सम्मेलनों के जरिए जातिगत समीकरण साधेगी कांग्रेस

कांग्रेस
  • अलग-अलग अंचलों में आदिवासी, ओबीसी और एससी के लिए आयोजन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अब महज दो माह का ही समय रह गया है। ऐसे में भाजपा द्वारा खेले गए जातिगत कार्ड की काट के रुप में अब कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरने जा रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भी अब जातिगत कार्ड खेलने की तैयारी शुरु कर दी है, जिसके तहत अब प्रदेश के अलग-अलग अंचलों में सम्मेलन करने का तय किया गया है। जिस अंचल में जिस वर्ग के मतदाताओं का प्रभाव है, उस अंचल में उस वर्ग के सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। इनमें पार्टी के बड़े नेताओं के अलावा खासतौर पर वे नेता शामिल होंगे , जो सबंधित वर्ग से वास्ता रखते हैं। इन आयोजनों की जिम्मेदारी भी पार्टी द्वारा संबधित वर्ग के ही नेताओं को दिया जाना तय किया गया है। दरअसल प्रदेश में तीन वर्ग ही बड़े प्रभावशाली माने जाते हैं। इन वर्ग का जिस भी दल को समर्थन मिल जाता है सकी सरकार प्रदेश में बनना तय हो जाती है। कांग्रेस ने तय किया है कि आदिवासी बाहुल झाबुआ में अनुसूचित जनजाति, भोपाल में पिछड़ा वर्ग का तो बुदेंलखंड अंचल में एससी वर्ग का सम्मेलन करने का तय किया गया है।
अहम बात यह है कि यह सभी सम्मेलन प्रदेश स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। फिलहाल इन सम्मेलनों के आयोजन की तारीखें तय की जानी है। गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 230 में से 82 आरक्षित सीटें हैं, जिनमें से 47 अनुसूचित जनजाति के लिए और 35 अनुसूचित जाति के लिए हैं। इसमें शहडोल, डिंडोरी, मंडला, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र शामिल हैं, और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में भिंड, मुरैना, टीकमगढ़, रीवा और रायसेन शामिल हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की 7.26 करोड़ आबादी में अनुसूचित जाति 15.6 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 21.1 प्रतिशत हैं। इसी तरह से पिछड़ा वर्ग की संख्या करीब 50 फीसदी है। एसटी वर्ग का प्रभाव करीब 80 से अधिक सीटों पर माना जाता है। ओबीसी मतदाताओं का प्रभाव भी 100 से अधिक सीटों पर है। इसे देखते हुए भाजपा और कांग्रेस, दोनों आदिवासी और ओबीसी वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति ने तय किया है कि आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के सम्मेलन में झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन सहित अन्य जिलों के आदिवासी भाग लेंगे।
प्रदेश के कई जिलों में है ओबीसी का बड़ा प्रभाव

प्रदेश में कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। पिछले महीने कांग्रेस ने सुनियोजित तरीके से अशोकनगर, गुना, शिवपुरी सहित अन्य जिलों के पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है। इसी तरह से अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, रायसेन, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी सहित अन्य जिलों में यादव समाज के नेताओं का प्रभाव है। यही कारण है कि अरुण यादव को इन्हीं जिलों में जन आक्रोश यात्रा की अगुआई करने का दायित्व भी दिया है। वहीं, विंध्य में ओबीसी के प्रभाव को देखते हुए कमलेश्वर पटेल को आगे बढ़ाया गया है। उन्हें चुनाव से संबंधित सभी समितियों में सदस्य बनाने के साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति भी शामिल किया गया है।
इन्हें दी गई जिम्मेदारी
सम्मेलन की तैयारी का जिम्मा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को दिया गया है। आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम और युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. विक्रांत भूरिया इसमें सहयोगी की भूमिका निभाएंगे। इसी तरह से ओबीसी सम्मेलन की तैयारी का जिम्मा अरुण यादव और कमलेश्वर पटेल को दिया गया है। भोपाल में प्रस्तावित ओबीसी सम्मेलन की तारीख प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल द्वारा तय की जाएगी। इन्हें सम्मेलन की पूरी रूपरेखा बनाने और तैयारी करने का दायित्व भी दिया गया है।

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