साजिश का पर्दाफाश: सहायक आबकारी आयुक्त रायचूरा को बड़ी राहत, जांच में मिली क्लीन चिट

 आबकारी आयुक्त

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  सहायक आबकारी आयुक्त दीपक कुमार रायचूरा को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से क्लीन चिट मिल चुकी है। उन पर एक महिला कर्मचारी ने होटल में बुलाकर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। शिकायत के बाद आबकारी कमिश्नर के आदेश पर कलेक्टर ने मामले की जांच परिवाद समिति को सौंपी गई थी। इसके बाद परिवाद समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इसमें कहा गया है कि जिस महिला के नाम से शिकायत की गई है, उस नाम की कोई महिला आबकारी विभाग में पदस्थ ही नहीं है और न ही ऐसी कोई महिला अब तक सामने आयी है। परिवाद समिति की जांच से सहायक आबकारी आयुक्त दीपक कुमार रायचूरा को बड़ी राहत मिली है। इसी के साथ एक और शिकायत का भी कोई आधार नहीं मिला है। आपको बता दें कि जल्द ही रायचूरा डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के ओएसडी बनने वाले हैं। हालांकि अभी इसके आदेश नहीं हुए हैं। माना जा रहा है कि उनकी छवि खराब करने के लिए यह षड्यंत्र रचा गया था। माना जा रहा है कि जिस तरह से बीते कुछ माह से भोपाल जिले में अवैध शराब के कारोबारियों और शराब कारोबारियों के नियमों के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की जा रही है , उससे उनके कई विरोधी भी हो गए हैं। माना जा रहा है कि इसी के तहत इस तरह की यिाकयत की साजिश रची गई होगी। के सहायक आबकारी आयुक्त रायचूरा को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने क्लीन चिट दी है। उन पर एक महिला ने होटल में बुलाकर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। आबकारी कमिश्नर के आदेश पर कलेक्टर ने मामले की जांच परिवाद समिति को सौंपी थी। अब जांच के बाद परिवाद समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इसमें कहा गया है कि जिस महिला के नाम से शिकायत की गई है, उस नाम की कोई महिला आबकारी विभाग में कार्यरत नहीं है।
गुमनाम शिकायत बनी बदनामी का हथियार!
यूं तो काम निकलने या दुश्मन को रास्ते से हटाने के लिए साम, दाम, दंड-भेद का पैंतरा हर कोई अपनाता है। लेकिन अब तो इसका उपयोग सरकारी महकमों में भी अब जमकर उपयोग होने लगा है। सरकारी महकमों मैं पद प्रतिष्ठा की होड़ में अब फर्जी शिकायतों का सहारा लिया जाने लगा है। हाल ही में सरकार के कमाऊपूत कहे जाने वाले आबकारी विभाग मैं तो इसका जमकर इस्तेमाल हो रहा है। इसका उदाहरण यह नई शिकायत है।

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