- फर्जीवाड़े का पाठ्य पुस्तक निगम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में हर साल पाठ्यपुस्तक निगम स्कूलों के लिए किताबों को छपवाता है। इन किताबों को छपवाने के लिए निगम कागजों की खरीदी विभिन्न पेपर मिलों से करता है। कागजों की खरीदी में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जब इसकी पड़ताल की गई तो यह पता चला है कि कागजों की खरीदी में यह फर्जीवाड़ा हर साल किया जाता है, जिससे सरकार को करोड़ों स्पए की चपत लग रही है। गौरतलब है कि पाठ्यपुस्तक निगम में हर साल तरह-तरह के फर्जीवाड़े सामने आते रहते हैं। इस बार भी प्रदेश की स्कूल शिक्षा विभाग की किताबों की छपाई के लिए पाठ्यपुस्तक निगम का पेपर मिल से कागज खरीदी में अनियमितता सामने आई है। निगम पेपर मिल से कम कागज लेकर उसका ज्यादा भुगतान करता है। यह खेल सालों से चला आ रहा है।
अधिकारियों की मिलीभगत से खेल
जानकारों का कहना है कि पाठ्यपुस्तक निगम में फर्जीवाड़े का पूरा खेल अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। गौरतलब है कि मप्र सरकार सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक के बच्चों को नि:शुल्क किताबें उपलब्ध कराती है। किताबों के लिए कागज खरीदी व प्रिंटिंग का जिम्मा पाठ्यपुस्तक निगम के पास है। पाठ्यपुस्तक निगम हर साल करीब साढ़े छह करोड़ किताबें छापता है।
इन किताबों की छपाई के लिए पेपर मिल से कागज खरीदे जाते है। इसमें शाह पेपर मिल, सेतिया पेपर मिल, सिल्वरटन पेपर मिल, अमृत पेपर मिल व खन्ना पेपर मिल के नाम शामिल है। इन पेपर मिलों द्वारा पाठ्यपुस्तक को जितना कागज भेजा जाता, उतने का बिल न बनाकर ज्यादा का बनाया जाता है। पाठ्यपुस्तक निगम भी बिना किसी आपत्ति के उसका भुगतान कर देता है। यह खेल अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
एक दशक से अधिक समय से चल रहा खेल
पाठ्यपुस्तक निगम में यह खेल लगभग दस साल के अधिक समय से चल रहा है। यानि निगम करीब एक करोड़ रुपए का बिना पेपर लिए ही पेपर मिल को भुगतान कर चुका है। जबकि निगम में पेपर विशेषज्ञ के तौर पर संविदा महाप्रबंधक संजीव कुमार त्यागी की नियुक्ति है। निगम में पेपर मिल से खरीदी का जो खेल चल रहा है उसे इस तरह समझा जा सकता है। कागज खरीदी में एक शीट का एरिया 58.56*80 = 4914 वर्ग सेंटीमीटर अर्थात 0.4914 वर्ग मीटर होता है। कागज में जीएसएम का अर्थ ग्राम पर स्कायर मीटर यानि एक 1 वर्ग मीटर का वजन 80 ग्राम है। शीट का वजन 0.4914*80 = 39.312 ग्राम अर्थात एक शीट का वजन लगभग 39.31 ग्राम होगा। अब अगर 1 रिम में 500 शीट होती हैं तो 500*39.312 = 19656 ग्राम या 19.656 किलो है। अर्थात एक रिम का वजन लगभग 19.65 किलो होगा। यही वास्तविक वजन है। जबकि पेपर मिल के द्वारा 3 रीम के बॉक्स का वजन 59.1 मानते हुए एक रीम का वजन 19.7 माना है। इसी वजन के अनुसार पेपर का बिल निगम में लगाया जाता है। जबकि वास्तविक में पेपर का वजन 19.65 था। अर्थात 50 ग्राम पेपर का अधिक भुगतान पेपर मिल के द्वारा मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम से लिया जाता है। इस प्रकार निगम द्वारा लगभग 4500 टन पेपर लेने पर पेपर मिल के द्वारा लगभग 11.50 टन अधिक पेपर का भुगतान पेपर मिल को किया जाता है। जोकि पेपर वास्तव में निगम को मिला नहीं है। इस प्रकार नहीं दिए गए पेपर की वास्तविक राशि देखी जाए, तो लगभग साढ़े दस लाख से 11 लाख रुपए होती है। निगम द्वारा बिना पेपर लिए ही पेपर मिल को लगभग 11 लाख रुपए का अधिक भुगतान किया जाता है।