
- व्यवस्था में सुधार की वजह से उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित हुई है, अब कोई व्यक्ति किसी और का राशन नहीं ले सकता है…
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार की वन-नेशन, वन राशन कार्ड योजना के तहत प्रदेश के एक करोड़ पंद्रह लाख परिवार (चार करोड़ 90 लाख हितग्राही) में से 98 फीसदी हितग्राहियों के आधार नंबर लेकर उनका डाटा फीडिंग का काम पूरा किया जा चुका है। इसकी वजह से अब प्रदेश के करीब साढ़े तीन हजार परिवारों को अन्य प्रांतों में पात्रता अनुसार का खाद्यान्न मिल सकेगा। यही नहीं अन्य राज्यों के ऐसे करीब दो हजार परिवारों ने मध्यप्रदेश में भी इस सुविधा का लाभ उठाया है। चालीस लाख परिवारों ने प्रदेश के अंदर दूसरे जिलों और दूसरी दुकानों से खाद्यान्न लिया है। खास बात यह है कि सरकार के इस कदम से न सिर्फ उपभोक्ताओं को खाद्यान्न लेने में आसानी हुई है बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर होने वाली गड़बड़ियां भी रुकी हैं।
हितग्राहियों के आधार नंबर लेकर किया गया डाटा बेस तैयार
उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को पुन: पटरी पर लाने के लिए व्यवस्थागत सुधार के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशों को बुनियादी सुधार का जो मंत्र दिया था उसमें वन-नेशन, वन राशनकार्ड की अवधारणा भी शामिल थी। इसके लिए जरूरी कदम उठाने पर प्रदेश को लगभग ढाई हजार करोड़ से भी ज्यादा का अतिरिक्त कर्ज मिल सकता था। यही वजह रही कि शिवराज सरकार ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए सभी उपभोक्ताओं के आधार नंबर लेकर टाटा बेस तैयार कराया। इस डेटा बेस को केंद्र सरकार के डेटाबेस से मिलान कराने पर ऐसे नामों को चिन्हित कराया गया जिनके नाम दो जगह दर्ज थे। एक जगह से नाम हटाकर सूची तैयार की गई। लगभग 25 हजार चार सौ उचित मूल्य की राशन दुकानों में से आठ सौ दुकानों को छोड़कर सभी को ऑनलाइन किया गया है। ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं से भी राशन ले सके। जो आठ सौ दुकानें छूटी हैं उनमें फिलहाल नेटवर्क की समस्या है। बाद में उन्हें भी जोड़ा जाएगा।
चार करोड़ 90 लाख हितग्राही हैं प्रदेश में
प्रदेश भर के एक करोड़ 15 परिवारों में से 98 फीसदी के आधार नंबर ऑनलाइन फीड किए गए हैं। कुल चार करोड़ 90 लाख हितग्राही वन-नेशन, वन राशनकार्ड योजना के तहत दर्ज हैं। इनमें से तीन हजार परिवारों को दूसरे राज्यों से राशन लेने की सुविधा की पात्रता मिल गई है। वहीं चालीस लाख परिवारों ने प्रदेश में दूसरे जिलों से खाद्यान्न लिया है।
अब कोई व्यक्ति किसी और का राशन नहीं ले सकेगा
खाद्य संचालक तरुण पिथोड़े के मुताबिक प्रदेश में प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था में सुधार का काम किया गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि अब कोई व्यक्ति किसी और का राशन नहीं ले सकता है। बता दें कि रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को पात्रता के अनुसार दूसरे राज्यों में राशन मिल गया। ऐसा ही प्रदेश में दूसरे राज्यों के उपभोक्ताओं के साथ भी हुआ। चालीस लाख परिवारों ने निर्धारित उचित मूल्य की दुकान या जिले की जगह दूसरे स्थानों से राशन लिया है। इस व्यवस्था में सुधार की खास बात यह रही कि उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित हो गई, क्योंकि सबके आधार नंबर डेटाबेस में दर्ज है। इसमें आप कोई व्यक्ति किसी भी दुकान से राशन किसी और का राशन नहीं ले सकता है।