
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस लगाएगी चौपाल
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में आदिवासी मतदाता चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं। माना जाता है कि जिस पार्टी की ओर आदिवासियों का रुझान हो, मप्र में सत्ता की चाबी उसी के हाथ आती है। चूंकि विधानसभा चुनाव का माहौल है, इसलिए भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्तर पर मतदाताओं को रिझाने के प्रयास में जुटे हैं। इसी कड़ी में अब कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं का गणित बैठाने की तैयारी में लगी है। इसके लिए कांग्रेस अपनी स्वाभिमान यात्रा के बाद मप्र के गांवों में चौपाल लगाने की तैयारी कर रही है। इन चौपालों में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आदिवासियों के बीच पहुंचकर कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगी।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासियों का झुकाव कांग्रेस की ओर था, जिससे एसटी के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से कांग्रेस ने 30 सीटें जीतीं और 15 वर्ष बाद सत्ता में वापसी हुई थी। इसको देखते हुए पार्टी ने इस बार आदिवासी बहुल 82 सीटों पर प्रियंका गांधी वाड्रा के माध्यम से पार्टी आदिवासियों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की याद दिलाएगी। इसके लिए आदिवासी बहुल क्षेत्रों में उनके कार्यक्रम प्रस्तावित किए जा रहे हैं। छिंदवाड़ा में उनकी सभा आयोजित की जा सकती है तो राहुल गांधी का कार्यक्रम मालवांचल में बनाया जा रहा है। दरअसल कांग्रेस इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती कि उसे सत्ता में वापसी की उम्मीद से निराश हाथ लगे। पार्टी अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करने में जुटी है। यही बड़ा कारण भी है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सागर में अपनी पहली चुनावी सभा में भी आदिवासी अत्याचार का मुद्दा उठाया और साफ कर दिया कि यह चुनाव अभियान में कांग्रेस का प्रमुख मुद्दा रहेगा।
प्रियंका गांधी कर सकती हैं सभा
कांग्रेस ने आदिवासी बहुल जिलों में प्रियंका गांधी वाड्रा के कार्यक्रम और सभा आयोजित करने की तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि पार्टी प्रियंका के माध्यम से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की आदिवासी हितैषी छवि को भुनाना चाहती हैं। इसीलिए प्रियंका जल्द ही छिंदवाड़ा आ सकती हैं। यहां से सिवनी, बालाघाट, बैतूल और नरसिंहपुर जिले लगे हुए हैं। यहां आदिवासी मतदाता प्रभावी भूमिका में है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। बैतूल और सिवनी जिले में एसटी के लिए सुरक्षित चारों सीटें कांग्रेस ने जीती थीं।
यही कारण है कि बैतूल से लोकसभा चुनाव लडऩे वाले रामू टेकाम को आदिवासी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, मालवा और निमाड़ क्षेत्र में भी कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था। यहां युवाओं के बीच काम करने वाले जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) ने कांग्रेस का साथ दिया, जिसका लाभ भी मिला और एसटी के लिए लिए आरक्षित अधिकांश सीटें कांग्रेस ने जीतीं। पार्टी इसी प्रदर्शन को दोहराने के लिए प्रयासरत है। राहुल गांधी की सभा मालवा अंचल में प्रस्तावित की गई है। वे विंध्य में भी कार्यक्रम करेंगे। यहां भी कोल आदिवासी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। पिछले चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। यहां केवल सात सीटें ही पार्टी जीत सकी थी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह तक चुनाव हार गए थे। कांग्रेस इस बार ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती है, जिससे उसकी सत्ता में वापसी की संभावना प्रभावित हो। यही कारण है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सागर में अपनी पहली चुनावी सभा में भी आदिवासी अत्याचार का मुद्दा उठाकर साफ कर दिया कि यह चुनाव अभियान में प्रमुख मुद्दा रहेगा।
82 सीटों पर निर्णायक भूमिका
प्रदेश में एसटी के लिए सुरक्षित 47 सीटें सहित 82 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसीलिए आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पार्टी अपनी कार्ययोजना बनाकर उन्हें साधने की तैयारी कर रही है। आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासियों का झुकाव कांग्रेस की ओर था। यही कारण था कि कांग्रेस ने एसटी के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटें जीतीं और 15 वर्ष बाद सत्ता में वापसी की थी। ऐसे में कांग्रेस इस बार भी अपना वही प्रदर्शन दोहराने के प्रयास में लगी है। बताया जा रहा है कि पार्टी की ओर से प्रियंका गांधी आदिवासियों के बीच पहुंचेंगी और उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की याद दिलाएंगी। वहीं राहुल गांधी के लिए मालवांचल में कार्यक्रम की प्लानिंग की जा रही है।
22 जनसभाओं का तैयार हो रहा खाका
कांग्रेस मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि मप्र विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी प्रचार की अहम जिम्मेदारी निभाएंगी। वह 22 बड़ी जनसभाएं कर सकती हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने अपने महासचिव को अपनाया था और पार्टी को उम्मीद है कि मप्र में भी वह गेम चेंजर साबित होंगी। बताते हैं मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी प्रियंका गांधी के प्रचार पर खासा जोर दिया है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी ने केवल एक ट्वीट भर किया और उसकी ताकत समझ लीजिए। प्रियंका गांधी ने मप्र की शिवराज सिंह चौहान की सरकार को 50 प्रतिशत कमीशन की सरकार क्या बताया, प्रदेश में 41 स्थानों पर उनके और कमल नाथ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। कांग्रेस का मानना है कि यह इस बात का संकेत है कि भाजपा प्रियंका गांधी से किस कदर डर रही है। कांग्रेस के अनुसार प्रियंका गांधी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई थीं। मप्र में भी वह कांग्रेस के पक्ष में बड़ा प्रचार करने जा रही हैं। भाजपा नेताओं के चेहरे पर इसकी घबराहट अभी से दिखाई देने लगी है।