- शिवराज के बनाए 14 बोर्ड में से अब केवल परशुराम बोर्ड बचा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव जीतने के लिए शिवराज सरकार ने 14 समाजों के बोर्ड बनाए थे। कहा गया था, जिस समाज के लोग जो खास हुनर रखते है, उसके अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। हालांकि इन बोर्ड के द्वारा अब तक एक भी प्रशिक्षण नहीं हो पाया। लिहाजा, इन बोर्ड के गठन पर सवाल उठने लगे हैं। दिलचस्प यह भी है कि इन बोर्ड 14 बोर्ड पर करीब 56 करोड़ रुपए कुर्सी-गाड़ी और मानदेय पर ही खर्च हुए हैं। लेकिन अब बिना कल्याण किए 13 सामाजिक बोर्ड को भंग कर दिया गया हैज्ञ यानी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा बनाए गए बोर्ड में से अब केवल परशुराम बोर्ड बचा हुआ है।
गौरतलब है कि पिछली शिवराज सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत 2023 में 14 सामाजिक कल्याण बोर्ड बनाकर जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की गई थी। मीणा, यादव, गुर्जर, पाल, बंजारा, जाट, ब्राह्मण, क्षत्रिय जैसे समाजों के नाम पर बने ये बोर्ड खुद अपने अस्तित्व पर सवाल खड़े करने लगे थे। इनके कार्यकाल खत्म हो गए लेकिन समाज के नाम पर कोई ठोस कल्याण नहीं हो पाया। इन बोर्डों को बनाते वक्त कहा गया था कि समाज के युवाओं को हुनर आधारित ट्रेनिंग दी जाएगी, रोजगार के अवसर मिलेंगे, छात्रवृत्तियां और योजनाओं का लाभ मिलेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकांश बोर्डों के पास न दफ्तर था, न स्टाफ और न ही कोई बजट। प्रशिक्षण एक भी नहीं हुआ।
अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी खत्म
समाजों के जो बोर्ड बनाए गए थे इनमें से परशुराम बोर्ड को छोडकऱ बाकी सभी बोर्ड भंग कर दिए गए हैं। इनके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी खत्म कर दी गई है। इस संबंध में आदेश संबंधित विभागों ने दो दिन पहले जारी किए। 14 में से 9 बोर्ड तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विभाग के अधीन थे। इनकी घोषणा मई-जून 2023 में हुई थी और अक्टूबर 2023 में कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। विभाग की तरफ से 17 सितंबर को जारी आदेश में लिखा गया कि 7 जुलाई 2025 को बोर्ड का दो साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसलिए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति समाप्त की जाती है। सभी सामाजिक बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव जिताने में उन्होंने सहयोग दिया, लेकिन अब उपेक्षा की जा रही है। समग्र पिछड़ा वर्ग सामाजिक संगठन के प्रदेश संयोजक राम विश्वास कुशवाह ने कहा कि जब पार्टी को चुनाव में जीत की जरूरत थी, तब इन संगठनों को झुनझुना पकड़ा दिया। राजनीतिक लाभ लेने के बाद इन्हें खत्म कर दिया। सरकार को इनका कार्यकाल बढ़ाना चाहिए।
सफेद हाथी साबित हुए बोर्ड
तत्कालीन सरकार ने जो बोर्ड बनाए थे, वे केवल सफेद हाथी साबित होकर रह गए। तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत कुशवाह समाज के लिए मप्र कुश कल्याण बोर्ड, सोनी समाज के लिए स्वर्णकला बोर्ड, साहू समाज के लिए तेलघानी बोर्ड, मीना समाज के लिए जय मीनेष बोर्ड, कीर समाज के लिए मां पूरी बाई कीर बोर्ड, विश्वकर्मा समाज के लिए विश्वकर्मा बोर्ड, जाट समाज के लिए वीर तेजाजी बोर्ड और रजक समाज के लिए कल्याण बोर्ड बनाए गए थे। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अंतर्गत पाल समाज के लिए मां अहिल्या देवी बोर्ड और गुर्जर समाज के लिए देवनारायण बोर्ड बनाए गए। हाल ही में जैन बोर्ड भी बना था। इनमें से केवल देवनारायण बोर्ड और मां अहिल्या देवी बोर्ड को 10-10 लाख रुपए का बजट मिला। वहीं, सामाजिक न्याय विभाग का परशुराम बोर्ड अब भी सक्रिय है।