
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक सेना महेश पटेल ने पुरानी पेंशन योजना का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2005 के बाद पेंशन को एनपीएस के अंतर्गत लाया। इसमें लाभ की कोई गारंटी नहीं है। सरकार ने जवाब दिया है कि हमारे पास इस पुरानी पेंशन योजना को लेकर कोई जानकारी नहीं है, कोई प्लानिंग नहीं है। क्या हमारे कर्मचारी देश की और प्रदेश की सेवा में कोई कसर छोड़ते हैं? यह सरकार की जिम्मेदारी है कि लोगों को सुरक्षा मिले। अन्य प्रदेशों में पुरानी पेंशन योजना लागू है तो मध्य प्रदेश में क्यों नहीं? जवाब में राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, उत्तर पटल पर रखा है। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का न कोई प्लान है और न ही विचार। वहीं उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने भी कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसलिए बाकी सवाल नहीं उठते हैं।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार अपने वित्तीय संसाधनों एवं अन्य प्राथमिकताओं के दृष्टिगत सदैव कर्मचारी हित में निर्णय लेती है पर वर्तमान में ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। प्रश्नकाल के दौरान सेना पटेल ने 2005 के बाद शासकीय सेवकों को एनपीएस के अंतर्गत लाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नई पेंशन योजना में कर्मचारियों को ऐसा कुछ नहीं मिल रहा है जिससे वे रिटायरमेंट के बाद अपना ठीक तरीके से जीवनयापन कर सकें। पटेल ने कहा कि जब छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्य इस दिशा में पहल कर रहे हैं तो मध्यप्रदेश क्यों पीछे रह रहा है। इस पर मंत्री ने एक लाइन में जवाब दिया कि सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
जनसम्पर्क निधि के उपयोग में हुई गड़बड़ी
कांग्रेस की झूमा सोलंकी ने अपने विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव में जनसम्पर्क निधि के उपयोग में हुई गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि समय पर राशि का आहरण न होने से वह राशि लैप्स हो गई। इस पर मंत्री कृष्णा गौर ने जवाब दिया कि समयावधि में राशि का आहरण नहीं होने से कार्यालयीन शाखा प्रभारी इरशाद सूफी का निलंबन एवं तत्कालीन जिला योजना अधिकारी प्रताप कुमार अगास्या व तत्कालीन जिला कोषालय अधिकारी आनंद पटेल को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। इस पर सोलंकी ने कहा कि सहायक ग्रेड तीन के कर्मचारी का कोई दोष नहीं है। इसमें तत्कालीन कलेक्टर और जिला कोषालय अधिकारी दोषी है। इसके बाद उन्होंने प्रस्तावों का समय पर अनुमोदन न होने की बात भी कही और कहा कि प्रभारी मंत्री समय नहीं देते। इस कारण प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो पा रहे है।
शांति समिति का पुनर्गठन नहीं
धार से भाजपा विधायक नीना वर्मा ने शांति समितियों के पुनर्गठन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 40 साल पहले इसके नियम तय किए गए थे। आज भी वही नियम है। इन समितियों का पुनर्गठन भी नहीं हुआ है और जो सदस्य अब इस दुनिया में नहीं है उनके नाम भी सदस्य के रूप में हैं। उन्होंने कहा कि समय सीमा में इनका पुनर्गठन हो और उम्र आदि भी तय की जाए। मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने कहा कि आठ जुलाई 1987 को जारी निर्देशों के तहत शांति समिति का गठन किया जाता है। शांति समिति के कार्यकाल को लेकर कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है।
जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का मुद्दा
कांग्रेस विधायक चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर ने कहा कि परियोजना अधिकारी पलेरा के स्थानांतरण का मुद्दा उठाया और कहा कि सरकार एक अधिकारी को बचाने के लिए असत्य जानकारी दे रही है। उन्होंने कहा कि आंगनबाडिय़ों में किए जाने वाले आयोजन में जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह अधिकारी दस साल से अधिक समय से यहां जमा है। इस पर मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि सीमित संख्या में स्थानांतरण की नीति के चलते कम ही स्थानांतरण किए गए हैं। विधायक चाहती है तो हम इस मामले को सीएम मानिट में भेज देंगे।
मुंजारे ने पदोन्नति का मामला उठाया
प्रश्नकाल में बालाघाट से कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे ने सवाल किया कि महिला और बाल विकास विभाग में 15 साल से सहायक ग्रेड 3, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं की गई है। कर्मचारी परेशान हैं और उनकी कार्य क्षमता पर असर पड़ रहा है। सरकार इस मामले में क्या कहना चाहती है? इस पर महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि अभी प्रमोशन पर स्टे है। जब इस मामले में अंतिम निर्णय होगा तो कार्रवाई की जाएगी।