बिना सुरक्षा निधि ठेकेदारों को कर दिया करोड़ों का भुगतान

 निधि ठेकेदारों

-जल संसाधन विभाग का कारनामा

– ऑडिट में करोड़ों की गड़बडिय़ों का खुलासा

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के शासकीय विभागों में किस तरह की भर्राशाही और लापरवाही है इसका खुलासा जल संसाधन विभाग की आॅडिट में सामने आया है। संचालनालय कोष एवं लेखा के आंतरिक लेखा परीक्षा दलों द्वारा आहरण एवं संवितरण के आॅडिट में करोड़ों की गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है।
जल संसाधन विभाग ने छिंदवाड़ा और रीवा में नियम विरुद्ध सुरक्षा निधि प्राप्त किए बिना ही ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का अग्रिम भुगतान कर दिया। स्वीकृत पद से अधिक कर्मचारी पदस्थ कर वेतन भत्तों पर अनियमित व्यय करना, शासकीय सेवकों को नियम विरुद्ध तरीके से भत्तों का भुगतान करना, वित्त विभाग की अनुमति के बिना बैंक खातों में करीब 200 करोड़ रुपए का संधारण करना आदि अनियमिताताओं का खुलासा कोष एवं लेखा द्वारा कराए गए आॅडिट में हुआ है।  जानकारी के अनुसार आयुक्त कोष एवं लेखा ने सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को पत्र लिखते हुए कहा कि प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच शासन की संचित निधि से इस प्रकार शासकीय धन का अपव्यय, अनियमित व्यय और अनुचित व्यय करना आपत्तिजनक है। इसके लिए समस्त विभागों से कहा गया है कि वे शासकीय राजस्व प्राप्तियों को शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त कर शासकीय खजाने में जमा करे। गौरतलब है कि संचालनालय कोष एवं लेखा के आंतरिक लेखा परीक्षा दलों द्वारा विभिन्न विभागों के आहरण एवं संवितरण के आॅडिट में करोड़ों की गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। आंतरिक लेखा परीक्षा में ज्ञात हुआ कि वर्ष 2019-20 तथा 2020-21 में अधिकतर विभागों में एक जैसी अनियमितताएं की गर्इं हैं।
कई स्तरों पर हुई हैं गड़बड़ियां
ऑडिट रिपोर्ट में कई स्तरों पर गड़बड़ियां सामने आई हैं। जैसे बिना आवश्यकता से अधिक धन राशि राज्य की संचित निधि से आहरित कर बैंक खातों में जमा करना। वसूली योग्य राजस्व राशि की वसूली नहीं करना, विलंब से वसूल करना और संचित निधि में जमा नहीं करना। शासकीय सेवकों को प्रदाय अग्रिमों का लंबी अवधि तक समायोजन, वसूली, ब्याज की वसूली नहीं होना। निर्धारित दरों से अधिक दरों पर सामग्री क्रय कर शासकीय धन को हानि पहुंचाना। लोक निर्माण विभाग से अनापत्ति प्राप्त किए बिना ही निजी फार्मों से निर्माण संबंधी कार्य कराना। कार्य विशेष के लिए आवंटित शासकीय धनराशि में से उक्त कार्य पूर्ण होने पर शेष बची धनराशि से बिना सक्षम स्वीकृति अन्य निर्माण कार्य करवाना। ठेकेदारों के द्वारा जमा सुरक्षा निधि संबंधी अभिलेखों का अव्यवस्थित संधारण तथा निर्धारित प्रक्रिया का सत्यापन के बिना ठेकेदारों को सुरक्षा निधि की वापसी कर त्रुटिपूर्ण भुगतान करना। अनुदान के रूप में जारी की गई राशि का अनुदान उद्देश्य पर ही व्यय संबंधी उपयोगिता प्रमाण पत्र, सत्यापन नहीं करना और कोषालय से आहरित का अनियमित रूप से दुरुपयोग करना। शासकीय कर्मचारियों के बैंक खातों में सेवा प्रदायकर्ता, संस्थाओं, फर्मों, एजेंसियों को किए जाने वाला भुगतान नियम विरुद्ध तरीके से जमा करना। डीजल, पेट्रोल, वाहन मरम्मत, दूरभाष के लिए निर्धारित व्यय सीमा का पालन नहीं कर अधिक व्यय करना। विगत वर्षों की देयता का भुगतान चालू वित्तीय वर्ष के बजट से बिना सक्षम स्वीकृति करना। विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों के लिए निर्धारित बजट से कार्यालयीन व्यय करना।

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