आईएफएस अफसरों को बचाने दबाए रखा ‘भ्रष्टाचार’

आईएफएस अफसरों
  • अब बिना जांच समयावधि का हवाला देकर दे दी क्लीनचिट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टों पर अंकुश लगाने की कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन विभाग अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को बचाने का रास्ता निकाल ही लेते हैं। ऐसा ही मामला वन विभाग में सामने आया है, जहां आईएफएस अफसरों को बचाने के लिए पहले तो भ्रष्टाचार के मामले को ही दबाए रखा, उसके बाद अब बिना जांच के समयावधि का हवाला देकर अफसरों को  दे दी क्लीनचिट दे दी गई है। भ्रष्टाचार और घोटाले में फंसे आईएफएस अफसरों को बचाने के लिए विभाग ने आरोप पत्र तो जारी किए, लेकिन मामले को इतने ज्यादा दिन लटकाए रखा, जिसके चलते कई अफसर रिटायर हो गए और रिटायरमेंट के बाद भी 4 साल कुछ नहीं किया। बाद में प्रकरण नस्तीबद्ध कर समाप्त कर दिया। ये मामला विधायक आरिफ मसूद ने पिछले दिनों सदन में भी उठाया था।
जानकारी के अनुसार पिछले कुछ सालों में उमरिया जिले में हुए साढ़े सात करोड़ के घोटाले में 15 आईएफएस अफसर फंसे थे। इनमें से कई तो रिटायर भी हो गए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी उनके मामले विभाग ने समाप्त कर दिए। हद तो यह है कि भ्रष्टाचार में फंसे अफसरों को बचाने के लिए विभाग ने पहले तो इसे पेडिंग रखा और बाद में अफसर के रिटायर होने पर समयावधि का हवाला देकर उन्हें क्लीनचिट दे डाली है। यानी लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू की जरूरत ही नहीं पड़ी। यहां तक पिछले दस साल में एक भी आईपीएस, आईएफएस के विरुद्ध इन दोनों जांच एजेंसियों ने इन अफसरों के विरुद्ध भ्रष्टाचार को लेकर कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
कोई रिटायर तो किसी का मामला पेंडिंग
साढ़े सात करोड़ के घोटाले में फंसे 15 आईएफएस अफसरों में से डीएस कनेश को 29 जुलाई 2021 को आरोप पत्र जारी किया गया। डीई पूर्ण हो गई है, मामला निर्णय लेने के लिए पेंडिंग है। एमएस भगदिया 2020 में रिटायर हो गए हैं। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुमति दी गई। प्रकरण केंद्र को भेजा गया, लेकिन चार साल के भीतर कार्रवाई नहीं कर पाने की वजह से प्रकरण समाप्त किया गया। आरएस सिकरवार को 30 दिसंबर 2020 को आरोप पत्र दिया गया, 13 जुलाई 2021 को डीई प्रारंभ की गई। जांच पूर्ण हुई, मामला निर्णय लेने के लिए पेंडिंग है। अजय पाल सिंह वर्ष 2014 में डीएफओ रहे, भ्रष्टाचार का मामला 8 साल पुराना बताते हुए इन्हें भी क्लीनचिट दे दी गई। जबकि ये फरवरी 2023 में रिटायर हुए। एएस तिवारी वर्ष 2012 में डीएफओ रहे, 2023 में रिटायर हुए। इसलिए विभाग ने प्रकरण दस साल पुराना बताते हुए भ्रष्टाचार से जुडें इस प्रकरण में तिवारी को क्लीनचिट दे दी।
अजब-गजब कारणों से मिली क्लीनचिट
फील्ड में पदस्थ वन मंडलाधिकारियों डीएफओ द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार, राशि की हेरा-फेरी से सरकार को होने वाली करोड़ों के नुकसान में फंसे आईएफएस अफसरों की विभाग ही क्लीनचिट देकर ऐसे मामलों को समाप्त करने में लगा हुआ है। उमरिया जिले में हुए साढ़े सात करोड़ के घोटाले में 15 आईएफएस अफसर फंसे थे। इनमें प्रबंध संचालक यूनियन एवं डीएफओ रहीं वासू कनौजिया को तो भविष्य के लिए चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। वहीं आईएफएस देवांशु शेखर के खिलाफ 23 सितंबर 2021 को आरोप पत्र जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रकरण तीन साल से चल रहा है। आईएफएस प्रदीप मिश्रा एक दिन के लिए उमरिया में जिला यूनियन के प्रबंध संचालक और डीएफओ रहे। इस कारण सरकार ने फरवरी 2023 में पर्याप्त आधार नहीं होने के कारण प्रदीप मिश्रा को क्लीनचिट दे दी। उधर, रिपुदमन सिंह भदौरिया 19 दिन डीएफओ उमरिया रहे, इस कारण विभाग ने माना कि इनके कार्यकाल में कोई वित्तीय अनियमितता नहीं हुई। इसलिए विचाराधीन प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
इनके मामले नस्तीबद्ध
राकेश कुमार पाठक भ्रष्टाचार में फंसे, अगस्त 2015 में रिटायर हुए, प्रकरण में चार साल से अधिक समय होने के कारण नस्तीबद्ध कर दिया गया। टीएस चतुर्वेदी भ्रष्टाचार में फंसे। जुलाई 2018 में रिटायर हुए। चार साल गुजरने की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई, विभाग ने मामला नस्तीबद्ध किया। आरपीएस बघेल  जुलाई 2018 में रिटायर हुए। प्रकरण क्रमांक 1383, मामला चार साल पुराना होने की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव नस्तीबद्ध किया गया। एमएस लाडिया दिसंबर 2016 में रिटायर हुए। अखिल भारतीय सेवा डीसीआरबी नियम-1958 के नियम-6 का उल्लेख करते हुए विभाग ने फरवरी 2023 में प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया। यानि 6 साल तक मामले को अफसरों ने लटकाए रखा। एसके शर्मा डीएफओ के पद पर वर्ष 2013 में पदस्थ रहे और 2023 में रिटायर हो गए। मामला 9 साल पुराना बताते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई और मामला नस्तीबद्ध कर दिया। निजाम कुरैशी भ्रष्टाचार में फंसे, 2012 में डीएफओ रहे। मामला चार साल पुराना बताते हुए प्रकरण नस्तीबद्ध किया।

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