20 जिलों में आपदा राहत वितरण में हुआ करोड़ों का घपला

  • विधानसभा में दी गई जानकारी में हुआ खुलासा
  • गौरव चौहान
करोड़ों का घपला

प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में राहत राशि के वितरण में अनियमितताओं की खबरें सामने आई हैं। कुछ मामलों में, राहत राशि का वितरण सही तरीके से नहीं हुआ है, जिससे पीडि़तों को उचित सहायता नहीं मिल पाई है। इसका खुलासा विधानसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी में हुआ है। विधानसभा में दी गई जानकारी में कहा गया है कि प्राकृतिक आपदाओं में राहत राशि के वितरण को लेकर प्रदेश में करोड़ों रुपये की अनियमितताएं हुई हैं। 20 जिले ऐसे हैं जहां गड़बडिय़ां पकड़ में आई हैं। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने विधानसभा में यह जानकारी जौरा से कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय के प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हुई अनियमितताओं से संबंधित प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। गौरतलब है कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, या भूस्खलन के बाद, सरकारें प्रभावित लोगों को राहत राशि और अन्य सहायता प्रदान करती हैं। यह सहायता राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से दी जाती है। मप्र में राहत राशि के वितरण में अनियमितताएं पाई गई हैं। राहत राशि वितरण में गडबडिय़ों को रोकने के लिए सभी संभागायुक्त व कलेक्टरों को अधीनस्थ कार्यालयों के रोस्टर निरीक्षण के दौरान राजस्व परिपत्र पुस्तक 6-4 के प्रकरणों में किए व्ययों का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। बैंकों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि त्रुटिपूर्ण भुगतान न होने पाए। राजस्व मंत्री ने बताया कि आपदा पीडि़तों की पहचान आहरण संवितरण अधिकारी द्वारा की जाती है। राहत राशि का भुगतान डायरेक्टर बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे पीडि़त के निकटतम वैध वारिस के आधार से लिंक बैंक खाते में किया जाता है। आपदा पीडि़तों को राहत राशि भुगतान के 15 दिनों बाद रिपोर्ट ली जाती है, जिसमें राशि का मिलान होता है। उन्होंने जिन जिलों में राहत राशि वितरण में गड़बड़ी हुई है, उसकी जानकारी भी दी।
पेसा कानून को लेकर कांग्रेस का प्रदर्शन
कांग्रेस के विधायकों ने लगातार तीसरे दिन विधानसभा परिसर में भाजपा सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया। सभी विधायक गले में पत्तों की माला पहनकर पहुंचे थे। आरोप लगाया कि सरकार आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन के अधिकार से वंचित कर रही है। आदिवासियों की भूमि बड़े पैमाने पर प्रदेशभर में गैर आदिवासियों को बेची जा रही है। वनाधिकार पट्टे नहीं दिए जा रहे हैं और पेसा कानून का पालन भी नहीं हो रहा है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासियों को वन पट्टों का अधिकार देना ही नहीं चाहती। ढाई लाख से अधिक प्रकरण अभी लंबित हैं। दूसरी ओर जो स्थायी पट्टे पहले दिए गए थे, वे निरस्त किए जा रहे हैं। अधिकारियों की सांठगांठ से आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को धड़ल्ले से बेचने का काम चल रहा है। पेसा कानून का पालन न करके आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार चाहे तो गूगल मैप और गूगल इमेजिंग जैसी तकनीक का उपयोग कर यह प्रमाणित किया जा सकता है कि कौन आदिवासी कब से किस भूमि पर रह रहा है। आदिवासियों के अधिकार की लड़ाई पार्टी सदन से लेकर सडक़ तक लड़ेगी।
जिलों में ऐसे हुई गड़बड़ी
विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार नरसिंहपुर के गाडरवारा व सांईखेड़ा में 2020-21 में 29 प्रकरणों में तीन लाख 64 हजार की गड़बड़ी मिली है। वहीं मंदसौर में 2019-2022 में 20 प्रकरणों में 64 लाख 54 हजार रुपये की गड़बड़ी, विदिशा में  2017-18 में अनियमितताएं पाईं गई। 2023 में आठ प्रकरण दर्ज किए। प्रारंभिक जांच में 40 लाख 19 हजार की गड़बड़ी मिली है। सतना में 2017-18 में घोषित सूखा मुआवजा में गड़बड़ी, भिंड में मार्च 2020 में हुई ओलावृष्टि के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी की गई। पांच प्रकरणों में पटवारियों पर मामला दर्ज है।  तीन करोड़ 64 लाख का भुगतान असंबंधित बैंक खातों में होना पाया गया। श्योपुर में  2021-22 में प्राकृतिक अतिवृष्टि के समय दो करोड़ 40 लाख रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। बड़ौदा तहसील के छह पटवारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। दमोह तहसील बटियागढ़ में 16 लाख 30 हजार की लिपिकीय त्रुटि, एक लाख की वसूली की जा चुकी है। पन्ना में 2015-16 में चार प्रकरणों में 30 लाख से अधिक की गड़बड़ी, मैहर में 2017-18 में सूखा राहत में 12 लाख से अधिक की गड़बड़ी, नर्मदापुरम की तहसील डोलरिया में आर्थिक सहायता मद में 2.23 करोड़ से अधिक का गड़बड़ भुगतान किया गया है। सिवनी के केवलारी तहसील में 17 करोड़ 64 लाख की धोखाधड़ी, जिसमें सर्प दंश व पानी में डूबने के मामलों का उल्लेख किया गया। खंडवा की तहसील खालचा में 11 लाख से अधिक की गड़बड़ी। नीमच के जावद में सात लाख 67 हेजार रुपये का गबन सयसेन में 75 प्रकरणों में 70 लाख की अनियमितता आगर-मालवा में 23 लाख की राहत राशि में गडबड़ी, शिवपुरी में वर्ष 2017-18 में सूखा राहत के तहत मुआवजा वितरण में घोटाला हुआ है। तहसील पिछोर, खनियाधाना, कोलारस व पोहरी के तत्कालीन नायब नाजिरों द्वारा स्वजन के खातों में भेजी राशि। खरगोन की तीन तहसीलों में लगभग 45 लाख रूपये का गबन, सीहोर में 26 प्रकरणों में 63 लाख से अधिक की अनियमितता, देवास के 20 प्रकरणों में राहत राशि में गडृबड़ी, 304 देयकों में राहत देने के नाम पर गडबड़ी सामने आई है।

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