
- माता के 9 स्वरूप और भव्य शिवलिंग के होंगे दर्शन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। उज्जैन महाकाल लोक की तर्ज पर सीहोर जिले के सलकनपुर में विकसित हो रहे देवी लोक में देवी के नौ स्वरूपों और 64 योगिनियों को शास्त्रों में वर्णित कथाओं के साथ आकर्षक रूप में लोक की दीवारों पर प्रदर्शित किया जाएगा। यहां 64 योगिनी के वृत्ताकार तीन अलग-अलग प्लाजा निर्मित होंगे। तीनों ही प्लाजा के मध्यम में इनमें से एक-एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि देवी लोक में वृत्ताकार निर्मित 64 योगिनी प्लाजा में 64 योगिनियों के विभिन्न आयामों को भित्ति रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। देवी के विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित करने की इस कल्पना को मध्यप्रदेश के भेड़ाघाट तथा उड़ीसा के हीरापुर से लिया गया है। 64 योगिनी गलियारे में श्रद्धालु विजयासन देवी के नौ स्वरूपों (नवदुर्गा) का आकर्षक डिजीटल आकार में न केवल दर्शन कर सकेंगे, बल्कि चलचित्रों और कथाओं के माध्यम से देवी के अलग-अलग स्वरूपों के अनुरूप उनकी कहानियों को भी श्रवण कर सकेंगे। सलकनपुर में देवी लोक के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही श्रद्धालु सबसे पहले इस गलियारे में पहुंचेंगे। आध्यात्मिक वातावरण के बीच देवियों की कहानियां सुनते हुए और देवियों के दर्शनों के बाद ही श्रद्धालु माँ विंध्यवासिनी बिजासन माता के दर्शनों के लिए पहुंचेंगे।
शास्त्रोक्त और जीवंत होंगी सभी प्रतिमाएं
देवी लोक में स्थापित होने जा रहीं देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के अलावा अन्य 7 देवीय प्रतिमाएं शास्त्रों में वर्णित स्वरूप में और जीवंत नजर आएंगी। समिति के निर्णय के बाद इन प्रतिमाओं के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं। आगामी 4 जुलाई को पर्यटन बोर्ड मुख्यालय में अधिकारियों के समक्ष मूर्ति निर्माता फर्मों का प्रजेंटेशन होगा।
क्या है मंदिर की मान्यताएं?
महेश उपाध्याय ने बताया कि रक्तबीज नामक राक्षस से युद्ध के बाद माता जी जिस स्थान पर आकर विराजमान हुईं वह कालांतर में विजयासन या बिजासन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। चूंकि विंध्य की पहाडिय़ों में ही माता जी के समस्त स्थान है जिनमें मैहर, मिर्जापुर, सलकनपुर इत्यादि हैं। यहां से बहुत नजदीक मां नर्मदा जी का तीर्थ स्थान आंवली घाट भी है। उन्होंने कहा कि चार सौ-साढ़े चार सौ साल का इतिहास तो ज्ञात है, लेकिन उससे पहले से यह मंदिर कब से है? यह किसी को सही से ज्ञात नहीं है। वहीं, 1988 से मंदिर की सेवा में कार्यरत पुजारी ने बताया कि चमत्कार की बात तो अपनी-अपनी भावनाओं और श्रद्धा से जुड़ी हुई है, क्योंकि हमारा सनातन धर्म श्रद्धा और विश्वास में टिका हुआ है। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।
आस्था के साथ पर्यटन भी होगा विकसित
महाकाल लोक की तर्ज पर सीहोर के सलकनपुर में विकसित हो रहे देवी लोक को सरकार पर्यटन बोर्ड के माध्यम से आकर्षक रूप में 240 करोड़ रुपये की लागत से विकसित कर रही है। देवी लोक के साथ-साथ यहां पर्यटक सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। प्रवेश द्वार के समीप फाउंटेन ऑफ लाइट बनाया जाएगा। आकर्षक पार्क और पर्यटकों के ठहरने व विश्राम के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं रहेंगी। देवी लोक के निर्माण का काम अंतिम चरण में है और इस वर्ष दिसम्बर से पहले काम पूरा होने की उम्मीद भी है।
इनका कहना है..
सलकनपुर के देवी लोक के लिए बनवाई जा रही सभी प्रतिमाएं शास्त्रोक्त और आकर्षक होंगी। माँ पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाओं के स्वरूप को लेकर 4 जुलाई को निर्माताओं का प्रजेंटेशन होना है।
बृजेश तिवारी, कार्यपालन यंत्री, मप्र पर्यटन बोर्ड, भोपाल