अंधत्व के नाम पर लगाई करोड़ों की चपत

 स्वास्थ्य विभाग


भोपाल/रवि खरेबिच्छू डॉट कॉम। स्वास्थ्य विभाग के अफसर जो करें सो कम हैं। इस विभाग में जिम्मेदार अफसर मरीजों के नाम पर किस तरह का खेल करते हैं इससे ही समझा जा सकता है कि अंधों के इलाज के नाम पर ही करोड़ों रुपए का घोटाला कर वह राशि डकार गए हैं। यह मामला खुद सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर का है। यहां पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ स्टोर कीपर और मेडिकल संचालक ने मिलकर पहले फर्जी टेंडर निकाला और उसके बाद अंधत्व निवारण की दवा के बाजार मूल्य से तीन सौ गुना अधिक दर पर खरीदी कर डाली।  इसमें सात करोड़ की दवा और अन्य उपकरण शामिल हैं। इस मामले में दिखावे के लिए तो टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया गया, लेकिन मिलीभगत कर टेंडर पहले से निर्धारित फर्म को ही दिया गया। खास बात यह है कि जब यह पूरा खेल किया गया था, तब सीहोर में सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी थे, जो फिलहाल भोपाल में सीएमएचओ के पद पर पदस्थ हैं। अब यह  पूरा मामला आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो पहुंच चुका है। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच भी शुरू कर दी गई है। यह पूरा मामला वर्ष 2017 का है। उस समय सीएमएचओ कार्यालय सीहोर ने अंधत्व निवारण की दवा और उपकरण खरीदी के लिए टेंडर बुलाए थे।  टेंडर के जरिए दवा से लेकर चश्मा, उपकरण और अस्पताल में दैनिक उपयोग में काम आने वाली सामग्री की खरीदी की जानी थी। इसमें झाड़ू तक की खरीदी शामिल है।
इस तरह की गड़बडिय़ां की गई
जानकारी के मुताबिक, टेंडर बुलाने के बाद दस्तावेजों में हेरफेर किया गया। सामग्री की आपूर्ति का काम मेडिकल संचालक मुकेश मालवीय की फर्म संजय मेडिकल को मिला, लेकिन उसमें डीडी किसी अन्य फर्म का लगाया गया। बिना सहमति के दूसरी फर्म के डीडी का इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बाद भी उसके खिलाफ कार्रवाई करने की जगह उसे काम देकर फायदा पहुंचाया गया। अब इस मामले में हाल ही में ईओडब्ल्यू ने स्टोर कीपर केवी वर्मा और संजय मेडिकल के प्रोपराइटर मुकेश मालवीय के साथ ही अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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