दो स्तरीय सर्वे के आधार पर टिकट देगी कांग्रेस

कमलनाथ

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल होना है, लेकिन कांग्रेस अभी से पूरी तरह चुनावी मोड में दिखनी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने तय किया है कि वह महापौर की ही तरह रणनीति अपना कर विधानसस्भा चुनाव में प्रत्याशी तय करेगी। खास बात यह है कि इस बार पार्टी बड़े नेताओं की पसंद ना पसंद को पीछे छोड़कर पूरी तरह से दो स्तरीय सर्वे के आधार पर प्रत्याशी तय करने की रणनीति पर काम कर रही है। दरअसल कमलनाथ उन नेताओं को ही प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में हैं, जो पार्टी की जीत तय करने का मद्दा रखते हैं। वैसे सरकार गिरने के बाद से कमलनाथ द्वारा हर छह माह में आंतरिक रूप से अपने विधायकों का उनके इलाकों में सर्वे कराया जा रहा है। हर सर्वे की स्थिति के आधार पर विधायकों को फीडबैक भी दिया जा रहा है। इन सर्वे में आने वाली स्थिति के आधार पर विधायकों नसीहत भी दी जाती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक हाल ही में सर्वे की रिपोर्ट पीसीसी को मिली है जिसमें पार्टी के एक तिहाई विधायकों की स्थिति ठीक नहीं बताई गई है। इसके आधार पर 27 विधायकों को रेड जोन में बताया गया है।  इनमें वे एक दर्जन विधायक भी शामिल हैं जो पार्टी संगठन के निशाने पर बने हुए हैं। इसकी वजह से उनका टिकट अभी से खतरे में बताया जा रहा है। यह वे विधायक हैं जिनके द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी लाइन से हटकर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया गया था।  इनमें मालवा-निमाड़ से सबसे ज्यादा 5, बुंदेलखंड से 3, ग्वालियर-चंबल से 2, महाकौशल से 3 और मध्य क्षेत्र के दो विधायक बताए जा रहे हैं। कमलनाथ के इस पहले इंटरनल सर्वे के बाद अब इस साल के अंत में एक और सर्वे कराएगी जिसके आधार पर टिकटों के लिए नामों पर विचार किया जाएगा। इस पहले सर्वे में जिनकी स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें क्षेत्र में स्थिति सुधारने को कह दिया गया है। उधर, पार्टी का दावा है की उसके द्वारा उन विधायकों की पहचान कर ली गई है, जिनके द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की गई थी। गौरतलब है की नाथ ने 25 अगस्त को नवनियुक्त प्रभारियों और सह प्रभारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक को अहम इसलिए माना जा रहा है कि पहली बार प्रदेश भर के प्रभारियों से विधानसभा चुनाव तैयारियों पर चर्चा तो की ही जानी है और संगठन को मजबूत करने पर भी मंत्रणा की जानी है। इसके अलावा नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में जहां कांग्रेस की हार हुई है, वहां जिन नेताओं की सिफारिश पर टिकट दिए गए थे, उन्हें तलब किया जा रहा है और उनसे हार की वजह पूछी जा रही है।
बदलेंगे दो दर्जन जिलाध्यक्ष
मैदानी संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश कांग्रेस जल्द ही अपने दो दर्जन से अधिक जिलाध्यक्षों को उनके पदों से विदाई कर सकती है। यह अधिकांश वे जिलाध्यक्ष हैं, जो लंबे समय से जिलों में पार्टी की कमान सम्हाल रहे हैं। इसके बाद भी वे संगठन को मजबूत करने में असफल रहे हैं, जिसकी वजह से उनके जिलों में संगठनात्मक गतिविधियां बंद पड़ी हुई हैं। राजनीति के जानकारों की माने तो प्रदेश संगठन के पास ऐसे कई जिलाध्यक्षों की शिकायतें हैं, जिन्होंने निकाय और पंचायत चुनावों के दौरान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत के साथ काम नहीं किया है, तो कई जिलाध्यक्षों पर उनकी निष्क्रियता के चलते निकायों में पार्टी के पार्षदों का बहुमत होने के बाद भी अध्यक्ष नहीं बन पाने के आरोप हैं। बताया जा रहा है की कमलनाथ द्वारा ऐसे नेताओं की सूची तैयार करा ली गई है। इस सूची को तैयार करने के पहले जिला संगठनों और अपने स्वयं की टीम की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इस संबंध में नाथ की प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से भी बात हो चुकी है।
पदयात्रा पर होगी चर्चा  
निकाय चुनावों के परिणामों से उत्साहित कांग्रेस अब हर हाल में अपने पंपरागत वोट बैंक को हासिल करने और कमजोर सीटों पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए राहुल गांधी की पद यात्रा की मदद लेने की तैयारी कर रही है। उनकी पद यात्रा सात सितंबर से शुरू हो रही है। कांग्रेस का प्रदेश संगठन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को प्रदेश के ऐसे इलाकों से निकालने की योजना बना रही है , जहां पर पार्टी कमजोर है। प्रदेश कांग्रेस द्वारा इस यात्रा को आदिवासी इलाकों से निकलवाने की तैयारी है। इसमें खासतौर से मालवा और निमाड़ का इलाका शामिल है। उनकी इस सात्रा के जरिए खासतौर पर कांग्रेस अपने साथ आदिवासी वोटबैंक को साधना चाहती है। बैठक में इस पद यात्रा को लेकर भी चर्चा की जाएगी और नेताओं को इसके लिए टास्क दिया जाएगा।
होंगी अलग-अलग बैठकें
25 अगस्त की सुबह प्रदेश पदाधिकारियों, यूथ कांग्रेस महिला कांग्रेस और एनएसयूआई के साथ संयुक्त बैठक होगी तो शाम को विधायक दल की बैठक होगी। विधायक दल की बैठक में अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति को साझा किया जाएगा।
प्रभारियों को बनाया जाएगा पॉवरफुल
प्रदेश कांग्रेस द्वारा इस बार सबक लेते हुए नई रणनीति तैयार की गई है , जिसके आधार पर जिला प्रभारियों को पावरफुल बनाकर उन्हें जिलाध्यक्षों के समकक्ष बनाया जाएगा।  इसके पीछे पार्टी में बगावत होने पर संगठन को ध्वस्त होने से बचाना है। दरअसल 2020 में कांग्रेस के 28 विधायक टूटकर भाजपा में चले गए। उस दौरान कुछ विधायक पार्टी के जिलाध्यक्ष भी थे, जिसकी वजह से उनके इलाकों में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इस बार जिन विधायकों की स्थिति कमजोर है और जो साथ में जिलाध्यक्ष भी हैं, वे टिकट काटे जाने पर ब्लैकमेल न करें। और उनके साथ पूरा संगठन न बैठ जाए, इसलिए प्रभारी और सह प्रभारी को ताकतवर बनाया जा रहा है।

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