
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर भाजपा के साथ कांग्रेस में भी मचमच की स्थिति बनी हुई है। इस सीट पर हालांकि पहले कांग्रेस की तरफ से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन जयस और निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र शेरा ने ऐसा पेंच फंसाया है कि कांग्रेस में उसी में उलझी हुई है। यही वजह है कि अब कांग्रेस ने एक नया रास्ता निकालते हुए तय किया है कि अब उसी दावेदार को टिकट दिया जाएगा, जिसे जयस का समर्थन हासिल होगा। उधर इस सीट पर लगातार बन बिगड़ रहे समीकरणों के बाद भी अरुण यादव अपना चुनाव प्रचार जारी रखे हुए हैं। इस बीच उनका एक ट्वीट भी सामने आया है, जिसमें उनके द्वारा आज 1 अक्टूबर को खंडवा और पंधाना में चुनाव मैनेजमेंट को लेकर होने वाली कार्यशाला की जानकारी दी गई है। इस ट्वीट में लिखा है कि चुनाव मैनेजमेंट की बारीकियों को लेकर अरुण यादव पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शुभकामनाएं दे डालीं, जिसके बाद हलचल बढ़ गई है। यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी पार्टी सर्वे में अरुण यादव को मजबूत उम्मीदवार बताया था। उधर, इस सीट पर जयस के साथ ही निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र शेरा भी सक्रिय बने हुए हैं। शेरा की मजबूत दावेदारी की वजह से कांग्रेस को अपने सर्वे में शेरा की पत्नी जय श्री का नाम भी शामिल करना पड़ा है। कांग्रेस इस सीट पर जीत के लिए हर हाल में जयस का साथ चाहती है। यही वजह है कि उसके द्वारा जयस की पंसद न पसंद को ध्यान में रखकर ही प्रत्याशी का नाम तय करने का फैसला कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि बीते कुछ सालों में यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है। इस सीट पर 1962 से अब तक हुए 15 चुनाव में 8 बार भाजपा, बीएलडी और 7 बार कांग्रेस जीत चुकी है। इसी तरह से यहां पर नंदकुमार सिंह चौहान और अरुण यादव के बीच तीन बार हुए मुकाबले में दो बार अरुण यादव को हार का सामना करना पड़ा है। दिवंगत सांसद चौहान 6 बार खंडवा लोकसभा सीट से जीत चुके हैं।
जयस के साथ कांग्रेस करेगी मंथन
जयस ने प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर 5 अक्टूबर को एक बैठक बुलाई है। इस बैठक पर भाजपा व कांग्रेस दोनो की ही निगाहें लगी हुई हैं। इसकी वजह है जयस उपचुनाव में एक दो सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो इससे भाजपा से अधिक कांग्रेस को झटका लगना तय है। इसकी वजह है जयस के चुनाव न लड़ने से कांग्रेस को अधिक फायदा होता रहा है। फिलहाल जयस को लेकर कांग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर का कहना है कि कांग्रेस को जयस के साथ से पहले भी फायदा मिला है और आगे भी मिलता रहेगा। जल्द ही जयस के साथ बातचीत की जाएगी। उल्लेखनीय है कि खंडवा लोकसभा के अलावा जोबट विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य हैं। इन क्षेत्रों में जयस का प्रभाव माना जाता है।
11 अक्टूबर से शुरू होंगे नामांकन
प्रदेश में उप चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा चुका है। खंडवा लोकसभा समेत 3 विधानसभा की सीटों पर के लिए नामांकन की प्रक्रिया 11 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी। 13 अक्टूबर को नाम वापसी के बाद 30 को मतदान होगा और 2 नवंबर को मतगणना होगी। उपचुनाव वाली सीटों में खंडवा लोकसभा सीट सहित पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा सीटें शामिल हैं।
शेरा का दावा हमसे बेहतर कोई नहीं
शेरा ने कहा कि इस क्षेत्र में आम आदमी की सुनेंगे तो सिर्फ जयश्री का ही नाम आएगा। उनका कहना है कि खंडवा लोक सभा सीट से उप चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है. यहां से वे ही टिकट के प्रबल दावेदार हैं. शेरा का मानना है कि खंडवा सीट पर उनसे अच्छा कोई दावेदार नहीं। वे दिल्ली में अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। शेरा ने कहा कि वे फिर संगठन से मिलेंगे और अपनी दावेदारी नए सिरे से पेश करेंगे।
भूपेन्द्र का दावा आदिवासी समाज भाजपा के साथ
इस मामले में शिव सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पहले जयस के नेता कांग्रेस के साथ मिलकर विधायक बन गए, आदिवासियों के नाम पर जयस व कांग्रेस ने सिर्फ सियासत की स्वार्थ सिद्धी की है। दोनों ही संगठन आदिवासियों को भ्रमित और आदिवासियों के नाम पर अपनी सियासी रोटियां सेकते हैं। बीजेपी को जयस और कांग्रेस से कोई कहीं कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि आदिवासी वर्ग भाजपा के साथ हैं।