिगेशन- बड़े साइबर अपराधों की जांच और डाटा एनालाइज करेंगे, नीतियां बनाने में सहयोग करेंगे।
हर साल बढ़ रहा आंकड़ा
साइबर अपराधी आम लोगों को अलग-अलग तरीकों से चूना लगाने का काम करते हैं, जिनसे निपटने के लिए साइबर कमांडो का होना बेहद आवश्यक है। भोपाल में साल 2024 में अगर साइबर ठगी के तरीकों को देखा जाए तो सबसे ज्यादा 1101 मामलों में यूपीआई एप के जरिए ठगी की गई। वहीं कॉल फ्रॉड के मामले 615 , अनजाने ट्रांजैक्शन के 481 मामले। नकली खरीदी के 338 के प्रकरण सामने आए। रिश्तेदारियों के नाम पर ठगी के 314, टास्क फ्रेड 292, इन्वेस्टमेंट के नाम पर 260, जॉब दिलाने के नाम पर 151 लोगों से ठगी और लोन एप्स के जरिए 171 लोगों को चूना लगाया।
सेंट्रलाइज्ड फोर्स बनाई जाए: साइबर अपराधों को रोकने के लिए ट्रेन किए रहे कमांडो को साइबर एक्सपर्ट एक अच्छा कदम मानते हैं। साथ ही एक्सपर्ट शोभित चतुर्वेदी ने यह सुझाव दिया कि इसको और प्रभावशाल बनाने के लिए एक सेंट्रलाइज्ड विशेष टीम बनाई जा सकती है ताकि अलग-अलग स्टेट में कार्रवाई करने में दिक्कतें न आएं।
केन्द्र ने बनाया सीएफएमसी
विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए सीएफएमसी बनाया गया है। यह बैंकों, वित्तीय संस्थान, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, भुगतान एग्रीगेटर्स के साथ-साथ राज्यों की जांच एजेंसियों को एक मंच पर लाने का काम करेगा। इसी तरह से समन्यवय प्लेटफॉर्म साइबर अपराध का डाटा संग्रहित करने, उन्हें संबंधित एजेंसियों के बीच वितरित करने, साइबर अपराध का मानचित्र बनाने, उसका विश्लेषण करने के साथ ही साइबर अपराध के खिलाफ काम करने वाली सभी एजेंसियों के लिए वन स्टाप पोर्टल के रूप में काम करेगा। देश में 95 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल और प्रतिदिन औसतन 20.27 डीजी डाटा का उपयोग करते हैं। 35 करोड़ जनधन खाते, 36 करोड़ रूपे डेबिट कार्ड के साथ लगभग 21 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन डिजिटल माध्यम से हुआ है। दुनिया भर की डिजिटल लेन-देन का 46 फीसदी भारत में हो रहा है। जाहिर है डिजिटल लेन-देन बढऩे के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी से सुरक्षा की जरूरत भी बढ़ गई है। इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर के पास हर दिन सात हजार से अधिक साइबर धोखाधड़ी के शिकायतें दर्ज हो रही हैं।

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