नहीं भर सकीं आधी भी सीटें 5 साल में सबसे खराब स्थिति

महाविद्यालयों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इस बार महाविद्यालयों में प्रवेश को लेकर छात्र और छात्राओं ने रुचि नहीं दिखाई है, जिसकी वजह से इस बार आधी भी सीटें नहीं भर सकी हैं। इसकी वजह से मान जा रहा है कि विभाग काउंसिलिंग के राउंड बढ़ा सकती है। विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस बार आधी भी सीटें नहीं भरी हैं। विभाग द्वारा जारी प्रवेश प्रक्रिया अब बंद हो चुकी है, लेकिन सीटें खाली होने से इसे फिर से शुरू किया जा सकता है। अगर सीटों की बात की जाए तो प्रदेश में कुल 1336 सरकारी व निजी कॉलेज हैं। जिनमें कुल सीटों की संख्या 0.39 लाख है। इसमें यूजी और पीजी की सीटें शामिल हैं। इनमें से अब तक महज 4.41 लाख सीटों पर ही छात्रों ने प्रवेश लिया है। इसकी वजह से 57.5 फीसदी से अधिक सीटें खाली बनी हुई है। यह आंकड़ा पिछले पांच सालों में सबसे कम है। प्रवेश कम रहने से निजी कॉलेजों को इस बार बेहद बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, इस बार नए सत्र के लिए एक मई से छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके तहत दो मुख्य और तीन सीएलसी राउंड समाप्त हो चुके हैं। यूजी की 8.19 सीटों में से महज 3.44 लाख सीट भरी हैं। वहीं पीजी की 2.12 लाख सीटों में से केवल 97 हजार सीट पर ही प्रवेश हुए हैं। इसमें प्राइवेट कॉलेजों की स्थिति सबसे खराब है। यह एडमिशन में अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। विभाग को उम्मीद थी कि यूजी में चौथे साल में रजिस्ट्रेशन और एमपी बोर्ड की 12वीं के सप्लीमेंट्री एग्जाम में पास स्टूडेंट्स के प्रवेश लेने के बाद अतिरिक्त राउंड में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी, लेकिन इस राउंड में भी बहुत अधिक प्रवेश नहीं हुए। हालांकि इसके पीछे दिए जाने वाले तर्क में कहा जा रहा है कि 12वीं में उत्र्तीण विद्यार्थियों की संख्या कम रहने के कारण प्रवेश कम हुए हैं।
कोरोना काल में बढ़ गया था आंकड़ा  
अगर बीते पांच सालों का आंकड़ा देखें तो कोरोनाकाल में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन बीते चार सालों में भले ही प्रवेश कम हुए हों , लेकिन तब भी कुल सीटों के मुकाबले प्रवेश का आंकड़ा 50 फीसदी से  नीचे नहीं रहा था। बीते सत्र में रिक्त रहने वाली सीटों को देखते हुए  बीते सत्र में उच्च शिक्षा विभाग ने सीटों की संख्या कम कर दी थी। इसके बावजूद सीटे भरने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। प्रवेश प्रक्रिया अक्टूबर मध्य तक चलाई गई थी। इस दौरान मुख्य राउंड सहित आठ सीएलसी राउंड हुए थे। इसके बाद भी 40 फीसदी सीटें खाली रह गईं थीं।
इस बार आधा दर्जन नए सरकारी कॉलेज खुले
विभाग प्रदेश के 1336 कॉलेजों में प्रवेश करा रहा है। इसमें सरकारी कॉलेजों की संख्या 562 हैं, पिछले साल 556 कॉलेजों में प्रवेश हुए थे। इस साल छह नए कॉलेज बढ़े हैं। वहीं मापदंड पूरे न होने के कारण 66 प्राइवेट कॉलेजों को काउंसलिंग में शामिल नहीं किया गया है। पिछले साल 751 प्राइवेट कॉलेज काउंसलिंग में शामिल हुए थे। बता दें कि पिछले साल प्रदेश में राजधानी के फंदा सहित 34 नए कालेज खुले थे।
निजी कॉलेजों के कारण बढ़ती है सीट संख्या
प्रत्येक वर्ष सरकारी कॉलेजों की अधिकांश सीटें भर जाती हैं, जबकि निजी कॉलेजों में विद्यार्थियों का रुझान कम रहता है। इस संबंध में एक्पट्र्स का कहना है कि सरकारी कॉलेजों में हर सत्र में प्रवेश की स्थिति बेहतर रहती है। निजी कॉलेजों के कारण कुल सीटों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन वहां फीस अधिक होने और सुविधाएं कम होने के कारण प्रवेश संख्या कम रह जाती है।

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