अभिशाप बना सीपीसीटी, अब तक 400 को नौकरी से हटाया

 नौकरी
  • अनुकंपा नियुक्ति के 1600 प्रकरण लंबित

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश के विभिन्न निगम और मंडलों में अनुकंपा नियुक्ति के 1600 प्रकरण अब भी लंबित हैं। वहीं 400 प्रकरण ऐसे हैं, जिन पर नियुक्ति के बाद अभ्यर्थी सीपीसीटी परीक्षा क्लियर नहीं कर पाए और उन्हें नौकरी से हटा दिया गया। दरअसल राज्य सरकार ने शासकीय संस्थानों, निगम मंडलों में अनुकंपा नियुक्ति पाने सीपीसीटी परीक्षा क्लियर करने का नियम बना दिया है। यही नियम चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में पदोन्नति पाने वाले कर्मचारी के साथ भी है। इस कारण कई आश्रितों को नौकरी नहीं मिली, जबकि कई कर्मचारी लंबे अरसे से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार को सीपीसीटी की अनिवार्यता खत्म करने को लेकर वन भवन में कर्मचारियों ने आम सभा का आयोजन किया और जमकर नारेबाजी की गई। बता दें कि प्रदेश के निगम मंडलों में भी सीपीसीटी के चलते लंबित प्रकरणों में नियुक्ति देने की मांग की है। दरअसल निगम मंडलों में वर्तमान में कर्मचारी न होने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जिन पदों पर अनुकंपा नियुक्ति हो सकती है, तो वहां कर्मचारियों की भर्ती करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। ताकि रुका हुआ काम काज सुचारू रूप से चलता रहे। वहीं सीपीसीटी के नियम शिथिल कर केवल नई या सीधी नियुक्तियों में अभ्यर्थियों द्वारा इसे पास करने का नियम बनवाने की मांग कर्मचारी कर रहे हैं। बता दें कि किसी भी पद पर अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए 26 फरवरी 2015 से सीपीसीटी अनिवार्य कर दी गई है। इसके कारण से कई नियुक्ति प्राप्त कर्मचारी सीपीसीटी क्लियर नहीं कर पाते हैं और उन्हें सेवा से हटा दिया जाता है। बुधवार को प्रदर्शन करने के दौरान कर्मचारियों ने सीपीसीटी के नियम शिथिल करने या इस पर रोक लगाने की मांग की है। बता दें कि सीपीसीटी परीक्षा के कारण सबसे ज्यादा परेशानी विधवा महिलाओं को आती है। पति की मृत्यु के बाद आश्रित विधवा सीपीसीटी (टाइपिंग टेस्ट) क्लियर नहीं कर पाती है और उन्हें चार माह बाद नौकरी छोडऩा पड़ती है। इसके चलते विधवा आश्रिताओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है, जिसके कारण वे गुजर बसर नहीं कर पाती हैं।
वन विभाग से निकाले गए कई कर्मचारी
वन विभाग में भी कई कर्मचारियों को सीपीसीटी पास न करने के कारण नौकरी से निकाल दिया है और कई लोगों को नोटिस दे दिए गए हैं। जिसे लेकर बुधवार को कर्मचारी संगठनों ने वन भवन में इकठ्ठा होकर सीपीसीटी खत्म करने को लेकर आवाज बुलंद की। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार से मांग की कि अनुकंपा नियुक्ति और चतुर्थ श्रेणी से पदोन्नति पाकर तृतीय श्रेणी में आने वाले कर्मचारियों के लिए भी सीपीसीटी टेस्ट खत्म किया जाए। हालांकि नव नियुक्ति और सीधी भर्ती में सीपीसीटी अनिवार्य रखी जाए। इसे लेकर कर्मचारी किसी भी तरह का विरोध नहीं कर रहे हैं।

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