सहकारी बैंकों ने मार्कफेड के दबाए 4 अरब रुपए

खाद का संकट

-किसानों के सामने खड़ा हो रहा है  खाद का संकट


भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब फसलों में खाद डालने का समय नजदीक आ गया है, ऐसे में एक दर्जन जिलों में खाद का संकट पैदा हो रहा है। इसकी वजह है कई जिलों के सहकारी बैंकों द्वारा पुुराने खाद का पैसा मार्कफेड को देने की जगह दबा कर बैठ जाना। दरअसल, प्रदेश में 70 प्रतिशत खाद का वितरण प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से ही किया जाता है। राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) प्राथमिक कृषि सांख सहकारी समितियों के माध्यम से सदस्य किसानों को खाद उपलब्ध कराता है। इसका भुगतान जिला सहकारी केंद्रीय बैंक करते हैं, पर एक दर्जन जिलों के बैंक ऐसे हैं, जिन्होंने चार अरब रुपए का भुगतान मार्कफेड को करने की जगह खुद ही अपने पास रखे हुए हैं। इसमें मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन का बैंक भी शामिल है।
इस पर 10 करोड़ 97 लाख रुपये बकाया हैं। सर्वाधिक 83 करोड़ रुपये की उधारी नर्मदापुरम बैंक पर चढ़ गई है। किसानों को परेशानी न हो, इसके लिए अपात्र समितियों को नकद में खाद दी जाएगी। प्रदेश में खाद-बीज वितरण का काम 4,526 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां करती हैं। विपणन संघ अपनी 280 समितियों के माध्यम से भी नकद में खाद की बिक्री करता है। किसानों को खरीफ और रबी फसलों के लिए साख सीमा जारी होती है, जो उनकी भूमि और जिले की समिति द्वारा निर्धारित स्केल आफ फाइनेंस के आधार पर निर्धारित होती है। इसी साख सीमा में से खाद दिया जाता है। सरकार उधारी में दी गई, इस खाद पर ब्याज भी नहीं लेती है। अग्रिम भंडारण में भी यह व्यवस्था बनाई गई है। इसके बाद भी किसान समय पर राशि नहीं चुकाते हैं और समितियां अपात्र हो जाती हैं। प्रदेश के 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में से 11 पर मार्कफेड के 402 करोड़ रुपये बकाया हैं। मार्कफेड ने समन्वय बैठक के अलावा सहकारिता विभाग के साथ हुई बैठक में भी बकाया राशि के भुगतान का मुद्दा उठाया है। दरअसल, मार्कफेड अपनी साख सीमा के आधार पर खाद का प्रबंध करता है। उपार्जन के लिए पहलराशि भी लगानी होती है।
करनी पड़ी नगद खाद देने की व्यवस्था
समितियों द्वारा बकाया राशि न चुकाने के कारण उन्हें अपात्र घोषित किया गया है। इन्हें उधारी में खाद नहीं दी जाती है। इससे पात्र किसानों के पास साख सीमा होने के बाद भी खाद नहीं मिल पाती है। इसके कारण बोवनी प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार ने समितियों को नकद में खाद देने की व्यवस्था बनाई है यानी वे जितने राशि देंगे, उसके हिसाब से ही खाद उपलब्ध कराई जाएगी।

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