भोपाल में फिर शुरू हो सकता है सीपीए

सीपीए
  • नगरीय विकास विभाग से मुख्य सचिव ने मांगी रिपोर्ट…

भोपाल<बिच्छू डॉट कॉम
शहर को व्यवस्थित तरीके से डेवलप करने के लिए साल 1960 में आवास एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत सीपीए का गठन किया गया था। इसका काम भोपाल शहर की सडक़ों को बनाना और उनका मेंटेनेंस करना था। इसके अलावा, उसके जिम्मे पर उद्यान, बिल्डिंग निर्माण, पुल-पुलियाएं बनाने आदि के काम भी आ गए। इस विभाग की नए शहर को खूबसूरती देने में बड़ी भूमिका रही है। नए मंत्रालय एनेक्सी बनाने से लेकर वीआईपी रोड जैसे कई बड़े काम उसने ही किए हैं। लेकिन 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बंद करा दिया था। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आवश्यकताओं को देखते हुए सीपीए को पुन: चालू किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार शहर की प्रमुख विकास एजेंसी रहा राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) फिर शुरू हो सकता है। इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मुख्य सचिव वीरा राणा से रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में सीएस ने नगरीय विकास विभाग से इस मामले की विस्तृत जानकारी तलब की है।
 मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट
शहर की बदहाल सडक़ों को लेकर अगस्त, 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा था कि राजधानी की सडक़ों की जिम्मेदारी एक या दो एजेंसी के पास होना चाहिए। ढेर सारी एजेंसियों की क्या जरूरत है। उन्होंने सीपीए की कोई जरूरत न बताते हुए इसे तत्काल बंद करने के निर्देश दिए थे। हालांकि, कामों और अधिकारियों-कर्मचारियों के बंटवारे की वजह से इसमें काफी समय लग गया। सडक़ें और इंजीनियर पीडब्ल्यूडी को सौंप दिए। पार्क नगर निगम और फॉरेस्ट में बंट गए। सीपीए बंद करने के पीछे तत्कालीन सीएम से ज्यादा प्रमुख प्रशासनिक पद पर बैठे अफसर की नाराजगी अहम वजह बताई गई थी। यह तक कहा गया था कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से ऐसा कराया। हालांकि, आधिकारिक तौर पर खराब सडक़ों और सीपीए के दूसरे शहरों में डिपॉजिट वर्क करने को वजह बताया गया, अब यह अफसर रिटायर हो चुके हैं।
कृष्णा गौर ने लिखा पत्र
दरअसल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर ने सीपीए चालू करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। इसमें कहा था कि एक अधिकारी की जिद के कारण 17 मार्च, 2022 को कतिपय कारणों से सीपीए बंद कर दिया गया था। इसको लेकर न तो जनप्रतिनिधियों से चर्चा की गई और न ही उन्हें विश्वास में लिया गया। पत्र में आगे कहा था कि राजधानी के सुनियोजित विकास के लिए 1960 में सीपीए बनाया गया था। एजेंसी ने सतपुड़ा, विंध्याचल, मंत्रालय, वाल्मी जैसे बड़े-बड़े भवनों का निर्माण किया। शहर में हरियाली विकसित की। इस आधार पर उन्होंने मुख्यमंत्री से सीपीए को शुरू करने का आग्रह किया था। बताया जा रहा है मुख्यमंत्री डॉ यादव ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए मुख्य सचिव से रिपोर्ट देने के लिए कहा है। इस पर कार्रवाई करते हुए सीएस ने नगरीय विकास विभाग से पूछा है कि किन कारणों से सीपीए बंद किया गया था। एजेंसी का बजट कितना था और कौन से विकास कार्यों का जिम्मा संभाल रही थी।

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