कंपनियों की तरह काम करेंगीं सहकारी समितियां

  • अब दो दर्जन व्यवसायिक गतिविधियों का करेंगीं संचालन
कंपनियों

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। अब प्राथमिक सहकारी समितियां भी कंपनियों की तरह बड़े स्तर पर कार्य कर सकेगी। इसमें समितियां गैस एजेंसी से लेकर पेट्रोल पंप और डिपार्टमेंटल स्टोर का संचालन कर सकेंगी। इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर की स्थापना भी होगी। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार सहकारिता मंत्रालय की सहकार से समृद्धि योजना के अंतर्गत समितियों को दक्ष बनाया जाएगा। जानकारी के अनुसार, प्रदेश की 23 हजार पंचायतों में से हर पंचायत में एक सोसायटी होगी।  सोसायटी अब सिर्फ खेती-किसानी तक सीमित नहीं रहेंगी। सहकारिता आंदोलन जल्द ही बेहद मजबूत स्वरूप ले सकता है। अब तक किसानों के छोटे-मोटे कामों से जुड़े प्राथमिक साख सोसायटियों का अब वृहद -स्वरूप देखने को मिल सकता है। ये सोसायटियां अब किसानों के हितों से जुड़े काम तो करेंगी ही, सहकारिता के आधार पर गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप और डिपार्टमेंटल स्टोर चलाने समेत 24 दूसरे काम भी करेंगी। इस संबंध में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की पहल पर केंद्रीय कोआपरेटिव विभाग ने एक बड़ा प्रस्ताव तैयार किया है। जल्द ही इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

पीएम का सहकारिता पर विशेष फोकस
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का सहकारिता पर विशेष फोकस है। सहकारिता मंत्री अमित शाह सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए प्लान तैयार करवा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय सहकारिता विभाग ने शाह के निर्देश पर प्राथमिक साख सहकारी समितियों को अधिकार सम्पन्न और आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनाने के लिए 24 सूत्रीय प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें हर ग्राम पंचायत में एक सोसायटी के गठन का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि प्रदेश में 23 हजार ग्राम पंचायते हैं। वहीं प्राथमिक साख सहकारी समितियों की संख्या महज 45 सौ के करीब है। जनसंख्या के मान से इन्हें अब तक बढ़ाया भी नहीं गया है। सहकारिता के क्षेत्र में केन्द्र का नया प्लान लागू होने के बाद इनकी संख्या में बड़ा इजाफा होगा। बताया जाता है कि अगर ग्राम पंचायत बेहद छोटी होगी तो दो छोटी पंचायतों को मिलाकर एक सोसायटी का गठन किया जाएगा। इन समितियों को किसानों से जुड़े कामों के अलावा अब पेट्रोल पंप, गैस एजेसिंयां, डिपार्टमेंटल स्टोर चलाने का भी काम सौंपा जाएगा। यह स्टोर समितियों के सदस्य ही मिलकर चलाएगें और इनकी आय को गांव के विकास में लगाया जाएगा। इसके अलावा सोसायटी को मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, पशुपालन के अधिकार भी दिए जाएंगे। किसानों की उपज का सही मूल्य उन्हें मिलें इसका काम भी सोसायटी करेगी। यह उनकी खरीदी और बिकवाने का काम भी करेगी।

किसी भी सोसायटी के चुनाव नहीं
अभी प्राथमिक स्वास्थ्य समिति, दुग्ध संघ समेत किसी भी सोसायटी में चुनाव ही नहीं हुए हैं। प्रदेश में 4500 पंजीकृत प्राथमिक साख सहकारी समितियां हैं। इसके अलावा दुग्ध संघ की 2500 समितियां हैं। लघु वनोपज संघ के तहत भी डेढ़ हजार समितियां काम कर रही है। इसके अलावा मार्केटिंग फेडरेशन की भी अपनी अलग समितियां है, पर इनमें लंबे समय से चुनाव नहीं हुए और सरकारी अधिकारी-कर्मचारी इन पर काबिज हैं। सहकारी नेता इनमें चुनाव की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण स्तर पर कार्यरत प्राथमिक साख सहकारी समितियां फिलवक्त किसानों को ऋण देने, उसकी वसूली, समर्थन मूल्य पर उनकी फसल खरीदने, किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराने का काम करती है। इसके अलावा गांवों में चलने वाली कई कंट्रोल की दुकानों का संचालन भी कई समितियां करती है। इन समितियों का सीधा जुड़ाव जिले के सेंट्रल कोआपरेटिव बैंक से होता है। इसका अध्यक्ष इन समितियों के सदस्यों में से ही चुना गया व्यक्ति होता है। फिलहाल प्रदेश के अधिकांश को-आपरेटिव बैंक और अधिकांश समितियां घाटे में है। इसका प्रमुख कारण सोसायटियों द्वारा बांटे गए लोन की वसूली न हो पाना है। जहां अधिकारी इनका कारण राजनीतिक बताते है वहीं सहकारी आंदोलन से जुड़े नेताओं का आरोप है कि अफसर इसमें हमारा दखल ही नहीं चाहते वे इस पर काबिज रहकर गड़बड़ी कर रहे हैं जिससे किसानों का नुकसान हो रहा है। बहरहाल केंद्र सरकार की नई स्कीम लागू होने से इनकी दिशा और दशा बदलने की उम्मीद है।

Related Articles