धर्मांतरण ने बढ़ाई संघ की चिंता, 47 आदिवासी सीटों पर फोकस

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  • आदिवासी जिलों में हो रहा है धर्मांतरण, मंडला, डिंडौरी और अलीराजपुर की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों ने संघ और भाजपा दोनों को चिंतित कर दिया है। इसे देखते हुए संघ ने प्रदेश की 47 आदिवासी विधानसभा सीटों वाले जिलों में धर्मांतरण रोकने और आदिवासियों को अपनी मूल संस्कृति से जोडऩे के लिए व्यापक अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है और भाजपा व संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिला-वार जिम्मेदारियां सौंपी जाने वाली हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों जबलपुर में आयोजित संघ की अखिल भारतीय बैठक में भी प्रदेश में बढ़ रहे धर्मांतरण की बात संघ पदाधिकारियों ने उठाई थी। इसके बाद भोपाल में भी संघ की अहम बैठक हुई। इस बैठक में अलीराजपुर, मंडला, डिंडोरी सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी जिलों में बढ़ रहे धामांतरण की सर्वे रिपोर्ट भी पेश की गई थी। रिपोर्ट में खासतौर पर अलीराजपुर जिले में इस वर्ष बड़े पैमाने पर धर्मांतरण होने और कई गांवों में आदिवासी समुदायों के सामूहिक रूप से धर्म बदलने की जानकारी सामने आई है। इसके बाद संघ ने इन जिलों में अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए वरिष्ठ पदाधिकारियों को विशेष दायित्व सौंपे हैं।
पिछले चुनावों में आदिवासी विस सीटों की स्थिति
चुनाव वर्ष भाजपा कांग्रेस अन्य
2023 24 22 1
2018 16 30 1
2013 31 15 1
2008 29 17 1
2003 31 15 1
आदिवासी जिलों में मिशनरीज का जाल तोड़ेगा संघ
सूत्र बताते हैं कि मप्र के आदिवासी बहुल डिंडौरी, मंडला, अलीराजपुर, झाबुआ सहित अन्य जिलों में मतांतरण बड़ी समस्या बनी हुई है। यहां मिशनरीज का जाल फैला हुआ है। आदिवासी जनजाति के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाओं का लाभदिलाकर फंसाया जा रहा है। कुछ जिलों में सघ ने जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है। संघ के वनवासी कल्याण केंद्र के माध्यम से आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए प्रकल्प काम कर रहे है। केंद्र के माध्यम से वनवासियों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोडऩे के साथ उन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान भी दिया जाएगा।
मप्र में हमेशा आदिवासियों के हाथ रही सत्ता की चाबी
दरअसल मप्र में सत्ता की चाबी हमेशा से आदिवासी वोटर्स के हाथ में रही है। विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी के खाते में आदिवासी बाहुल वाली विधानसभा सीटें ज्यादा आई, उसने सरकार बनाई है। पिछले विधानसभा चुनाव भाजपा ने आदिवासी क्षेत्र की 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को यहां 22 सीटें मिली थी। भाजपा ने आदिवासी बाहुल वाली ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाई। इससे पहले साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में 16 सीटें और कांग्रेस के खाते में 30 सीटें आई थी। एक सीट अन्य के खाते में गई थी और कांग्रेस ने सरकार बना ली थी। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखते हुए भी संघ और भाजपा की चिंता बढ़ गई है। अगर धर्मांतरण के मामले बढ़ते हैं, आदिवासी वोटर की संख्या भी कम होगी। इसका असर भाजपा पर ज्यादा पड़ेगा।

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